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चार बीएड कॉलेजों के चार सौ विद्यार्थियों का भविष्य एक विषय के गलत मूल्यांकन ने खराब कर दिया है। मूल्यांकनकर्ता ने 80 नंबर के प्रश्नपत्र को 40 का मानकर मूल्यांकन कर दिया, जिसकी वजह से 400 विद्यार्थियों में आधे से अधिक फेल हो गए तो कुछ विद्यार्थियों को ग्रेस देकर पास किया गया वहीं कुछ ही विद्यार्थी हैं जो ले- देकर पास हुए हैं।
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खराब रिजल्ट आने के कारण वे हाल में शिक्षकों की भर्ती की चल रही प्रक्रिया में शामिल भी नहीं हो पाएंगे। शहीद नंदकुमार पटेल विवि के अंतर्गत चार जिलों में 23 बी एड कॉलेज संचालित हो रहे हैं। जांजगीर-चांपा के ज्ञान रोशनी बीएड कॉलेज खोखरा, यहौद शिक्षण समिति शिक्षा महाविद्यालय, कोणार्क शिक्षा महाविद्यालय खोखसा और राधाकृष्ण शिक्षण समिति के अंतिम वर्ष के विद्यार्थी भी परीक्षा में शामिल हुए थे। दूसरा पेपर टीचिंग एंड लर्निंग था। इसी विषय में छात्रों को कम अंक दिए गए हैं। इस विषय में किसी को 18 तो किसी को 20 अंक दिए गए हैं।
पुनर्मूल्यांकन से छात्रों पर पड़ेगा आर्थिक बोझ
जिस प्रकार का रिजल्ट विश्वविद्यालय द्वारा घोषित किया गया है अब विद्यार्थियों के पास पुनर्मूल्यांकन का विकल्प बचा है। विवि के अधिकारियों ने भी विद्यार्थियों को रिवेल्यूशन के लिए फॉर्म भरने कहा है। इससे विद्यार्थियों को आर्थिक नुकसान होगा, क्योंकि उन्हें फिर से शुल्क के साथ फॉर्म भरना पड़ेगा।
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मिलान कर लेते तो नहीं होती ऐसी गलती
उत्तर पुस्तिका के मूल्यांकन के बाद मूल्यांकनकर्ता द्वारा कॉपी के साथ नंबर भी भेजा जाता है। विश्वविद्यालय के गोपनीय विभाग द्वारा अंकों को मार्कशीट में भरा जाता है, यहां यदि किसी जानकार द्वारा विषय के आधार पर अंकों के विभाजन को पकड़कर उसी समय मूल्यांकन कर्ता से चर्चा कर ली जाती तो समाधान हो सकता था।
नौकरी के अवसर से वंचित हो जाएंगे छात्र
बी एड जॉब ओरिएंटेड यानी नौकरी की परीक्षा है। कम अंक मिलने अथवा फेल होने से विद्यार्थियों के भविष्य दांव पर लगा है। इस पर विश्वविद्यालय को जल्दी निर्णय लेना होगा। यदि पुनर्मूल्यांकन भी कराया जाता है तब भी अधिक समय लगेगा। कोई जांच कमेटी यदि बनती है तो उसका गठन जल्दी कर निर्णय लेना होगा। हालांकि तत्कालीन कुल सचिव ने इसकी जांच कराने का आश्वासन विद्यार्थियों को दिया है। इसका एक बेहतर विकल्प हो सकता है कि विश्वविद्यालय संशोधित रिजल्ट जारी करे।
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