सियासत में कथनी और करनी में बड़ा अंतर होता है। यही कारण है कि राजनीति में चेहरा, चाल और चरित्र की बातें होती हैं। भूपेश सरकार के कार्यकाल के जिन मामलों में भ्रष्टाचार का आरोप लगाकर बीजेपी की सरकार बनी अब वही मामले बीते दिनों की बात हो गए हैं। विष्णु सरकार ने विधानसभा में आनन-फानन में ऐलान किया कि भूपेश सरकार में हुए भ्रष्टाचार की जांच की जाएगी।
गोबर गोठान हो या फिर आत्मानंद स्कूलों के मेंटनेंस का मामला, सरकार ने सबकी जांच कराने की घोषणा कर दी। लेकिन अब ये सारी फाइलें ठंडे बस्ते में डाल दी गई हैं। एक साल में न जांच समिति बनी और न ही किसी प्रकार की जांच शुरु हुई। यह है सियासत का चेहरा,चाल और चरित्र।
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ये कैसा भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस
बीजेपी, भूपेश सरकार की कई योजनाओं में भ्रष्टाचार का आरोप लगाती रही है। प्रदेश में सरकार बनी तो बजट सत्र हो या मानसून सत्र, बीजेपी पिछली सरकार की योजनाओं में भ्रष्टाचार का मामला उठाती रही है। इन सत्रों में जो मामले उठे उन पर तत्काल जांच कराने का ऐलान भी हो गया। भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस का नारा देकर विष्णु सरकार ने खुद पर सुशासन का टैग भी लगा लिया। शुरआत में कई योजनाओं में जांच कराने की फाइलें भी चलीं लेकिन इनकी रफ्तार बहुत धीमी रही।
अब ये भ्रष्टाचार की फाइलें धूल खा रही हैं। कई योजनाओं की जांच के लिए तो समिति तक नहीं बन पाई है। सवाल उठता है कि क्या सियासत की रवायत यही है कि एक दूसरे पर पर्देदारी की जाती रहे। अब आगे निकाय चुनाव हैं तो सरकार इन मामलों पर अलर्ट हो गई है। डिप्टी सीएम विजय शर्मा कहते हैं कि उसने एक साल में क्या किया है इसका पूरा रिपोर्ट कार्ड जनता के सामने रखा जाएगा। हर विभाग के रिपोर्ट कार्ड में ये साफ हो जाएगा कि सरकार ने किस तरह भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस की पॉलिसी पर काम किया है।
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इन मामलों पर सरकार ने किया था जांच का ऐलान
- राम वन गमन पथ का सोशल ऑडिट
बीजेपी सरकार के पहले बजट सत्र यानी फरवरी 2024 के विधानसभा सत्र में तत्कालीन संस्कृति मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने भूपेश सरकार में हुए राम वन गमन पथ के निर्माण कार्यों पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाया था। अग्रवाल ने इस मामले के सोशल ऑडिट कराने का ऐलान किया था। इसके लिए विधायक अजय चंद्राकर को जांच समिति का अध्यक्ष बनाया गया। इस समिति में सत्ता पक्ष और विपक्ष के विधायकों को शामिल करने की सहमति भी सदन में दी गई। लेकिन आज तक इस समिति का गठन ही नहीं हो पाया है तो फिर जांच कहां से होगी।
2. स्वामी आत्मानंद स्कूलों के मेंटनेंस में भ्रष्टाचार :
इसी बजट सत्र में बीजेपी के विधायक और पूर्व मंत्री अजय चंद्राकर ने आरोप लगाए थे कि भूपेश सरकार में बने स्वामी आत्मानंद स्कूलों के मेंटनेंस में 800 करोड़ का घोटाला किया गया है। चंद्राकर ने कहा कि इतने में तो नए स्कूल खुल जाते और उनकी नई बिल्डिंग बन जाती। इस पर तत्कालीन शिक्षा मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने जांच कराने की घोषणा की। लेकिन इस मामले में भी कुछ नहीं हो पाया है।
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3.सोलर लाइट घोटाला
विधानसभा के मानसून सत्र में सोलर लाइट खरीदी का मामला गूंजा था। विधायक लता उसेंडी ने इसकी जांच की मांग की थी। मंत्री रामविचार नेताम ने विधायक की मांग पर आदर्श ग्राम योजना के तहत गांवों में सोलर लाइट लगाने में हुई खरीदी की जांच की घोषणा की। इस घोषणा में भी कोई ठोस कार्यवाही नहीं हो पाई है।
4.राजीव युवा मितान क्लब का ऑडिट
राजीव युवा मितान क्लब का मामला इन दिनों खूब चर्चा में है। इस योजना में आरोप लगाए गए कि इन क्लबों के लिए राशि की बंदरबांट की गई है। इस शिकायत पर विधानसभा में 132 करोड़ की राशि आवंटन का ऑडिट कराने की घोषणा की गई। यह ऑडिट खेल एवं युवक कल्याण विभाग को करना था। लेकिन अधिकारियों ने जांच में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई और मामला जस का तस है।
5.शिक्षक युक्तियुक्त करण अटका
सरकार ने शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने और स्कूलों में शिक्षकों की कमी दूर करने के लिए मानसून सत्र में सीएम विष्णुदेव साय ने शिक्षकों के युक्तियुक्त करण का ऐलान किया था। कई स्कूलों में शिक्षक सरप्लस हैं तो कई स्कूलों में एक भी शिक्षक नहीं है। मामला सामने आया था कि नेताओं की सिफारिशों पर शिक्षकों ने खुद की पोस्टिंग शहरी स्कूलों में कराई है जिससे ग्रामीण इलाकों में शिक्षकों की कमी है। सीएम की घोषणा के बाद भी इस मामले में कोई नीतिगत फैसला नहीं हो पाया है।
6.रीपा में भ्रष्टाचार की जांच अटकी
पिछली सरकार की ग्रामीण औद्योगिक पार्क यानी रीपा में भ्रष्टाचार के आरोप लगे थे। यह योजना पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग की थी। इसकी जांच के लिए मुख्य सचिव की अध्यक्षता में कमेटी का गठन भी हुआ। लेकिन इसमें कोई कार्रवाई नहीं की गई।
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सरकार हर मोर्चे पर फेल : कांग्रेस
पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल कहते हैं कि सरकार अपनी नाकामियों को छिपाने के लिए कांग्रेस सरकार की योजनाओं में भ्रष्टाचार के आरोप लगा रही है। सरकार अभी तक न रेडी टू ईट का फैसला कर पाई है और न ही दूसरी योजनाओं में भ्रष्टाचार साबित कर पाई है। सरकार खुद कानून व्यवस्था और धान खरीदी के मामले में फेल साबित हुई है।
जब भ्रष्टाचार हुआ ही नहीं तो फिर जांच किस बात की करेंगे। भूपेश कहते हैँ कि सारी अच्छी योजनाएं तो इन्होंने बंद कर दीं जिससे युवा और महिलाओं को बहुत नुकसान हुआ है। बहरहाल सच्चाई कुछ भी हो लेकिन भ्रष्टाचार के मामले हर सरकार में यूं ही दब कर क्यों रह जाते हैं, यही सबसे बड़ा सवाल है। राजनीतिक दल भले ही कुछ भी कहें लेकिन उनकी कथनी और करनी में बहुत अंतर होता है।