सुप्रीम कोर्ट में 27 फीसदी आरक्षण पर अंतरिम राहत पर मप्र सरकार का यह तर्क सुनकर आप चौंक जाएंगे

मध्यप्रदेश सरकार का तर्क सुप्रीम कोर्ट में 27 फीसदी ओबीसी आरक्षण के लिए चौंकाने वाला है, क्योंकि राज्य सरकार ने प्रशासनिक पदों के लिए नियुक्तियों की कमी की बात उठाई, जबकि पिछली भर्तियां बेहद कम रही हैं।

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Sanjay Gupta
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मध्यप्रदेश में 27 फीसदी ओबीसी आरक्षण को लेकर सुप्रीम कोर्ट में चल रहे केस की मंगलवार, 12 अगस्त को 25 मिनट सुनवाई हुई। इस लंबी बहस में सरकार का मुख्य जोर मामले को हल करने की बजाय इस बात पर था कि छत्तीसगढ़ की तरह फौरी राहत मिले और अंतरिम राहत के तहत भर्ती करने की मंजूरी मिल जाए। इससे वह 13 फीसदी पद अनहोल्ड कर 27 फीसदी ओबीसी आरक्षण लागू कर सके। लेकिन इस दौरान बहस में मप्र शासन ने अंतरिम राहत के लिए जो कारण बताया, वह सरकार की कथनी और करनी को बताता है, और उनका तर्क सुनकर आप चौंक जाएंगे। अब इस मामले में सुप्रीम कोर्ट की साइट पर संभावित तारीख 23 सितंबर बताई गई है।

मप्र की ओर से यह दिया गया तर्क

इस दौरान मप्र शासन की ओर से तर्क दिया गया कि उनकी मांग है कि छत्तीसगढ़ की तरह ही अंतरिम राहत देते हुए भर्ती करने दी जाए। इस पर शासन ने इसकी जरूरत यह कहकर बताई कि मप्र को प्रशासनिक व्यवस्थाओं के लिए अधिकारियों की जरूरत है और भर्ती प्रभावित होने से इनकी कमी हो रही है।

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अब क्यों हैं यह चौंकाने वाला तर्क

यह तर्क चौंकाने वाला क्यों है? इसकी वजह है मप्र में हो रही भर्ती की स्थिति। बीते सालों की यदि भर्ती की स्थिति देखेंगे तो चौंक जाएंगे। मप्र लोक सेवा आयोग में गिनती के पद आ रहे हैं। ईएसबी में भी नाममात्र की भर्तियां निकल रही हैं और कुछ भर्तियां तो सालों से नहीं निकली हैं, जैसे एसआई भर्ती 8 साल से नहीं आई। जब सरकार खुद ही भर्ती नहीं निकाल रही है तो फिर प्रशासनिक मैनपावर की कमी के लिए असल गुनेहगार कौन है?

देखिए क्या पद निकल रहे हैं मप्र में-

  1. राज्य सेवा परीक्षा: मप्र लोक सेवा आयोग द्वारा मप्र की सबसे बड़ी भर्ती राज्य सेवा परीक्षा की हालत देखिए। साल 2025 में केवल 158 पद निकले, साल 2024 में 110 पद, साल 2023 में 229 पद। बीते द सालों में केवल साल 2022 में 457 पद और 2014 में 591 पद, 2015 में 358 पद निकले थे। बाकी सभी हर बार 300 से कम पद निकले हैं।

  2. राज्य वन सेवा की हालत तो यह है कि साल 2025 में पद नहीं होने से यह भर्ती ही नहीं निकली है। वहीं इसके पहले 2024 में केवल 14 पद थे। साल 2023 में 126 पद थे।

  3. मप्र में सात हजार असिस्टेंट प्रोफेसर के पद खाली हैं, लेकिन अभी भर्ती प्रक्रिया 2024 के लिए दो हजार से भी कम पद निकले हैं, वहीं 2022 के लिए भर्ती अभी भी तीन साल से जारी है और इसमें भी दो हजार से कम पद हैं।

  4. पीएससी की असिस्टेंट इंजीनियर के लिए भर्ती 2024 में 23 पद ही निकले हैं। इसके पहले 2023 में ही तो भर्ती नहीं निकली, 2022 में केवल 36 पद निकले। बस केवल 2021 में 493 पद निकले थे।

  5. एडीपीओ जैसी परीक्षा, फूड सेफ्टी ऑफिसर परीक्षा कब फिर होंगी, यह नहीं पता। जैसे फूड सेफ्टी ऑफिसर परीक्षा केवल 67 पद है, पहले 120 पद निकले, फिर इसे कम करके इतने दिए, वह भी 17 साल के बाद। वह भी कोर्ट के आदेश से ही हो रही है यह भर्ती।

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यह हालत हो गई कि उम्मीदवार 3 लाख तक कम हो गए

हालत यह है कि साल 2019-20 के दौरान जब पौने चार लाख लोग राज्य सेवा परीक्षा के लिए फार्म भरते थे। अब 2025 तक आते-आते हालत यह हो गई कि केवल 1.20 लाख ने आवेदन भरे और इसमें भी परीक्षा देने एक लाख से भी कम गए थे। हालत यह है कि इंदौर में अब केवल एक तिहाई कोचिंग रह गई है और बंद हो चुकी है, उम्मीदवार लंबे इंतजार के चलते इंदौर छोड़कर वापस अपने घरों को लौट रहे हैं।

एक उम्मीदवार ने बोला आत्महत्या के ख्याल आते हैं

एक उम्मीदवार ने द सूत्र को मैसेज करके कहा कि सर, हालत यह है कि आत्महत्या के ख्याल आते हैं, पद आ नहीं रहे हैं और आते हैं तो कम रहते हैं और फिर परीक्षा और रिजल्ट और आखिरकार भर्ती का इंतजार।

एसआई की भर्ती 8 साल नहीं आई

ईएसबी भी इसी में उलझी हुई है। सब इंस्पेक्टर के पद 2017 में आए थे और 8 साल से इसकी फाइल ही चल रही है और अभी तक भर्ती नहीं आई है। इसी तरह ईएसबी के पद भी गिनती के आ रहे हैं। इसके चलते उम्मीदवारों में भारी निराशा है।

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सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई की अहम बातें

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने इस मामले में अंतरिम राहत देने से इंकार कर दिया, इसका कारण था कि बेंच ने कहा कि 6 साल से यह केस चल रहा है, 2019 से, यह काफी लंबा समय होता है। अभी तक राज्य सरकार सोई हुई थी, आप सोए हुए थे। पूरी जिम्मेदारी आपके कंधों पर है। यह समस्या आपके (राज्य सरकार) द्वारा पैदा की गई है। सरकार ने सारी याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में ट्रांसफर कर दीं। फिर किसी को सुनवाई के लिए भी नियुक्त नहीं किया।

अंतरिम भर्ती पर ये भी सरकार का बेतुका जवाब

सुप्रीम कोर्ट से मप्र शासन की ओर से बार-बार मांग की गई कि हमें भी पड़ोसी राज्य छत्तीसगढ़ की तरह अंतरिम राहत मिल जाए ताकि हम 27 फीसदी के आधार पर होल्ड 13 फीसदी पदों पर भर्ती कर दें। जब सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इतना समय हो गया फिर भी अंतरिम राहत मांग रहे हैं, यदि हमने फैसला विरुद्ध में दिया तो क्या करोगे। इस पर मप्र शासन की ओर से जवाब दिया गया कि हम उनसे अंडरटेकिंग लेंगे और अंतिम फैसले के अधीन ही नियुक्ति की शर्त रहेगी, फैसला खिलाफ आया तो उन सभी को बाहर कर देंगे। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने हैरानी जताई और कहा कि इससे लोगों की जिंदगी जुड़ी हुई है। ऐसे केजुअल नहीं ले सकते हैं।

सालिसिटर जनरल आखिरी में आए

वहीं इस मामले में अहम सुनवाई के दौरान सालिसिटर जनरल तुषार मेहता अंतिम मिनट में पहुंचे, उन्होंने फिर वहीं छत्तीसगढ़ की तरह अंतरिम राहत की बात कही, इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस पर चर्चा हो चुकी है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हमने तो साल 2022 को आदेश किया था, तब सुप्रीम कोर्ट ने और अन्य अधिवक्ताओं ने कहा कि केस 2019 से अटका हुआ है।

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