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Photograph: (The Sootr)
BHOPAL. मध्य प्रदेश के सरकारी अमले में 877 नए कर्मचारी शामिल हो गए हैं। मुख्यमंत्री डॉ.मोहन यादव ने शुक्रवार को वन क्षेत्रपाल, वनरक्षकों के अलावा डॉक्टर, सर्जन और नर्सिंग ऑफिसर्स को नियुक्ति पत्र प्रदान किए हैं। कुशाभाऊ ठाकरे कन्वेंशन सेंटर में वन विभाग के 543 जबकि स्वास्थ्य विभाग के 334 अधिकारी और कर्मचारियों को नियुक्ति पत्र प्रदान करते हुए उन्हें दायित्व भी सौंपे गए हैं।
वन और स्वास्थ्य अमला होगा मजबूत
सीएम डॉ.मोहन यादव ने 7 नवम्बर को कुशाभाऊ ठाकरे इंटरनेशनल कन्वेंशन सेंटर में जिन अधिकारी और कर्मचारियों को नियुक्ति पत्र सौंपे हैं वे अब अपने विभागों में दायित्व संभालेंगे। इनमें वन विभाग के 76 क्षेत्रपाल और 467 वन रक्षक शामिल हैं। वहीं स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग के 75 एनिस्थीसिया विशेषज्ञ, 62 सर्जन, 106 शिशु रोग विशेषज्ञ और 91 नर्सिंग कर्मचारियों को नियुक्ति पत्र मिले हैं।
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परीक्षा और प्रशिक्षण के बाद नियुक्ति
लोक स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग के लिए मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग द्वारा साल 2024-25 में भर्ती परीक्षा का आयोजन किया गया था। जिसके परिणाम के आधार पर 75 एनिस्थीसिया विशेषज्ञ, 62 सर्जरी विशेषज्ञ, 106 शिशु रोग विशेषज्ञ एवं 91 नर्सिंग कर्मचारियों का चयन किया गया था। वहीं मध्यप्रदेश कर्मचारी चयन मंडल की वनरक्षक भर्ती परीक्षा 2022-23 के जरिए 467 पदों पर वनरक्षकों को चुना गया था।
वनरक्षक के पद पर चयनित अभ्यर्थी वन प्रशिक्षण विद्यालयों से प्रशिक्षण पूरा कर चुके हैं। वहीं एमपीपीएससी की वन क्षेत्रपाल भर्ती परीक्षा 2020-21 के माध्यम से 76 अभ्यर्थियों का चयन हुआ था। ये भी देश की विभिन्न अकादमियों में 18 माह का प्रशिक्षण पूर्ण कर चुके हैं।
मजबूत होगी वनों की सुरक्षा
वन विभाग को 543 नए कर्मचारी मिलने से जंगलों की सुरक्षा मजबूत होगी। कर्मचारियों की कमी की वजह से अभी प्रदेश के वन क्षेत्रों में बीट खाली हैं। कई परिक्षेत्रों में एक वनरक्षक या क्षेत्रपाल के पास दोहरे-तिहरे दायित्व हैं। इस वजह से वन क्षेत्रों में गश्त व्यवस्था चरमराई हुई है। शुक्रवार को 467 वनरक्षक और 76 क्षेत्रपाल मिलने से जिलों में समस्या खत्म हो जाएगी।
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डॉक्टरों की कमी होगी दूर
स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग को भी 334 डॉक्टर, सर्जन और नर्सिंग ऑफिसर मिले हैं। अभी कई जिला और सिविल अस्पतालों में एनिस्थीसिया एक्सपर्ट नहीं होने के कारण ऑपरेशन नहीं हो पा रहे हैं। सिजेरियन प्रसव की व्यवस्था भी कई अस्पतालों में ठप है। वहीं अस्पतालों में सर्जन, शिशु रोग विशेषज्ञों के अलावा मरीजों की देखरेख करने वाले नर्सिंग स्टाफ की भी भारी कमी है। नियुक्ति पत्र मिलने के बाद मेडिकल कॉलेज और अस्पतालों को 75 एनिस्थीसिया एक्सपर्ट और 168 डॉक्टर मिल जाएंगे। वहीं 91 नर्सिंग कर्मचारियों की कमी पूरी होगी। इसका लाभ मरीजों को मिलेगा।
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