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छत्तीसगढ़ की सीएम विष्णुदेव साय सरकार के लिए धान खरीदी की पहली परीक्षा बड़ी कठिन साबित हो रही है। सरकार को सबसे पहले सहकारी साख समीतियों के कर्मचारियों की हड़ताल से दो- चार होना पड़ा। किसी तरह सरकार ने इन कर्मचारियों के साथ मामला सुलझाया। इस सब कवायद में खरीदी की जमीनी तैयारी पूरी नहीं हो सकी।
सरकार किसी तरह धान खरीदी को पटरी पर लाने की कोशिश में लगी ही थी कि अब एक और बड़ी समस्या आ खड़ी हुई है धान के उठाव की। इस परेशानी का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि राज्य के अलग-अलग जिलों में धान की खरीदी बंद करनी पड़ी है।
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इसलिए बंद करनी पड़ी है धान की खरीदी
राज्य के खरीदी केंद्रों पर धान का स्टॉक जमा हो गया है। धान का उठाव न हो पाने की वजह से खरीदी केंद्रों पर धान का भंडारण करने के लिए स्थान नहीं बचा है। अधिकांश जगहों पर पहले ही भंडारण क्षमता से ज्यादा धान की खरीदी की जा चुकी है। नतीजा, ये हुआ कि उठाव न हो पाने की वजह से धान की खरीदी ही बंद करनी पड़ी है। जिन केंद्रों पर धान की खरीदी की भी जा रही है, तो वहां पर इसकी स्पीड इतनी कम है कि उसे एक तरह से बंद ही माना जा सकता है।
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खरीदी केंद्रों पर इसलिए जमा हो गया स्टॉक
धान खरीदी केंद्रों पर स्टॉक जमा होने के पीछे भी सरकार की दूरदृष्टि का अभाव ही कहा जा सकता है। दरअसल, धान की खरीदी के साथ ही इसके उठान की व्यवस्था की जाती है। चूंकि, धान का उठाव राइस मिलर्स की ओर से किया जाता है और राज्य राइस मिलर्स लंबे समय से हड़ताल पर हैं। इसके चलते मिलर्स ने धान का खरीदी केंद्रों से उठाव ही नहीं किया। नतीजा ये हुआ कि धान खरीदी केंद्रों पर स्टॉक डंप होता गया। अब यह हालात बन गए हैं कि धान रखने के लिए खरीदी केंद्रों पर जगह ही नहीं है।
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नाक के नीचे खरीदी बंद
छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर जिले में ही जगह के अभाव में धान की खरीदी बंद होने का मामला सामने आया है। यहां पर बाकायदा धान खरीदी बंद होने का नोटिस चस्पा कर दिया गया है। यह धान खरीदी केंद्र है तिल्दा के मोरंगा उपार्जन केंद्र। यहां पर लगे नोटिस में बताया गया है कि खरीदी के लिए स्थान का अभाव है। व्यवस्था पुन: बनने तक समिति में धान की खरीदी नहीं की जाएगी।
राजनांदगांव में दिसंबर में दूसरी बार धान खरीदी बंद
राजनांदगांव के कई केंद्रों पर धान की खरीदी बंद कर दी गई है। ऐसा इसी महीने में दूसरी बार हुआ है। इससे पहले 4 दिसंबर को जिले के 27 धान खरीदी केंद्रों पर खरीदी बंद कर दी गई थी। तीन दिन के ब्रेक के बाद यहां खरीदी शुरू की गई थी। यहां पर दूसरी बार फिर खरीदी पर ब्रेक लगाने की वजह धान का उठाव नहीं होना है।
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