शिव शंकर सारथी , RAIPUR. छत्तीसगढ़ में हुए 2100 करोड़ के शराब घोटाले के मामले में EOW (
EOW investigation in liquor scam case) लगातार जांच कर रही है। बुधवार को EOW ने आरोपी त्रिलोक सिंह ढिल्लन ( Trilok Singh Dhillon) के भिलाई स्थित सील बंद घर और ऑफिस की जांच की। जांच एजेंसी आरोपी त्रिलोक सिंह को उसके घर लेकर पहुंची थी। ईओडब्ल्यू की टीम ने घर के कमरों और आलमारी की तलाशी ली। टीम ने दस्तावेज को खंगालते हुए जांच की।
EOW की गिरफ्त में त्रिलोक सिंह ढिल्लन
त्रिलोक सिंह ढिल्लन देशी शराब डिस्टलरी का मालिक है। घोटाला के किंग पिन अनवर ढेबर ( Anwar Dhebar) , घोटाला के शिल्पी और कंट्रोलर आईएएस अनिल टुटेजा और अरविन्द सिंह की गिरफ्तारी की भनक लगते ही त्रिलोक सिंह फरार हो गया था। EOW ने सीए और शराब कारोबारी आदि के घर दफ्तर समेत कुल 21 ठिकानों पर छापामार कार्रवाई की थी, उसके बाद त्रिलोक सिंह फरार हो गया था। EOW ने उसे कोच्चि से गिरफ्तार किया है। वहीं त्रिलोक सिंह का घर और दफ्तर सील किया गया था।
छत्तीसगढ़ शराब घोटाला केस ( Chhattisgarh Liquor Scam Case) में आरोपी त्रिलोक सिंह, अनवर ढेबर और विधु गुप्ता ने छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट (Chhattisgarh High Court) में याचिका लगाई है। वहीं रायपुर की अदालत में लगी अनवर ढेबर ने जमानत याचिका को कोर्ट ने खारिज कर दिया है। उधर, नोएडा की पुलिस ने विधु गुप्ता को गिरफ्त में ले लिया है। विधु गुप्ता पर आरोप है कि वह घोटाले के कथित शिल्पी आईएएस अनिल टुटेजा के कहने पर नकली होलोग्राम की आपूर्ति किया करता था।
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होलोग्राम की जरूरत क्यों?
छत्तीसगढ़ की आबकारी नीति के मुताबिक- शराब शासकीय दुकानों से बेची जाती है। शासन को राजस्व का नुकसान ना हो, इस बात के लिए होलोग्राम शराब की बोतलों में लगाया जाता है। जांच एजेंसियों के मुताबिक शराब घोटाले को एक रणनीति के साथ अंजाम दिया गया। the sootr (सूत्र खास) यह पहले बता चुका है कि कैसे FL 10 को नियमों में शामिल किया गया, जबकि FL 10 की जरूरत ही नहीं थी।
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आरोपियों में 70 नाम शामिल, कई की गिरफ्तारी नहीं
2100 करोड़ के घोटाले की जांच के लिए EOW रणनीतिक एक्शन लेती दिखाई दे रही है। विशेष अदालत और छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में याचिकाओं का दौर है, जबकि 70 में से ज्यादातर आरोपी अभी हिरासत में ही नहीं लिए गए हैं। तत्कालीन आबकारी मंत्री कवासी लखमा का नाम भी 70 आरोपियों के नामों में शामिल हैं। यह कथित घोटाला मंत्री आबकारी विभाग के अधिकारी कर्मचारियों और अन्य लोगों ने मिलकर अंजाम दिया। यह जांच एजेंसी का दावा है। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में याचिका लगाने वालों में तत्कालीन आबकारी आयुक्त निरंजन दास का भी नाम है।