BHOPAL. मध्यप्रदेश जलसंसाधन विभाग में गड़बड़ियां थमने का नाम नहीं ले रही हैं। बांध और नहर निर्माण, टेंडर में धांधली से लेकर किसानों के मुआवजा वितरण से जुड़े मामले लगातार कोर्ट पहुंच रहे हैं। प्रदेश के न्यायालयों में जल संसाधन विभाग से संबंधित 3277 से ज्यादा केस चल रहे हैं। वहीं आदेशों की अनदेखी पर हाईकोर्ट में अवमानना के केस भी बढ़ रहे हैं। इसके बावजूद अधिकारी सुधर नहीं रहे हैं। वहीं लोकायुक्त-ईओडब्ल्यू में भी जलसंसाधन विभाग के अधिकारियों की शिकायतों की फेहरिस्त लंबी हो रही है। इस स्थिति पर मध्यप्रदेश विधानसभा की प्राक्कलन समिति ने विभाग को नोटिस भेजकर जवाब तलब किया है। वहीं समिति ने कोर्ट के विचाराधीन मामलों और अवमानना केसों पर उदासीन रवैए को लेकर भी जानकारी मांगी है।
बड़े बजट वाले विभाग में गड़बड़ी भी बढ़ी
जलसंसाधन विभाग मध्यप्रदेश का व्यापक कार्यक्षेत्र वाला विभाग है। विभाग के 60 से ज्यादा बांध प्रदेश की 50 लाख हैक्टेयर जमीन को सिंचाई के लिए जल उपलब्ध कराते हैं। वित्त वर्ष में जल संसाधन विभाग का बजट 9196 करोड़ से ज्यादा है। विभाग प्रदेश में बांधों और नहरों का निर्माण कराता है और इसके लिए होने वाली जमीन अधिगृहण की प्रक्रिया से लेकर नहरों की मरम्मत की जिम्मेदारी भी इसी के पास है। हजारों करोड़ के बजट वाले इस विभाग में बीते कुछ वर्षों से लगातार गड़बड़ियां सामने आ रही हैं। इनको लेकर विभाग में करीब 2500 शिकायत एल-1 से लेकर एल-4 स्तर पर लंबित हैं।
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कार्रवाई में देरी और अवमानना पर जवाब
मप्र विधानसभा की प्राक्कलन समिति द्वारा जल संसाधन विभाग के एसीएस के नाम भेजे गए पत्र में अधिकारियों की कार्यशैली से संबंधी सवाल भी उठाए हैं। समिति ने एसीएस से 19 बिंदुओं में मांगी गई जानकारी के साथ पूछा है कि लोकायुक्त ओर ईओडब्ल्यू में आने वाली 43 शिकायतों पर कार्रवाई की स्थिति क्या है। इन प्रकरणों में कार्रवाई में देरी क्यों हो रही है। इसकी वजह और निर्धारित समयावधि में कार्रवाई के लिए किए प्रयासों का ब्यौरा भी मांगा है। वहीं कोर्ट में बढ़ रहे मामलों पर भी विस्तृत जानकारी तलब की गई है। 17वे बिंदु पर पूछा गया है कि 2022 में अवमानना केस 380 थे जो 406 हो गए हैं। वहीं 2022 में विभाग के विरुद्ध 2737 प्रकरण न्यायालयों में विचाराधीन थे जो अब 3277 हो गए हैं। इनके निराकरण के लिए विभाग क्या प्रयास कर रहा है।
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भ्रष्टाचार-आर्थिक गड़बड़ी की लंबी सूची
प्रदेश में जलसंसाधन विभाग में चल रहे गड़बड़झाले पर अधिकारियों की बेरुखी पर विधानसभा सचिवालय की प्राक्कलन समिति ने संज्ञान लिया है। इन बिंदुओं पर जानकारी तलब की गई है।
1. निर्माणाधीन 345 लघु सिंचाई परियोजनाओं की वर्तमान स्थिति
2. वर्ष 2024 में प्रशासकीय स्वीकृति के बावजूद 108 लघु सिंचाई योजनाओं में से 30 से ज्यादा के टेंडर आमंत्रित करने में देरी
3. संजय सरोवर परियोजनों की बांयी तट नहर की भौतिक स्थिति
4. रीवा की नईगढ़ी सूक्ष्म सिंचाई परियोजना और बुरहानपुर की भावसा परियोजना के तहत हुए काम
5. छिंदवाड़ा कॉम्पलेक्स इरीगेशन प्रोजेक्ट, काठन जलाशय और बाणसागर प्रोजेक्ट की स्थिति
6. प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के तहत नाबार्ड से वर्ष 2023, 2024 और 2025 में प्राप्त वित्तीय सहायता की राशि
7. नाबार्ड से स्वीकृत ऋण
8. हर खेत को पानी योजना के तहत पूर्ण और अधूरे प्रोजेक्ट की संख्या
9. प्रदेश में ऑटोमैटिक मौसम विज्ञान प्रणाली के तहत वर्षामापी, वॉटर लेवल रिकॉर्डर और मौसम रिकॉर्डर स्थापित करने की जानकारी
10. त्वरित सिंचाई कार्यक्रम के तहत सिंचाई प्रोजेक्ट के लिए चयनित क्षेत्र
11. किसानों से समन्वय के लिए किए गए प्रयास
12. जल संरक्षण के लिए क्या उपाय किए गए
13. प्रदेश में कहां_कहां विभाग के कार्यालय नहीं है और किराए के भवनों में काम चल रहा है
14. विभाग में अधिकारी_कर्मचारियों के स्वीकृत पद कितने हैं और उनमें कितने खाली हैं
15. विभागीय स्तर पर रिक्त पदों की पूर्ति के लिए प्रचलित कार्रवाई की स्थिति