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Indore News:मध्य प्रदेश में संभवतः अब तक का सबसे बड़ा टैक्स डिमांड नोटिस सेंट्रल जीएसटी और एक्साइज कमिश्नरेट इंदौर ने गुटखा किंग किशोर वाधवानी और उनके साथियों के खिलाफ जारी किया है। इस खुलासे से पूरे देश में हड़कंप मच गया है। यह खुलासा 9 दिसंबर को द सूत्र ने किया था। अब द सूत्र एक और बड़ा खुलासा कर रहा है।
इस मामले में सेंट्रल एक्साइज विभाग के 71 अधिकारियों पर गंभीर आरोप हैं। इन सभी पर विभाग ने जांच बैठा दी है। विभाग की विजिलेंस विंग ने भी इस मामले की जांच शुरू कर दी है।
वो 71 अधिकारी, मुख्य तौर पर सुपरिटेंडेंट स्तर
विभाग के नियम के अनुसार जब किसी कंपनी को सिगरेट बनाने का लाइसेंस दिया जाता है तो इसमें फैक्टरी के बाहर 24 घंटे अधिकारी की ड्यूटी तैनात होती है।
इसका काम होता है कि तय उत्पादन और नंबर एक में ही उत्पादन हो। कारण है कि इसमें ड्यूटी बहुत ज्यादा होती है। ऐसे में नंबर दो में माल बनने पर टैक्स चोरी बहुत मात्रा में होती है।
जून 2020 में जब विभाग ने छापा मारा और 2017 से 2020 तक की टैक्स चोरी का हिसाब निकाला, तो सवाल उठा कि जो अधिकारी ड्यूटी पर थे, उन्होंने क्या किया। इसके बाद एलोरो टोबेको कंपनी की फैक्ट्री के बाहर ड्यूटी पर तैनात अधिकारियों की एक लिस्ट बनाई गई। पता चला कि इनकी संख्या 71 थी। इन सभी को नोटिस भेजे गए हैं। ये ज्यादातर सुपरिटेंडेंट स्तर के अधिकारी हैं।
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11 से टैक्स डिमांड के दौरान ही पूछताछ हुई
जब टैक्स डिमांड नोटिस तैयार हो रहा था, तो पूरी प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने और मामले को सही तरीके से साबित करने के लिए उन 11 अधिकारियों को बुलाया गया, जिनकी ड्यूटी ज्यादा समय तक लगी थी। उनसे पूछताछ की गई और पूछा गया कि यह टैक्स चोरी कैसे हुई और क्या आपने मटेरियल या किसी दूसरी चीज़ का ध्यान नहीं रखा। इस पर सभी ने साफ-साफ जवाब दिया और कहा कि उन्होंने अपनी ड्यूटी ईमानदारी से की है। उन्हें कोई जानकारी नहीं थी कि पीछे से कोई गुप्त रास्ते से माल लाया-लिया जा रहा था।
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यह है वह 71 अधिकारी
मनोज कुरूप, आसिफ इकबाल, केनेथे फ्रांसिस गोंजाल्विस, पंकज बजाज, नरेश उपमन्यु, पियूष महेशवरी, किशन लाल कंकरवाल, दिनेश चौहान, दीपक पाल, अमित कुमार, बृजमोहन मीणा, नवीन, अंकित कुमार मीणा, चंद्रलेखा गोयलित, नितिन कुमार गुप्ता, अनिल वर्मा, प्रतीक्षित पांडे, दिनेश कटेकर, महेंद्र मीणा, सूर्य भान सिंह, कौशल सिंह शेखावत, शिरिष द्विवेदी, संदीप कुमार, प्रेरणा खंडेलवाल, गौरव तिवारी, सुनित पटेल, वर्षा देवरा, मनोज ठाकुर, हर्षित सिंह, दिनेश रायकवार, अजय कुमार, कृष्णकांत तिवारी, शिवम शुक्ला, विनायक गजभिए, मीना सोनी, वंदना धानितकर, नितिन जैन, अल्ताफ आलम, मंजूर खान, संदीप कुमार, सुरेश रामभड़, गजेंद्र शर्मा, राजेंद्र प्रसाद, निशांत राज सिंह, रोहित, आकाश प्रताप चौहान, जितेंद्र यादव, सुजान साबू पुन्नोसे, नितिश भावसार, रवि सिंह महेश मीणा, सुनील रघुवंशी, अनिल गावड़े, पवन खोड़ा, मुनीराम मीणा, अमित कुमार, मनीष त्रिवेदी, मयंक उत्तम, चंदन यादव, शैलेष शर्मा, संदीप, भरत बाथम, जैकी अग्रवाल, हर्षद दिघे। निशांत सागर, नितिन कुमार, संदीप सिंह, अर्पित जैन, अनिल कुमार कडवार और नमन बाजपेयी।
इन 11 को नोटिस देकर हुई पूछताछ
टैक्स डिमांड के दौरान इसमें से 11 अधिकारी जिनकी ड्यूटी अधिक लगी थी, उनसे पूछताछ की गई थी। इसमें अंकित मीणा, बृजमोहन मीणा, दिनेश कटेकर, कौशल सिंह शेखावत, रवि सिंह, विनायक गजभिए, भरत बाथम, जितेंद्र यादव, मंजूर खान व सुरेश रामभड़ हैं।
इन सभी को गया है 2002 करोड़ का टैक्स नोटिस
मेसर्स एलोरो टोबेको, दबंग दुनिया पब्लिकेशन, किशोर वाधवानी, श्याम खेमानी, अनमोल मिश्रा, धर्मेंद्र पीठादिया, राजू गर्ग, मेसर्स शिमला इंडस्ट्रीज प्रालि, देवेंद्र द्विवेदी, विनायका फिल्ट्रेड प्रालि, विनोद बिदासरिया, रमेश परिहार, टीएएन इंटरप्राइजेस, एसआर ट्रेडिंग, निश्का इंटरप्राइजेस, मेसर्स इंक फ्रूट, मेसर्स एमएन इंटरप्राइजेस, मेसर्स रानी प्रेस प्रालि, जोहर हसन, एनजी ग्राफिक्स एंड ब्लाक मेकर।
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इतनी राशि का बना टैक्स
- यह नोटिस कुल 2002 करोड़ रुपए का है।
- इसमें जीएसटी 151 करोड़ का, जिसमें 75.82 करोड़ सेंट्रल जीएसटी, 75.82 करोड़ स्टेट जीएसटी है।
- सेस लगा है 1794 करोड़।
- एक्साइज ड्यूटी लगी है 76.67 करोड़ रुपए की।
इतने सालों में की गई है यह टैक्स चोरी
यह टैक्स चोरी जुलाई 2017 से 10 जून 2020 के बीच की हुई है। जून 2020 में इन सभी ग्रुप पर छापे मारे गए थे।
- 1 जुलाई 2017 से 17 जुलाई 2017 तक टैक्स चोरी- 24.08 करोड़ की
- 18 जुलाई 2017 से 6 जुलाई 2019 तक टैक्स चोरी- 1345.73 करोड़ की
- जुलाई 2019 से 1 फरवरी 2020 तक टैक्स चोरी- 418.78 करोड़ की
- 2 फरवरी 2020 से 10 जून 2020 तक टैक्स चोरी- 157.63 करोड़
(इस तरह कुल 1946.23 करोड़ की टैक्स चोरी, 76.67 करोड़ की एक्साइज ड्यूटी चोरी- कुल 2002 करोड़ की टैक्स चोरी का नोटिस)
सुप्रीम कोर्ट आर्डर के बाद आया नोटिस
वाधवानी और एलोरा ग्रुप ने इस पूरे मामले में मामला लटकाने के लिए काफी लंबी कानूनी लड़ाई लड़ी। यह मामला हाईकोर्ट से होते हुए सुप्रीम कोर्ट तक गया। इस साल, हाईकोर्ट ने आखिरकार याचिकाकर्ता पर दो लाख की पेनल्टी लगा दी और कहा कि वह बेवजह केस को खींच रहे थे। इसके बाद ग्रुप ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की, और 2 दिसंबर 2025 को सुप्रीम कोर्ट ने यह केस खारिज कर दिया, साथ ही हाईकोर्ट के इंदौर वाले फैसले को सही ठहराया। इस फैसले के बाद लंबे समय से अटके हुए टैक्स डिमांड नोटिस को अब जारी कर दिया गया और यह संबंधित पक्षों को भेज दिया गया।
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