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रायपुर में तस्करी के सोने का कारोबार जोरों पर है। डीआरआई (राजस्व खुफिया निदेशालय) की छापेमारी में शहर के बड़े सराफा कारोबारियों के ठिकानों से चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं। जांच में पता चला कि तस्करी का 90% सोना रायपुर में ही खपाया जा रहा है, जिसमें कालाधन लगाने वाले लोग बड़े पैमाने पर निवेश कर रहे हैं। इस मामले में तीन सराफा कारोबारियों को जेल भी भेजा गया है।
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कालाधन से सोने की खरीद, मुनाफा ही मुनाफा
ईडी और ईओडब्ल्यू की जांच से सामने आया कि महादेव सट्टा एप, आबकारी घोटाले और डीएमएफ फंड में गैरकानूनी तरीके से कमाए गए पैसों का बड़ा हिस्सा सोने की ईंटों और बिस्किट्स में लगाया गया। सोने की कीमतों में लगातार इजाफा होने से निवेशकों को मोटा मुनाफा मिल रहा है। सोने की खासियत यह है कि इसे आसानी से कैरी किया जा सकता है और बाजार में ऊंचे दामों पर बेचा जा सकता है। यही वजह है कि कालाधन वाले लोग सोने को प्राथमिकता दे रहे हैं।
तस्करी का सोना, सराफा कारोबारियों की चांदी
जांच में खुलासा हुआ कि सराफा कारोबारी कालाधन से भुगतान करने वालों को तस्करी का सोना बेचते हैं, जिससे उन्हें भारी मुनाफा होता है। पिछले पांच सालों में विभिन्न घोटालों से अरबों रुपये की काली कमाई हुई, जिससे तस्करी के सोने की मांग बढ़ी। दुबई से बांग्लादेश, फिर मुंबई-दिल्ली के रास्ते छत्तीसगढ़ तक सोना पहुंचाया जा रहा है।
सैलरी पर तस्कर, हर महीने मुनाफा
तस्करी का धंधा इतना बढ़ गया है कि सराफा कारोबारी अब इसके लिए कर्मचारी रख रहे हैं, जिन्हें हर महीने सैलरी दी जाती है। चाहे तस्करी हो या न हो, इन कर्मचारियों को वेतन मिलता रहता है। हर एक से तीन महीने में तस्करी की खेप जरूर आ रही है, जिससे कारोबारियों को मोटा मुनाफा हो रहा है।
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इसलिए उठाया जाता है जोखिम
दुबई में सोने की कीमत रायपुर के बराबर ही होती है, फिर भी तस्करी क्यों? पड़ताल में पता चला कि तस्करी से 3% जीएसटी और 10% कस्टम ड्यूटी बच जाती है। इससे प्रति तोला 10,000 से 15,000 रुपये और बल्क खरीद में 10 लाख से 50 लाख तक की बचत होती है। दुबई में कड़े कानून के चलते तस्कर दुकानों की बजाय सीधे फैक्ट्रियों से सोना खरीदते हैं, जिससे कीमत और कम हो जाती है।
रिस्क और मुनाफे का खेल
तस्करी का सोना बिना किसी टैक्स के छत्तीसगढ़ पहुंचता है, जिसे सामान्य ग्राहकों और कालाधन वालों को पूरी कीमत पर बेचा जाता है। इससे प्रति तोला 15,000 रुपये तक का मुनाफा होता है, जो तस्करी सिंडिकेट और सराफा कारोबारियों के बीच बंटता है। रिस्क ज्यादा होने के कारण सराफा कारोबारी मुनाफे का बड़ा हिस्सा लेते हैं।
विदेश से ला सकते हैं इतना सोना
विदेश से सोना लाने पर 10% कस्टम ड्यूटी लगती है। 20 से 100 ग्राम सोने पर 3% कस्टम चार्ज लागू होता है। पुरुष 20 ग्राम और महिलाएं 40 ग्राम सोना बिना टैक्स के ला सकती हैं। तस्कर इस नियम का फायदा उठाकर सोना लाते हैं और मोटा मुनाफा कमाते हैं। रायपुर में तस्करी के सोने का यह खेल अब एक बड़े रैकेट के रूप में सामने आया है, जिसमें कालाधन और तस्करी का गहरा नाता उजागर हुआ है।
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