स्त्रीधन पर महिला का एकाधिकार, पति नहीं कर सकता मनमानी

छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने स्त्रीधन को लेकर एक बेहद महत्वपूर्ण और मिसाल कायम करने वाला ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि स्त्रीधन एक विवाहित महिला की व्यक्तिगत संपत्ति होती है, और वह अपनी इच्छा अनुसार उसका उपयोग कर सकती है।

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छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने स्त्रीधन को लेकर एक बेहद महत्वपूर्ण और मिसाल कायम करने वाला ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि स्त्रीधन एक विवाहित महिला की व्यक्तिगत संपत्ति होती है, और वह अपनी इच्छा अनुसार उसका उपयोग कर सकती है चाहे वह संपत्ति पति या ससुराल वालों के पास ही क्यों न हो।

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पति को दो माह में लौटाना होगा 28 तोला सोना

यह फैसला उस मामले में आया जिसमें रायपुर की रहने वाली कविता मूर्ति ने अपने पति वेंकटरमन मूर्ति के खिलाफ स्त्रीधन की वापसी को लेकर हाईकोर्ट में अपील दायर की थी। अदालत ने धारा 405 (आपराधिक न्यासभंग) के तहत पति को दोषी करार देते हुए आदेश दिया है कि वह दो महीने के भीतर पत्नी को 28 तोला सोना और एक हजार रुपये जुर्माना अदा करे।

अगर पति अदालत के आदेश का पालन नहीं करता, तो उसे तीन महीने के साधारण कारावास की सजा भुगतनी होगी।

पति-ससुरालियों की प्रताड़ना के बाद छोड़ा घर

पीड़िता कविता मूर्ति की शादी 3 नवंबर 1995 को भिलाई निवासी वेंकटरमन मूर्ति से हुई थी। प्रारंभ में वह ससुराल में रह रही थी, लेकिन कुछ समय बाद पति और परिवार वालों द्वारा प्रताड़ना शुरू हो गई। मानसिक तनाव और उत्पीड़न से तंग आकर 19 मार्च 1996 की रात को वह ससुराल छोड़कर चली गई, और पीछे अपना स्त्रीधन — जिसमें सोने-चांदी के आभूषण व अन्य वस्तुएं शामिल थीं — वहीं रह गया।

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महिला थाने में दर्ज कराई थी शिकायत, न्याय की लंबी लड़ाई

कविता ने रायपुर आकर महिला थाने में शिकायत दर्ज कराई और इसके बाद कानूनी कार्रवाई शुरू हुई। 1998 में कविता ने अपने पति को नोटिस भेजकर स्त्रीधन की वापसी की मांग की और महिला थाने में संपत्ति की सूची भी प्रस्तुत की। लेकिन न्यायिक मजिस्ट्रेट ने पहले आरोपी को दोषमुक्त कर दिया।

हाईकोर्ट ने बदला निचली अदालत का फैसला

कविता ने इस फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी, जिसके बाद अदालत ने निचली अदालत के फैसले को पलटते हुए साफ कहा कि स्त्रीधन पर महिला का पूर्ण अधिकार है, भले ही वह संपत्ति पति या ससुराल वालों के पास क्यों न हो। अदालत ने मामले को गंभीरता से लेते हुए आरोपी पति को दोषी करार दिया।

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यह है स्त्रीधन

स्त्रीधन वह संपत्ति होती है जो विवाह के समय महिला को उसके माता-पिता, रिश्तेदारों या पति के परिवार से उपहार स्वरूप प्राप्त होती है। कानूनन इस पर महिला का एकमात्र अधिकार होता है, और कोई भी इसे उसकी अनुमति के बिना अपने पास नहीं रख सकता।

न्याय के इस फैसले से कई महिलाओं को मिलेगा साहस

इस फैसले को महिला अधिकारों की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। यह उन महिलाओं के लिए भी उम्मीद की किरण है, जो अपने अधिकारों को लेकर वर्षों से कानूनी लड़ाई लड़ रही हैं।

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