एडमिशन एंड फी रेगुलेटरी कमेटी (AFRC) फीस निर्धारण की प्रक्रिया (Fee fixation process) में बड़ा बदलाव करने जा रही है। अब फीस तय करने के लिए टू-लेयर सिस्टम को लागू किया जाएगा। इस नए सिस्टम के तहत, कॉलेजों को अपनी संचालन लागत और खर्चों की पूरी जानकारी एएफआरसी सचिवालय को ऑनलाइन बतानी होगी। इसके लिए एक नया सॉफ्टवेयर तैयार किया जा रहा है, जिसमें कॉलेजों को सभी खर्चों की एंट्री करनी होगी।
सॉफ्टवेयर के जरिए खर्चों की पूरी जानकारी
सॉफ्टवेयर के जरिए कॉलेजों को चार प्रमुख मदों में होने वाले खर्च की जानकारी देनी होगी, जिनमें ह्युमन रिसोर्स, लर्निंग सोर्स, ऑपरेटिंग एक्सपेंडीचर और मिसलेनियस शामिल हैं। इन मदों के तहत लगभग 30 प्रकार के खर्चों का एनालिसिस किया जाएगा। पहले यह काम केवल बैलेंस शीट और चार्टर्ड अकाउंटेंट के जरिए किया जाता था, लेकिन अब एएफआरसी सचिवालय खुद इस कैलकुलेशन को प्रारंभिक तौर पर कर सकेगा।
सिस्टम में आएगी पारदर्शिता
इस नए सिस्टम से कमेटी के सदस्यों को फीस निर्धारण प्रोसेस में काफी सहूलियत होगी। उन्हें अब केवल सीए के ओर से दी गई जानकारी पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा। फीस निर्धारण के लिए दो अलग-अलग कैलकुलेशन की जाएगी- एक सीए के जरिए और दूसरी सॉफ्टवेयर के जरिए। इस तरह फीस निर्धारण के लिए टू-लेयर सिस्टम हो जाएगा। इससे फीस निर्धारण की प्रोसेस में पारदर्शिता (transparency) और सटीकता आएगी।
सिस्टम से कॉलेजों के डेटा की जांच होगी आसान
इस सॉफ्टवेयर के जरिए एएफआरसी को हर एक कॉलेज का डेटा आसानी से मिल सकेगा। यदि कोई कॉलेज तय मापदंड (set criteria) के मुताबिक वेतन भुगतान कर रहा है या नहीं और फैकल्टी पूरी है या नहीं, इन सारी जानकारियों के बारे में जानना आसान हो जाएगा। इस सिस्टम के जरिए कॉलेजों की व्यवस्थाओं की निगरानी की जा सकेगी और यह सुनिश्चित किया जा सकेगा कि सभी कॉलेज तय मानकों का पालन कर रहे है।
क्रॉस चेकिंग की होगी सुविधा
फीस निर्धारण (Fee fixation) में सीए की अहम भूमिका होती है, लेकिन अब सॉफ़्टवेयर के जरिए कॉलेजों के तरफ से दी गई जानकारी का सटीक कैलकुलेशन किया जा सकेगा। इससे न केवल पारदर्शिता आएगी, बल्कि फीस निर्धारण प्रक्रिया को क्रॉस चेक भी किया जा सकेगा। एएफआरसी ने यह सिस्टम सत्र 2025-26, 2026-27 और 2027-28 के लिए लागू करने की प्लानिंग की है।
इंजीनियरिंग कॉलेजों के लिए नए बदलाव
इस बार इंजीनियरिंग कॉलेजों के नंबर में बढ़त होने के कारण एएफआरसी एआईसीटीई की गाइडलाइन के मुताबिक जरूरी बदलाव करेगा, ताकि फीस निर्धारण की प्रक्रिया और ज्यादा सटीक और पारदर्शी हो सके।
नया सिस्टम, नई उम्मीदें
एएफआरसी सेक्रेटरी, डॉ. डीए हिण्डोलिया के मुताबिक, यह नया सॉफ्टवेयर फीस निर्धारण की प्रक्रिया को और सरल, पारदर्शी और प्रभावी बनाएगा। इसके जरिए कॉलेजों को अपने खर्चों की सही जानकारी देनी होगी, जिससे पूरे प्रदेश में शिक्षा क्षेत्र की गुणवत्ता में सुधार हो सकेगा।
thesootr links
द सूत्र की खबरें आपको कैसी लगती हैं? Google my Business पर हमें कमेंट के साथ रिव्यू दें। कमेंट करने के लिए इसी लिंक पर क्लिक करें