भोपाल में होगी धर्म संसद, देवकीनंदन ठाकुर समेत 13 अखाड़ों के साधु-संत और लाखों श्रद्धालु होंगे शामिल

प्रयागराज में महाकुंभ 2025 के दौरान धर्म संसद का आयोजन किया गया था। इस दौरान वक्फ बोर्ड की तर्ज पर सनातन बोर्ड का गठन और कई अन्य प्रस्तावों पर सहमति बनी थी।

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Sandeep Kumar
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Dharma Sansad Bhopal
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MP की राजधानी भोपाल में राष्ट्रीय धर्म संसद का आयोजन होगा। धर्म संसद के मंच पर देवकीनंदन ठाकुर समेत 13 अखाड़ों के प्रतिनिधि, प्रमुख साधु-संत और राष्ट्रीय कथावाचक शामिल होंगे। सभी पीठों के शंकराचार्यों को भी आमंत्रित किया गया है। पिछली धर्म संसद का आयोजन प्रयागराज महाकुंभ 2025 में हुआ था।

सनातन वृक्ष की सभी शाखाएं एकजुट रहें

अखिल भारतीय संत समिति मध्यप्रदेश के कार्यकारी अध्यक्ष ने कहा कि हिंदू विभाजन का षडयंत्र सदियों से चल रहा है। आदि शंकराचार्य ने सनातन को एक रखने के लिए चारों धाम की स्थापना की थी। कुंभ जैसे पवित्र आयोजन भी सनातन एकता और समरसता के लिए होते रहे हैं।

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अब कुछ ग्रंथों और चौपाइयों पर विरोध हो रहा है। उन्होंने इसे विधर्मियों का प्रहार बताया। विदेशी ताकतों का इसमें शामिल होना भी संभव है। हिंदू समाज को जाति और वर्ण के विवादों में बांटकर स्वार्थ सिद्धी की जा रही है। यह सवाल उठता है कि यह कौन लोग हैं। उन्होंने कहा कि सनातन वृक्ष की सभी शाखाएं एकजुट रहें। इसके लिए धर्म संसद का आयोजन किया जाएगा, ताकि सभी जाति, वर्ण और वर्ग एक मंच पर आएं।

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ऐसे आयोजन बीजेपी-RRS की मानसिकता के कारण 

कांग्रेस के अनुसूचित जाति विभाग प्रदेशाध्यक्ष प्रदीप अहिरवार ने कहा कि जाति वर्ग संघर्ष का कारण बीजेपी की गलत नीति और आरएसएस की मानसिकता है। उन्होंने सवाल किया कि क्यों एक वर्ग को संवैधानिक अधिकारों से वंचित किया जा रहा है, जबकि संविधान में सभी को समान अधिकार हैं।

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इटावा में कथावाचक के साथ हुई घटना को संविधान का उल्लंघन बताया। अहिरवार ने कहा कि सभी को अपने विवेकानुसार कथा, शास्त्र और पुराणों का वाचन करने का अधिकार है। बीजेपी और कुछ संतों को इस पर आपत्ति है, जो संविधान को नहीं मानते। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि ऐसे आयोजन आरएसएस की मानसिकता के कारण होते हैं। बीजेपी और आरएसएस पर जाति वर्ग विघटन का बड़ा कारण होने का आरोप लगाया।

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5 प्वाइंट्स में समझें पूरी स्टोरी

👉 धर्म संसद का आयोजन: मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में राष्ट्रीय धर्म संसद का आयोजन होने जा रहा है। इस आयोजन में 13 अखाड़ों के प्रतिनिधि, प्रमुख साधु-संत और राष्ट्रीय कथावाचक शामिल होंगे। 

👉 हिंदू समाज की एकता पर जोर: अखिल भारतीय संत समिति के अध्यक्ष ने कहा कि हिंदू समाज को जाति और वर्ग विवादों से बचाया जाएगा। धर्म संसद का उद्देश्य सनातन धर्म की एकता और समरसता बढ़ाना है।

👉 राजनीतिक आलोचना: कांग्रेस के नेता प्रदीप अहिरवार ने बीजेपी और आरएसएस पर जाति वर्ग संघर्ष को बढ़ावा देने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि संविधान में सभी को समान अधिकार मिलते हैं, लेकिन बीजेपी और कुछ संतों को इस पर आपत्ति है, जो संविधान का उल्लंघन है।

👉 बीजेपी का बचाव: बीजेपी प्रवक्ता अजय सिंह यादव ने कांग्रेस पर तुष्टिकरण की राजनीति करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि बीजेपी और साधु-संत सनातन धर्म के रास्ते पर काम कर रहे हैं, जबकि कांग्रेस को सनातन धर्म और संविधान से आपत्ति है।

👉धर्म संसद के प्रस्ताव और विवाद: महाकुंभ 2025 में हुई पिछली धर्म संसद में कई प्रस्तावों पर सहमति बनी। इनमें सनातन धर्म के सिद्धांतों को फैलाना और प्राचीन मंदिरों की सुरक्षा शामिल थी। हालांकि, सनातन धर्म और शास्त्रों को लेकर कई राज्यों में विवाद हो रहे हैं, जिन्हें सनातन विरोधी ताकतों की साजिश बताया जा रहा है।

कांग्रेस सनातन-संविधान का सम्मान नहीं करती

बीजेपी प्रदेश प्रवक्ता अजय सिंह यादव ने कहा कि धर्म, सनातन, नीति और धार्मिक निर्णय का कार्य साधु-संतों का है। बीजेपी भी साधु-संतों का सम्मान कर लोक कल्याण के लिए सनातन के रास्ते पर काम कर रही है। केंद्र और बीजेपी शासित राज्यों में संविधान और सनातन सर्वोपरि हैं। 

अजय ने आरोप लगाया कि कांग्रेस न तो सनातन और न ही संविधान का सम्मान करती है। कांग्रेस को सनातन, साधु-संत, सन्यासी और धर्म संसद जैसे शब्दों से आपत्ति है। यादव ने यह भी कहा कि कांग्रेस केवल तुष्टिकरण के लिए राजनीति करती है। उन्होंने सवाल किया कि राम राज्य की स्थापना के लिए ऐसे आयोजनों से कांग्रेस को क्यों आपत्ति है।

महाकुंभ 2025 में पिछली धर्म संसद

प्रयागराज में महाकुंभ 2025 के दौरान धर्म संसद का आयोजन किया गया था। इस दौरान वक्फ बोर्ड की तर्ज पर सनातन बोर्ड का गठन और कई अन्य प्रस्तावों पर सहमति बनी थी।

इन प्रस्तावों में हिंदू धर्म के विभिन्न पंथों और परंपराओं को एकजुट करना, सनातन धर्म के सिद्धांतों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर फैलाना, प्राचीन मंदिरों और तीर्थ स्थलों की सुरक्षा और संवर्धन जैसे मुद्दे शामिल थे। इन प्रस्तावों पर अब विभिन्न धार्मिक संस्थान काम कर रहे हैं।

सनातन और शास्त्र को लेकर कई विवाद

सनातन धर्म और शास्त्र को लेकर कई विवाद सामने आए हैं। उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, बिहार, मध्यप्रदेश में लगातार विवाद उठे हैं। इटावा में कथावाचक का मामला, भोपाल में मनुस्मृति जलाने का विवाद, महाराष्ट्र में ऋषि वाल्मीकि के जाति पर विवाद और सुंदरकांड की चौपाई पर राजनीति हुई।

अखिल भारतीय संत समिति के कार्यकारी अध्यक्ष स्वामी अनिलानंद महाराज ने इसे सनातन विरोधी ताकतों की साजिश बताया। उनके अनुसार, यह प्रयास सनातन धर्म को तोड़ने के लिए किया जा रहा है। इस स्थिति को लेकर धर्म संसद का आयोजन किया जाएगा। इसमें देशभर से प्रमुख साधु संत और 13 अखाड़ों के प्रतिनिधि शामिल होंगे। देवकीनंदन ठाकुर और सभी शंकराचार्यों को भी आमंत्रित किया जाएगा।

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