मध्य प्रदेश के एक ऐतिहासिक और लंबे समय से चल रहे मामले में 39 आरोपियों को सजा मिली है। यह मामला 1988 से लंबित था और इसमें 72 लाख रुपये का गबन हुआ था। आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (EOW) द्वारा दर्ज इस मामले में 1485 फर्जी बीमा दावे किए गए थे। 26 साल बाद इस मामले में कोर्ट ने 39 आरोपियों को जेल भेजने का आदेश दिया, जबकि 9 आरोपियों की मौत हो चुकी है।
आरोपियों पर 72 लाख 9000 रुपए के गबन का था आरोप
मध्य प्रदेश के सबसे पुराने और ऐतिहासिक मामलों में से एक का फैसला आखिरकार आ गया। 26 साल बाद, 1988 के आईडीपी योजना घोटाले में 39 आरोपियों को जेल भेजा गया है। इस मामले में आरोपियों पर 72 लाख 9000 रुपये का गबन करने का आरोप था। इस घोटाले में 1485 फर्जी बीमा दावे किए गए थे, जिनमें नॉमिनीज भी फर्जी थे।
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1998 में 1485 फर्जी दावों का भुगतान किया
आईडीपी योजना में राज्य सरकार ने एक स्कीम जारी की थी, जिसके तहत अगर किसी लाभार्थी की मृत्यु हो जाती तो उसके नॉमिनीज को बीमा की राशि का दावा किया जा सकता था। लेकिन इस योजना का फर्जी फायदा उठाते हुए, कुछ आरोपियों ने 1998 में 1485 फर्जी दावों का भुगतान किया।
मामले में 9 आरोपियों की हो चुकी है मौत
आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (EOW) ने 1998 में इस घोटाले का खुलासा किया था और 49 आरोपियों के खिलाफ जांच शुरू की थी। इस मामले में 9 आरोपियों की मृत्यु हो चुकी है, जबकि बाकी बचे आरोपियों को अदालत ने दोषी पाया और उन्हें 5 से 3 साल तक की सजा सुनाई।
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मामले में 26 साल बाद हुआ फैसला
इस मामले का फैसला 26 साल बाद हुआ, जिसे क्षेत्रीय न्यायिक इतिहास में एक महत्वपूर्ण घटना माना जा रहा है। अदालत का यह फैसला इस बात का संकेत है कि कोई भी अपराधी चाहे कितने भी साल क्यों न गुजर जाए, उसे न्याय से बचने का अधिकार नहीं होता।