इंदौर निगमायुक्त की फटकार पड़ी तो करोसिया ने खोल डाला फर्जी अनुकंपा नियुक्ति कांड
करोसिया ने पत्र लिखकर कहा कि जिस अनुकंपा नियुक्ति को लेकर निगमकर्मी की दूसरी अघोषित पत्नी कविता और मां कमला आमने–सामने हो गई थीं, मूल रूप से उस निगमकर्मी पंकज की ही नियुक्ति फर्जी तरीके से हुई थी।
इंदौर के नगर निगम में दो दिन पूर्व हुई जनसुनवाई में नगर निगम आयुक्त शिवम वर्मा की एक फटकार की गूंज इतनी जोरदार रही कि उसके कारण फर्जी अनुकंपा नियुक्ति कांड खुल गया है। निगम के स्वास्थ्य सेवा यूनिट प्रभारी राजेश करोसिया ने इस नियुक्ति को लेकर पत्र लिखकर खुलासे किए हैं।
जिस मामले में फटकार मिली, पहले उसी पर सवाल
करोसिया ने पत्र लिखकर कहा कि जिस अनुकंपा नियुक्ति को लेकर निगमकर्मी की दूसरी अघोषित पत्नी कविता और मां कमला आमने–सामने हो गई थीं, मूल रूप से उस निगमकर्मी पंकज की ही नियुक्ति फर्जी तरीके से हुई थी।
पंकज ने मामा को बता दिया था पिता
निगमायुक्त को जो पत्र करोसिया ने लिखा है, उसमें खुलासा किया गया है कि नगर पालिका निगम स्वास्थ्य विभाग में मृतक सफाई मित्र पंकज पिता कमल की मूल नस्ती का निरीक्षण परीक्षण किया गया। इसमें यह पाया गया कि पंकज ने मेडिकल आधार पर अपने मामा कमल धौलपुरे के स्थान पर अनुकंपा नियुक्ति प्राप्त की थी, जबकि कमल धौलपुरे का पुत्र नहीं है। वह मनोहर कल्याणे का पुत्र है। निगम रिकॉर्ड में मामा कैसे पिता हो गए, यह जांच का विषय है। बताया गया कि पंकज उसके मामा के परिवार का भरण-पोषण करता था। कायदे से पंकज के बाद उसकी नौकरी उसके मामा कमल धौलपुरे के पुत्रों को मिलनी चाहिए थी। वर्ष 2001 से पंकज की नौकरी लगी थी, जो स्थायी कर्मचारी के वेतन पर था।
करोसिया ने बताया कि नगर निगम में जो आवेदन कविता ने किए थे, उसमें उसने लिखा कि मेरे पति पंकज का दिनांक 02/06/2024 को निधन हो गया, जिसका एम्प्लॉय कोड 229096 जोन क्रमांक 02 वार्ड क्रमांक 69 में कार्यरत थे। इस संबंध में मूल नस्ती का परीक्षण संबंधित जोन क्रमांक 02, प्रभारी क्लर्क एवं मेरे द्वारा आवेदन पर परीक्षण किया तो पाया गया कि शासकीय रिकॉर्ड में स्व. पंकज (मृतक) की पत्नी का नाम वारिसनामे में दीपिका दर्ज है, जबकि दूसरी पत्नी कविता का शासकीय रिकॉर्ड में किसी भी दस्तावेज में नाम अंकित नहीं है।
करोसिया ने आरोप लगाया है कि अनुकंपा नियुक्ति व मृतक के पैसों की जानकारी के लिए मृतक के वारिसों को सूचना पत्र दिए गए, लेकिन आज दिनांक तक किसी भी नॉमिनेशन दर्ज वारिसों द्वारा कोई जवाब प्रस्तुत नहीं किया गया है। इसी कारण मृतक कर्मचारी (सफाई मित्र) पंकज पिता कमल जोन क्रमांक 2 वार्ड क्रमांक 69 एम्प्लॉय कोड नंबर 229096 की आज दिनांक तक सेवा समाप्त नहीं की गई है। इसकी जानकारी उन्होंने अधिकारियों को दी थी, जिसमें बताया था कि विधि-विधान अनुसार अनुकंपा नियुक्ति म.प्र. शासन के जारी नियम आदेश क्रमांक सी 3-12/2013/1/3 भोपाल दिनांक 29 सितंबर 2014 के अनुसार बिना रिकॉर्ड में अंकित कविता पति पंकज, जो रिकॉर्ड अनुसार पत्नी नहीं है, अन्य परिवार की सहमति शपथ पत्र भी प्रस्तुत नहीं होने से अनुकंपा नियुक्ति दी जाना संभव नहीं होगा।
राजेश करोसिया ने अपने पत्र में यह आरोप लगाया है कि जनसुनवाई के दौरान ही उन्होंने जानकारी दी थी कि यदि गलत तरीके से अनुकंपा दी गई तो लोकायुक्त में प्रकरण दर्ज होगा। नियमों के विरुद्ध नियुक्ति देने पर हमारी नौकरी भी जा सकती है अथवा हमें जेल जाना भी पड़ सकता है। इस पर किसी ने स्पष्टीकरण सुना ही नहीं और मुझे नियमों के विरुद्ध बिना पक्ष सुने, बिना सूचना पत्र, आरोप पत्र दिए सीधा निलंबित कर दिया गया। उनका कहना है कि अगर मैं फटकार सुनकर फर्जी नियुक्ति आदेश जारी कर देता तो लोकायुक्त का प्रकरण बनता और जेल जाना पड़ता। इससे तो अच्छा है कि फटकार सुनकर सस्पेंड हो गया।
करोसिया ने निगमायुक्त को लिखे पत्र में यह भी कहा है कि मैं इंदौर नगर निगम में सफाई कर्मचारी प्रभारी स्वास्थ्य सेवा यूनिट होने के साथ-साथ ट्रेड यूनियन, राज्य सफाई कर्मचारी मोर्चा के प्रदेश महासचिव, भारत के वाल्मीकि समाज के संगठन अखिल भारतीय वाल्मीकि महासभा का राष्ट्रीय अध्यक्ष, सहकारी साख संस्था का अध्यक्ष व समाज एवं कर्मचारी संगठनों में कई दायित्वों पर कार्यरत हूं। मेरी प्रदेश व देश में प्रतिष्ठा है। मीडिया के माध्यम से मेरे निलंबन की सूचना संपूर्ण भारत वर्ष में पहुंची और वरिष्ठजनों के फोन आ रहे हैं कि आपकी छवि खराब/धूमिल कर दी गई है।
पत्र में लिखा मुझे मानसिक प्रताड़ना हुई
सफाईकर्मी ने भांजी का नाम दर्ज करवाया तो पत्नी ने ली आपत्ति
उन्होंने बताया कि नगर निगम में अनुकंपा नियुक्ति को लेकर ही एक अन्य प्रकरण विचाराधीन है। इसमें जोन क्र.16 के वार्ड क्र.1 के सफाई मित्र राजू घावरी ने निगम के दस्तावेजों में अपनी भांजी अंजू पिता गोविंद का नाम दर्ज करवा रखा था। राजू की मौत के बाद उसकी पत्नी अंजना पति राजू घावरी निगम में अनुकंपा नियुक्ति का आवेदन लेकर पहुंच गई। इस पर रिकॉर्ड में चूंकि भांजी अंजू का नाम दर्ज था, तो दोनों को पत्र लिखकर सेशन कोर्ट से वारिसनामे का प्रमाण लाने के लिए कह दिया। उन्होंने बताया कि इस प्रकरण में अंजना राजू की पत्नी है, किंतु राजू द्वारा अपनी पत्नी का नाम न लिखवाते हुए अपनी भांजी अंजू का नाम लिखवाया। हालांकि अंजू के नॉमिनेशन पर अधिकारी के हस्ताक्षर नहीं होने के कारण पत्नी व भांजी, दोनों को ही वारिस नहीं माना गया। निगम ने इन्हें न्यायालय भेजा और न्यायालय से वारिसनामे की मांग की, फिर इस पंकज के प्रकरण में कोर्ट से वारिसनामा क्यों नहीं मांगा गया? यह दोहरी नीति राजनीतिक दबाव में नियमों के विरुद्ध कार्य करने का संकेत देती है, फिर भी मुझे निलंबित किया गया।
पत्नी और भांजी दोनों को कोर्ट जाने का कहा
कम से कम तीन से चार प्रकरण और अटके हुए हैं
उन्होंने बताया कि नगर निगम में फिलहाल अनुकंपा नियुक्ति को लेकर कम से कम तीन से चार प्रकरण और अटके हुए हैं। उसमें भी इसी तरह के पेंच आ रहे हैं। नगर निगम कर्मचारी इसमें बिना कोर्ट के आदेश के कार्रवाई नहीं कर रहे हैं। असल में इसके पूर्व भी फर्जी अनुकंपा नियुक्ति को लेकर निगमकर्मियों पर गाज गिर चुकी है। जिसमें डॉ. पुराणिक (एचओ) को दो साल की सजा हो चुकी है और चार अन्य कर्मचारियों को भी सजा हो चुकी है।