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छत्तीसगढ़ में मेडिकल शिक्षा के क्षेत्र में विस्तार की योजना को बड़ा झटका लगा है। राज्य में प्रस्तावित पांच नए सरकारी कॉलेज इस शैक्षणिक सत्र में शुरू नहीं हो पाएंगे। नेशनल मेडिकल कमीशन (NMC) को प्रस्ताव भेजने की तैयारी भी अभी तक पूरी नहीं हो सकी है। इसके चलते मेडिकल की पढ़ाई करने की इच्छा रखने वाले छात्रों को अगले साल तक इंतजार करना पड़ सकता है। इन कॉलेजों के शुरू होने से न केवल मेडिकल शिक्षा की सीटें बढ़ेंगी, बल्कि नीट यूजी के कट-ऑफ अंक कम होने की संभावना से कम स्कोर वाले छात्रों को भी प्रवेश का अवसर मिलेगा।
यहां खुलेंगे नए मेडिकल कॉलेज
राज्य सरकार ने कवर्धा, मनेंद्रगढ़, जांजगीर-चांपा, गीदम और जशपुर में नए सरकारी मेडिकल कॉलेज खोलने की योजना बनाई है। प्रत्येक कॉलेज में एमबीबीएस की 50 सीटें होंगी, जिससे कुल 250 नई सीटें उपलब्ध होंगी। इन कॉलेजों के लिए पिछले साल अक्टूबर में ऑनलाइन टेंडर जारी किया गया था, लेकिन विवादों के कारण इसे रद्द करना पड़ा। अब दोबारा प्रक्रिया शुरू करने की तैयारी चल रही है, लेकिन इसमें समय लगने की संभावना है।
निर्माण और बजट की स्थिति
नए कॉलेजों के लिए बुनियादी ढांचा, फैकल्टी और अन्य जरूरी सुविधाओं को अंतिम रूप देने के लिए चिकित्सा शिक्षा विभाग ने चार सदस्यीय समिति का गठन किया था। इन कॉलेजों के भवन निर्माण, उसके इंजीनियरिंग और डिजाइनिंग के काम के लिए 1020.60 करोड़ के बजट की व्यवस्था की गई है। प्रत्येक कॉलेज के निर्माण पर करीब 600 करोड़ की लागत आएगी। चार स्थानों (कवर्धा, मनेंद्रगढ़, जांजगीर-चांपा और गीदम) पर जमीन का चयन पूरा हो चुका है, जबकि जशपुर में प्रस्ताव को अंतिम रूप दिया जा रहा है।
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जशपुर में विशेष जोर, 220 बेड का अस्पताल प्रस्तावित
मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के गृह जिले जशपुर में नए कॉलेज की योजना को विशेष महत्व दिया जा रहा है। राज्य बजट में जशपुर के कुनकुरी में 220 बेड के अस्पताल की घोषणा की गई है, जिसे कॉलेज से जोड़ा जाएगा। कॉलेज के लिए न्यूनतम 220 बेड का अस्पताल अनिवार्य है। इस अस्पताल में विभिन्न विभागों के लिए बेड का आवंटन इस प्रकार होगा
जनरल मेडिसिन : 50 बेड
जनरल सर्जरी : 50 बेड
पीडियाट्रिक्स : 25 बेड
ऑर्थोपेडिक्स : 20 बेड
ऑब्स्टेट्रिक्स एंड गायनेकोलॉजी : 25 बेड
आईसीयू : 20 बेड
ऑप्थैल्मोलॉजी : 10 बेड
ईएनटी : 10 बेड
स्किन : 5 बेड
साइकियाट्री : 5 बेड
कुल : 220 बेड
अन्य चार स्थानों पर मौजूदा जिला अस्पतालों को अपग्रेड कर कॉलेज से संबद्ध किया जाएगा। यह प्रक्रिया कॉलेज शुरू होने के बाद पूरी की जाएगी।
कॉलेज और सीटों की स्थिति
छत्तीसगढ़ में वर्तमान में 10 सरकारी और 5 निजी कॉलेज संचालित हैं, जिनमें कुल 2130 एमबीबीएस सीटें उपलब्ध हैं। चार निजी कॉलेजों ने अपनी सीटों को 150 से बढ़ाकर 250 करने का प्रस्ताव NMC को भेजा है। NMC ने इनका निरीक्षण भी कर लिया है। यदि सब कुछ योजना के अनुसार रहा, तो सीटों की संख्या बढ़ने से नीट यूजी के कट-ऑफ अंक कम हो सकते हैं, जिससे कम अंक प्राप्त करने वाले छात्रों को भी प्रवेश का मौका मिलेगा।
ये हैं चुनौतियां
नए कॉलेज शुरू करने में कई चुनौतियां हैं। सबसे बड़ी चुनौती फैकल्टी की उपलब्धता है। प्रत्येक कॉलेज के लिए डीन और अन्य शिक्षकों की नियुक्ति अनिवार्य है। विशेषज्ञों का कहना है कि फैकल्टी की व्यवस्था करना किसी बड़े टास्क से कम नहीं है। इसके अलावा, इमारतों का निर्माण और अन्य बुनियादी ढांचे को तैयार करने में कम से कम दो साल का समय लगेगा। कोरबा, कांकेर और महासमुंद जैसे नए कॉलेज केंद्र प्रवर्तित योजना के तहत शुरू हो चुके हैं, लेकिन इनकी नई इमारतें अभी तक तैयार नहीं हुई हैं। इस योजना में केंद्र सरकार 60% और राज्य सरकार 40% फंड देती है।
छात्रों पर प्रभाव
नए मेडिकल कॉलेज शुरू होने से न केवल सीटों की संख्या बढ़ेगी, बल्कि मेडिकल शिक्षा अधिक सुलभ होगी। इससे नीट यूजी के कट-ऑफ अंक कम होने की संभावना है, जिसका सीधा फायदा उन छात्रों को मिलेगा जो कम अंक प्राप्त करते हैं। हालांकि, इस सत्र में कॉलेज शुरू न होने से छात्रों को निराशा का सामना करना पड़ सकता है।
तेजी से काम शुरू करने की जरूरत
नए मेडिकल कॉलेजों की स्थापना के लिए अब तेजी से काम शुरू करने की जरूरत है। सरकार को टेंडर प्रक्रिया, जमीन का आवंटन, फैकल्टी की नियुक्ति और NMC की मंजूरी जैसे सभी पहलुओं पर ध्यान देना होगा। यदि ये सभी प्रक्रियाएं समय पर पूरी हो जाती हैं, तो अगले शैक्षणिक सत्र में इन कॉलेजों को शुरू किया जा सकता है। तब तक, छात्रों को धैर्य रखना होगा और मौजूदा कॉलेजों में प्रवेश के लिए कड़ी मेहनत करनी होगी। इस तरह, छत्तीसगढ़ में मेडिकल शिक्षा के क्षेत्र में नई संभावनाएं तो बन रही हैं, लेकिन इनके अमल में आने के लिए समय और समन्वित प्रयासों की जरूरत है।
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