ऐतिहासिक नगरी खजुराहो में आयोजित 51वां खजुराहो नृत्य समारोह में भारतीय नृत्य और संस्कृति का अद्भुत संगम बना हुआ है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण, मध्य प्रदेश पर्यटन विभाग, और छतरपुर जिला प्रशासन के सहयोग से आयोजित महोत्सव के तीसरे दिन कला रसिकों और नृत्यप्रेमियों के लिए एक अविस्मरणीय अनुभव रहा। समारोह में चारों ओर कला-संस्कृति के रंग बिखरे हुए हैं।
51वां खजुराहो नृत्य समारोह का तीसरा दिन
खजुराहो नृत्य समारोह के तीसरे दिन तीसरे दिन कुचीपुड़ी, कथक, मोहिनीअट्टम, और कथकली नृत्य प्रस्तुत किए गए। दीपिका रेड्डी के कुचीपुड़ी नृत्य से नृत्य का आगाज हुआ। जिसमें शिव-पार्वती परिणय के रचनात्मक चित्रण के साथ भक्तगण भगवान शिव और पार्वती की दिव्य विवाह की कथा प्रस्तुत करते हैं। इसका संगीत डीएसवी शास्त्री का था, जबकि कोरियोग्राफी दीपिका रेड्डी ने की। इसके बाद थक्कुवेमि मनकु और रुद्रमा प्रवेशम् जैसी प्रस्तुतियों ने मंच पर समां बांध दिया। सौराष्ट्र रागम् और आदि तालम् में निबद्ध यह प्रस्तुति तेलंगाना के प्रसिद्ध वाग्गेयकार रामदासु द्वारा रचित एक मधुर रचना है। वे भगवान श्रीराम के अनन्य भक्त थे।
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कथक की प्रस्तुति ने मोहा दर्शकों का मन
कथक की प्रस्तुति में एलियोनोरा पेट्रोवा और तातियाना नाजारोवा, रूस ने भारतीय दर्शकों को अपनी भाव-भंगिमाओं से मंत्रमुग्ध कर दिया। इसके बाद ध्रुपद 'पूजन चली महादेव' को अपनी आकर्षक भाव-भंगिमाओं से व्यक्त करते हुए दर्शकों का मन मोह लिया। इसके बाद, केरल के मोहिनीअट्टम में गायत्री मधुसूदन ने भगवान शिव की सुंदरता और शक्ति को प्रस्तुत किया। इस रचना को महान चित्रकार राजा रवि वर्मा द्वारा लिखे गए गीतों से सजाया गया। अगली प्रस्तुति तीनताल में प्रस्तुत किया। जो जयपुर घराने से संबद्ध थी। अंतिम प्रस्तुति पारंपरिक गजल "बहार" प्रस्तुत कर विराम दिया।
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भीम और हनुमान के बीच साहसिक संवाद का नाटक
तीसरे दिन की अंतिम प्रस्तुति कथकली के महान कलाकार सदानम के. हरिकुमार ने महाभारत से एक कथा प्रस्तुत की, जिसमें भीम और हनुमान के बीच एक साहसिक संवाद को नाटकीय रूप में दिखाया गया। नृत्य, संगीत और अभिनय के सौंदर्यपूर्ण मिश्रण का नृत्य कथकली, जिसमें अधिकतर भारतीय महाकाव्यों से ली गई कथाओं का नाटकीकरण किया जाता है।
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बाल नृत्य महोत्सव भी आयोजित
खजुराहो के मंदिरों के सौंदर्य और महत्ता को और भी उजागर करने के लिए जीवाजी विश्वविद्यालय के इतिहास विभाग के रिटायर्ड विभागाध्यक्ष डॉ. शिवाकांत द्विवेदी ने एक व्याख्यान दिया, जिसमें उन्होंने खजुराहो के मंदिरों की स्थापत्य कला और नक्काशी पर विस्तृत चर्चा की। समारोह में खजुराहो बाल नृत्य महोत्सव भी आयोजित किया गया, जिसमें कथक की प्रस्तुति कुमारी शुभदा मेड़तिया और ज्योति तोमर ने अपने शानदार अभिनय और नृत्य से दर्शकों को प्रभावित किया।
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