बस्तर में तीन बड़े उद्योग लेकिन सिर्फ 900 को नौकरी, आर्सेलर मित्तल ने 16 को ही दिया काम

सरकार नक्सल मुक्त होने पर बस्तर में बड़े बड़े उद्योग लाने की बात करती है। यहां पर तीन बड़े उद्योग चल रहे हैं। इन उद्योगों के पास 2 हजार एकड़ से ज्यादा सरकारी और निजी जमीन है। लेकिन इन उद्योगों ने महज साढ़े नौ सौ स्थानीय लोगों को नौकरी दी है।

author-image
Arun Tiwari
New Update
Three big industries in Bastar but only 900 people got jobs the sootr
Listen to this article
0.75x 1x 1.5x
00:00 / 00:00

रायपुर : छत्तीसगढ़ सरकार इन दिनों बस्तर के विकास पर खास फोकस कर रही है। सड़कों पर बस दौड़ने लगी है। रेलगाड़ी चलने वाली है। और हाट बाजार भी भरने लगे हैं। लेकिन जो सबसे अहम बात है वो है बस्तर के आदिवासियों को रोजगार। सरकार नक्सल मुक्त होने पर बस्तर में बड़े बड़े उद्योग लाने की बात करती है।

द सूत्र ने पड़ताल की है कि आखिर जो उद्योग अभी बस्तर में चल रहे हैं उन्होंने यहां के आदिवासियों को कितना रोजगार दिया है। जानकारी हैरान करने वाली है। यहां पर तीन बड़े उद्योग चल रहे हैं। इन उद्योगों के पास 2 हजार एकड़ से ज्यादा सरकारी और निजी जमीन है। लेकिन इन उद्योगों ने महज साढ़े नौ सौ स्थानीय लोगों को नौकरी दी है।

कमाल की बात तो ये है कि अंतर्राष्ट्रीय कंपनी आर्सेलर मित्तल ने तो सिर्फ 16 लोगों को ही काम दिया है। सरकार का नियम है कि जहां इंडस्ट्री लगेगी वहां के 100 फीसदी लोगों को रोजगार देना होगा। ऐसी स्थितियों में कैसे होगा बस्तर का विकास,यह बड़ा सवाल है। द सूत्र की बस्तर के उद्योगों पर खास पड़ताल। 

ये खबर भी पढ़ें...CM साय का डिजिटल विजन: बस्तर से सरगुजा तक 5000 मोबाइल टॉवर और 250 सेवाएं होंगी ऑनलाइन

बस्तर में इंडस्ट्री,बाहरी को नौकरी 

बस्तर की जमीन में खनिजों की अकूत संपदा है लेकिन यही बस्तर दशकों से लाल आतंक के साये में रहा है। सरकार मार्च 2026 तक नक्सलवाद को खत्म करने की डेडलाइन पर काम कर रही है। बस्तर को अब उम्मीद जगी है कि उसके यहां अब गोलियों की आवाज नहीं बल्कि कारखानों की मशीनों की खटपट सुनाई देगी। यहां पर जब उद्योग लगेंगे तो यहां के बेरोजगार युवाओं की नौकरी लगेगी। उनके हाथों में काम होगा तो परिवार उन्नति करेगा।

बच्चे पढ़ेंगे और महिलाएं छोटे छोटे घरेलू उद्योगों से चार पैसे कमा सकेंगी। ये तो वो बात हुई जो मार्च 2026 के बाद की इबारत है। लेकिन वर्तमान में यहां क्या चल रहा है,उसकी एक बानगी दिखाने के लिए द सूत्र ने पड़ताल की है। यहां पर तीन उद्योग हैं जिनमें दो बड़े उद्योगों की श्रेणी में आते हैं। लेकिन इन उद्योगों ने बस्तर के युवाओं के साथ नाइंसाफी की है। 2 हजार एकड़ से ज्यादा की जमीन इनके पास है। लेकिन इन्होंने बस्तर के महज साढ़े नौ सौ युवाओं को ही नौकरी दी है।

आर्सेलर मित्तल जैसी बड़ी मल्टीनेशनल इंडस्ट्री ने तो यहां के 16 लोगों को ही काम दिया है। यह तो बड़ी नाइंसाफी है। सरकार की उद्योग नीति कहती है कि अकुशल श्रमिक को 100 फीसदी, अर्द्धकुशल को 70 फीसदी और कुशल को 40 फीसदी रोजगार स्थानीय स्तर पर ही देना होगा, तभी उद्योग लगेगा और सरकार अपनी जमीन देगी। लेकिन यहां ऐसा तो बिल्कुल नहीं है। बस्तर में इंडस्ट्री तो लग गईं लेकिन नौकरी बाहरी लोगों को दे दी।

ये खबर भी पढ़ें... बस्तर में स्वास्थ्य सेवाओं की नई तस्वीर, 130 अस्पतालों को मिला क्वालिटी सर्टिफिकेट, डॉक्टरों की भर्ती तेज

ये तीन उद्योग हैं बस्तर की जमीन पर 

यहां पर तीन उद्योग लगे हुए हैं। आर्सेलर मित्तल इंडस्ट्री, एनएमडीसी स्टील प्लांट और ब्रज मेटालिक्स ने यहां पर अपना कारखाना जमाया है। यदि इन तीनों इंडस्ट्री को देखें तो इनके पास 2124 एकड़ जमीन है। यानी इतनी जमीन पर यह तीन उद्योग लगे हैं। इनमें 522 एकड़ सरकारी जमीन है यानी सरकार ने इनको इंडस्ट्री लगाने के लिए दी है।

1602 एकड़ जमीन इन उद्योगों ने निजी किसानों से खरीदी है। इन जमीनों के बदले किसानों को मुआवजा दिया गया है। इन तीनों उद्योगों ने कुल मिलाकर 979 लोगों को नौकरी दी है। आर्सेलर मित्तल ने 16 को ब्रज मेटालिक्स ने एक को भी काम नहीं दिया है। 131 तो अभी तक नौकरी के मामले लंबित हैं। अब यहां के युवा नौकरी की मांग करने लगे हैं। 

ये खबर भी पढ़ें...छत्तीसगढ़ की नई पहचान... नक्सलवाद से उभरकर विकास और शांति का मॉडल बन रहा बस्तर

ये है तीनों उद्योगों की स्थिति 

आर्सेलर मित्तल स्टील इंडिया लिमिटेड : 
यह प्लांट दंतेवाड़ा में किरंदुल में स्थापित है। 
यह वृहद उद्योग की श्रेणी में आता है। 
यह 1 अक्टूबर 2005 से संचालित है। 
इस उद्योग ने 90 एकड़ जमीन किसानों से खरीदी है। 
इस जमीन के बदले 33 लाख रुपए चुकाए गए। 
आर्सेलर मित्तल ने 16 स्थानीय लोगों को नौकरी दी। 


एनएमडीसी स्टील लिमिटेड : 
यह प्लांट जगदलपुर जिले के ग्राम नगरनार में है। 
यहां के लोग इस प्लांट का विरोध करते रहे हैं। 
यह वृहद उद्योग में आता है। 
यह 31 अगस्त 2023 से संचालित है। 
इसने 1537 एकड़ जमीन किसानों से खरीदी है। 
528 एकड़ जमीन सरकार ने दी है। 
इस कंपनी ने 963 स्थानीय लोगों को नौकरी दी। 
किसानों को करीब 90 करोड़ मुआवजा दिया गया। 
 
ब्रज मेटालिक्स : 
यह मध्यम श्रेणी का उद्योग है। 
यह बस्तर में 23 मार्च 2005 से संचालित है। 
इसके पास न सरकारी जमीन है और न निजी जमीन। 
इसने एक भी स्थानीय व्यक्ति को नौकरी नहीं दी। 

ये खबर भी पढ़ें...बस्तर में विकास की गाड़ी पटरी पर, कोठागुडेम–किरंदुल रेल लाइन सर्वे को मिली रफ्तार

द सूत्र ने इन कंपनियों से स्थानीय लोगों को काम न देने पर उनका पक्ष जानने के लिए ईमेल के जरिए संपर्क किया लेकिन उनका कोई जवाब नहीं आया। यह स्थिति दिखाती है कि सरकार को बस्तर में उद्योग लगाने की अनुमति और सरकारी जमीन देने से पहले यह सुनिश्चित करना पड़ेगा कि स्थानीय लोगों को प्राथमिकता के साथ काम मिल सके। यदि यही हाल रहा तो उद्योगपति बस्तर की संपदा को लूट कर ले जाएंगे और स्थानीय लोगों के हाथों में कुछ नहीं आएगा। वैसे भी बस्तर की संपदा पर बड़ी कंपनियों की नजर है और वे इसी इंतजार में हैं कब बस्तर नक्सलमुक्त हो और वे यहां पर अपने उद्योग लगाकर कमाई कर सकें।  

thesootr links

 सूत्र की खबरें आपको कैसी लगती हैं? Google my Business पर हमें कमेंट के साथ रिव्यू दें। कमेंट करने के लिए इसी लिंक पर क्लिक करें

अगर आपको ये खबर अच्छी लगी हो तो 👉 दूसरे ग्रुप्स, 🤝दोस्तों, परिवारजनों के साथ शेयर करें📢🔃🤝💬👩‍👦👨‍👩‍👧‍👧

 

chattisgarh | arcelor mittal | Arcelor Mittal Chhattisgarh | Bastar NMDC steel plant | आर्सेलर मित्तल छत्तीसगढ़ | एनएमडीसी छत्तीसगढ़ | छत्तसीगढ़ का बस्तर संभाग 

छत्तीसगढ़ Bastar NMDC steel plant Bastar छत्तसीगढ़ का बस्तर संभाग chattisgarh आर्सेलर मित्तल छत्तीसगढ़ Arcelor Mittal Chhattisgarh arcelor mittal एनएमडीसी छत्तीसगढ़