इंदौर जिले में वक्फ बोर्ड संपत्तियों की दूसरी बार जांच की जा रही है। एक और जांच इसके पूर्व की जा चुकी है। यहां पर वक्फ बोर्ड की कुल 645 संपत्तियां दर्ज हैं। इनमें से कई संपत्तियों की जांच पहले भी की गई थी, लेकिन प्रारंभिक रिपोर्ट को खारिज करते हुए अब एक बार फिर सर्वे और जांच का कार्य दोबारा शुरू कर दिया गया है। राजस्व विभाग की टीम इस नई जांच में जुटी है। जानकारी के अनुसार, इंदौर सहित मध्यप्रदेश के तीन जिलों में वक्फ संपत्तियों की जांच पहले से ही जारी है। पहले की गई जांच करीब 60% पूरी हो चुकी थी, लेकिन अब नए सिरे से तथ्यों का सत्यापन किया जा रहा है।
दरगाह और मीर स्थान के नाम पर कृषि भूमि का उपयोग
25 अगस्त 1980 को राजपत्र में प्रकाशित इन संपत्तियों की समीक्षा में पाया गया कि ग्रामीण क्षेत्रों में सुन्नी समुदाय की दरगाह और मीर स्थान के नाम पर दर्ज जमीनों का कृषि उपयोग हो रहा है। पिछड़ा वर्ग विभाग के सहायक संचालक सुमित रघुवंशी ने पुष्टि की है कि जांच राजस्व अमले द्वारा की जा रही है और अनेक मानकों पर रिपोर्ट तैयार की जा रही है, जिसमें समय लग सकता है।
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शिकायतों के आधार पर दोबारा जांच
विभिन्न शिकायतों के अनुसार, वक्फ बोर्ड की कई संपत्तियों पर खरीद-फरोख्त, किरायेदारी और अन्य अनियमितताएं सामने आई हैं। कुछ मामलों में निजी जमीनें भी वक्फ बोर्ड के नाम दर्ज कर दी गई थीं। यहां तक कि कुछ मंदिरों की भूमि भी बोर्ड के रिकॉर्ड में शामिल पाई गई है। अब इन त्रुटियों का मिलान कर सुधार की प्रक्रिया चल रही है।
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विवादों, अतिक्रमण और कोर्ट मामलों की भी हो रही जांच
जांच में निम्न बिंदुओं पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है:
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संपत्तियों की वर्तमान स्थिति
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कितनी जमीन है, क्या उस पर अतिक्रमण है
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उसका वास्तविक उपयोग क्या है
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क्या वह जमीन कोर्ट में विवादित है या वक्फ बोर्ड से संबंधित विवाद में है
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जिलेवार संपत्ति वितरण
प्रारंभिक रिपोर्ट के अनुसार, सबसे ज्यादा 187 संपत्तियां जूनी इंदौर तहसील में हैं। अन्य क्षेत्रों में स्थिति कुछ इस प्रकार है:
IIT दिल्ली की टीम द्वारा वक्फ संपत्तियों की सर्वे प्रक्रिया और वामसी-एमपी पोर्टल पर ऑनलाइन सत्यापन का अवलोकन किया गया है।
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कई संपत्तियों की आय शून्य, कुछ कृषि भूमि में तब्दील
वक्फ अधिनियम 1954 की धारा 5(1) के अंतर्गत 31 मार्च 1987 को प्रकाशित एक रिपोर्ट के मुताबिक, कई वक्फ संपत्तियों से कोई आय प्राप्त नहीं होती। कुछ संपत्तियां कृषि भूमि के रूप में दर्ज थीं, लेकिन उस समय भी उनकी कोई आमदनी नहीं दर्शाई गई थी।
बेवसाइट पर बताया तीन तरह से हो रही आय
मप्र वक्फ बोर्ड की वेबसाइट पर वर्ष 2008-09 से 2021-22 तक का आय विवरण उपलब्ध है। इसमें बताया गया है:
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15.75 करोड़ रुपए सरकारी ग्रांट के रूप में
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14.22 करोड़ रुपए चंदा व निगरानी से
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2.37 करोड़ रुपए अन्य स्रोतों से प्राप्त हुए
कुल मिलाकर वक्फ बोर्ड को 14 वर्षों में 32.84 करोड़ रुपए की आय हुई है। हालांकि, इन पैसों के खर्च का विस्तृत ब्यौरा वेबसाइट पर नहीं दिया गया है।
जांच प्रक्रिया अंतिम चरण में, जल्द रिपोर्ट
इंदौर कलेक्टर आशीष सिंह के अनुसार, “जांच अंतिम चरण में है। हम संपत्तियों की जमीनी स्थिति जानना चाहते हैं। अगले कुछ सप्ताह में रिपोर्ट तैयार हो जाएगी।”