हड़ताल पर नहीं, एडवोकेट एक्ट के विरोध में वकील रहे न्यायालय के कामों से विरक्त

एडवोकेट एक्ट में प्रस्तावित संशोधन के विरोध में अधिवक्ताओं ने आज न्यायिक कार्यों से विरक्त रहने का निर्णय लिया। जब हड़ताल के बारे में पूछा गया, तो अधिवक्ताओं ने स्पष्ट रूप से कहा कि वे हड़ताल पर नहीं हैं, बल्कि वे न्यायालय के कार्यों से विरक्त हैं।

author-image
Neel Tiwari
एडिट
New Update
THE SOOTR
Listen to this article
0.75x 1x 1.5x
00:00 / 00:00

एडवोकेट एक्ट में प्रस्तावित संशोधन के विरोध में अधिवक्ताओं ने आज न्यायिक कामों से विरक्त रहे। यहां एक बात खास थी कि हड़ताल के बारे में पूछने पर अधिवक्ताओं ने साफ बताया कि वह हड़ताल पर नहीं हैं बल्कि न्यायालय कामों से विरक्त हैं। 

अधिवक्ताओं ने जताई नाराजगी

जबलपुर बार एसोसिएशन के अध्यक्ष मनीष मिश्रा ने बताया कि यह संशोधन उनकी स्वतंत्रता को बाधित करेगा और उनके कार्य करने के अधिकार पर प्रभाव डालेगा। जबकि एडवोकेट एक्ट वर्तमान में पूरी तरह से सक्षम है और इसमें किसी भी प्रकार के बदलाव की आवश्यकता नहीं है। अधिवक्ताओं का कहना है कि वे एक स्वतंत्र निकाय की तरह कार्य करते हैं और पक्षकारों के अधिकारों की रक्षा करना उनका कर्तव्य है। यदि इस एक्ट में संशोधन होता है, तो यह उनकी स्वतंत्रता को प्रभावित करेगा और उनके कार्य करने की प्रक्रिया में अवरोध उत्पन्न करेगा। एक वरिष्ठ अधिवक्ता ने कहा, हम न्याय के प्रहरी हैं और हमारी स्वतंत्रता को किसी भी रूप में सीमित करने का कोई औचित्य नहीं है। यह संशोधन अधिवक्ताओं को पिंजरे में बंद करने जैसा होगा, जो हम स्वीकार नहीं करेंगे।

खबर यह भी...

जबलपुर रेलवे स्टेशन पर एसपी ने 11 जीआरपी कर्मियों को किया सस्पेंड, लेकिन फिर से हो गए बहाल

कोर्ट परिसरों में पसरा सन्नाटा

अधिवक्ताओं के विरोध के कारण कोर्ट परिसरों में सन्नाटा छाया रहा। अधिकांश न्यायालयों में फरियादियों को परेशानी का सामना करना पड़ा, क्योंकि उनके मामलों की सुनवाई नहीं हो सकी। अधिवक्ताओं ने स्पष्ट किया कि यह प्रदर्शन सिर्फ एक चेतावनी है, यदि सरकार ने उनकी मांगों को नहीं माना, तो वे आंदोलन को और तेज करेंगे।

क्या कहता है नया संशोधन एक्ट

भारत सरकार ने अधिवक्ता अधिनियम, 1961 में संशोधन करने का प्रस्ताव किया है, जिसका उद्देश्य कानूनी पेशे को अधिक पारदर्शी, निष्पक्ष और आधुनिक बनाना बताया जा रहा है। इस विधेयक के तहत वकीलों के आचरण, अनुशासन और उनके अधिकारों से संबंधित कई महत्वपूर्ण प्रावधान जोड़े गए हैं। सरकार का दावा है कि यह विधेयक कानूनी शिक्षा के स्तर को ऊंचा उठाने और न्याय प्रणाली की गुणवत्ता सुधारने में सहायक होगा। हालांकि, अधिवक्ताओं का मानना है कि यह विधेयक उन्हें कमजोर बनाने और उनके कार्यक्षेत्र को सीमित करने की दिशा में उठाया गया कदम है।

खबर यह भी...जबलपुर में फिल्म सिटी बनने का रास्ता साफ, 1 लाख युवाओं को मिलेगा रोजगार

हड़ताल नहीं न्यायालीन कामों से विरक्त

आपको बता दें कि मध्य प्रदेश राज्य बार काउंसिल के अध्यक्ष द्वारा राज्य के समस्त वकीलों को 23 मार्च, 2023 से अदालती कार्य से विरत रहने के लिए कहा गया था। इस हड़ताल का आवाहन हर तिमाही में 25 मामले समाप्त करने के विरोध में था। इसके बाद कोर्ट ने इस मामले में संज्ञान लिया था। हाईकोर्ट ने 24 मार्च 2023 को अपने आदेश में कहा था कि

एक वकील का कर्तव्य कानून के शासन को बनाए रखना है। यह वह है, जो एक वादी के कानूनी अधिकारों के लिए लड़ता है। जिला न्यायालय न्यायपालिका में लगभग 20 लाख मामले लंबित हैं और उच्च न्यायालय में 4 लाख से अधिक मामले लंबित हैं। माननीय उच्च न्यायालय द्वारा लंबित मामलों की संख्या को कम करने का हर संभव प्रयास किया जा रहा है। प्रतिवादी संख्या 1 (मध्य प्रदेश राज्य बार काउंसिल के अध्यक्ष) द्वारा अदालती काम से विरत रहने की मांग करना कानूनी पेशे के सुस्थापित सिद्धांतों के विपरीत है। प्रतिवादी संख्या 1 किसी अवैध कार्य को करने के लिए नहीं कह सकता है।

इसके बाद इस मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस की डबल बेंच में हुई थी जिसमें अवमानना के मामले में हाईकोर्ट ने 2023 के वकीलों की हड़ताल के लिए बिना शर्त माफी मांगने के बाद राज्य बार काउंसिल के खिलाफ अवमानना ​​की कार्यवाही को खत्म कर दिया था। इस मामले में आदेश पारित करते हुए चीफ जस्टिस सुरेश कुमार कैत और जस्टिस विवेक जैन की खंडपीठ ने 21 नवंबर के अपने आदेश में कहा था कि अवमाननाकर्ताओं द्वारा बिना शर्त माफी मांगने के मद्देनजर, हम अवमाननाकर्ताओं को अवमानना ​​कार्यवाही से मुक्त करते हैं। अब हड़ताल की जगह न्यायालय के कामों से विरक्त होने शब्द का इस्तेमाल शायद कोर्ट के द्वारा की गई पिछली कार्यवाही को लेकर ही किया जा रहा है।

खबर यह भी...

मध्यप्रदेश माध्यमिक शिक्षक भर्ती 2025 विवाद, हाईकोर्ट ने सरकार से मांगा जवाब

कोर्ट में फरियादियों ने खुद पेश किया अपना मामला

जबलपुर हाईकोर्ट में अधिवक्ताओं के न्यायालय कार्य से विरक्त रहने के कारण फरियादी खुद अपनी दलीलें पेश करते हुए हाईकोर्ट में नजर आए। जबलपुर हाईकोर्ट की लगभग सभी बेंच में यह देखने को मिला कि फरियादियों को अपने सीरियल नंबर और केस की भी ज्यादा जानकारी नहीं थी। जिसके कारण न्यायाधीशों को इन फरियादियों को मदद करनी पड़ी और कई कोर्ट में न्यायाधीश खुद फरियादियों के नाम के आधार पर केस संख्या ढूंढते हुए नजर आए। कोर्ट के नियमों से अनभिज्ञ कुछ फरियादी कोर्ट की डेट दिए जाने के बाद भी न्यायालय के सामने अपनी भावनाओं को दिखाते हुए रोते और गिड़गिड़ाते हुए नजर आए तो कुछ फरियादियों ने बिल्कुल प्रशिक्षित वकील की तरह कोर्ट के सामने अपना पक्ष भी रखा।

thesootr links

द सूत्र की खबरें आपको कैसी लगती हैं? Google my Business पर हमें कमेंट के साथ रिव्यू दें। कमेंट करने के लिए इसी लिंक पर क्लिक करें

 

एमपी स्टेट बार काउंसिल MP High Court MP News मध्य प्रदेश स्टेट बार काउंसिल एडवोकेट Jabalpur जबलपुर न्यूज lawyers strike Lawyers strike in Madhya Pradesh