55 करोड़ गंवाने के बाद मध्य प्रदेश जल निगम ने फर्जी बैंक गारंटी पर लगाया डिजिटल लॉक

55 करोड़ रुपए की फर्जी बैंक गारंटी का शिकार बनने के बाद मध्‍य प्रदेश जल निगम ने अब ई-बैंक गारंटी प्रणाली लागू कर दी है, जिससे ठेकों में पारदर्शिता और सुरक्षा सुनिश्चित होगी।

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Ravi Awasthi
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Photograph: (The Sootr)

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Bhopal. फर्जी बैंक गारंटी से करीब 55 करोड़ रुपए गंवा चुके मध्यप्रदेश जल निगम ने अब ठेकों में पारदर्शिता लाने के लिए ई-बैंक गारंटी (e-BG) व्यवस्था लागू की है। इस तकनीक से निगम, बैंक और ठेकेदार के बीच जारी होने वाली हर गारंटी अब डिजिटली प्रमाणित होगी। इससे फर्जी दस्तावेज या छेड़छाड़ की कोई गुंजाइश नहीं रहेगी। यानी निगम ने अब यहां डिजिटल लॉक लगा दिया है।

बैंक से सीधा डिजिटल सत्यापन

निगम के प्रबंध संचालक के.वी.एस. चौधरी के अनुसार, ई-बैंक गारंटी व्यवस्था में अब किसी भी परियोजना के लिए जारी गारंटी सीधे बैंक पोर्टल से डिजिटल रूप में सत्यापित की जाएगी। इससे न केवल समय की बचत होगी, बल्कि फाइलों में होने वाली देरी और लिपिकीय गलतियाँ भी समाप्त होंगी।

बता दें कि इंदौर की तीर्थ गोपीकॉन कंपनी ने फर्जी बैंक गारंटी के जरिए पिछले साल निगम से 900 से अधिक गांवों का ठेका हासिल किया था। शुरुआत में उसे 55 करोड़ रुपए का भुगतान भी किया गया था, लेकिन बाद में उसके फर्जीवाड़े का खुलासा हो गया।

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‘जल रेखा’ बताएगी पाइपलाइन की दशा-दिशा

केंद्र की महत्वाकांक्षी योजना ‘हर घर नल से जल’ के तहत बिछाई जा रही पाइपलाइन अक्सर सवालों के घेरे में रही है। डिजिटल निगरानी तंत्र में ‘जल रेखा’ नामक फीचर से इस व्यवस्था को पारदर्शी बनाया गया है। सूत्रों के मुताबिक, निगम अब तक लगभग 2.03 लाख किमी लंबी पाइपलाइन का डिजिटल डाटा दर्ज कर चुका है।

इसे जीआईएस आधारित ऐप से जोड़ा गया है, जिसके जरिए बिछाई गई भूमिगत पाइपलाइन की गुणवत्ता, आकार, गहराई और दिशा का आसानी से पता लगाया जा सकेगा। बताया जाता है कि योजना में उपयोग की जा रही पाइपलाइन की उपयोग अवधि 30 वर्ष है। जल रेखा ऐप में पाइपलाइन के साथ ही पानी की टंकियों व अन्य संरचनाओं की जगह और फोटो भी दर्ज किए गए हैं।

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ई-ऑफिस का अब सौ प्रतिशत उपयोग

चौधरी के मुताबिक, ‘ई-ऑफिस’ सिस्टम के जरिए पानी की हर बूंद का लेखा-जोखा रखने वाला डिजिटल निगरानी तंत्र विकसित किया गया है। इसमें जल रेखा, धारा, निर्मल, जल समाधान और पंचायत दर्पण जैसे फीचर शामिल हैं।

मोबाइल और पोर्टल आधारित मॉड्यूल्स से जलापूर्ति योजनाओं की गुणवत्ता, मात्रा, बिलिंग और शिकायत निवारण तक की पूरी प्रक्रिया ऑनलाइन हो चुकी है। उनका कहना है कि अब जल निगम में शत-प्रतिशत काम इसी सिस्टम से किया जा रहा है।

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ठेकेदार भी पहली बार ई-सिस्टम से जुड़े

निगम प्रबंध संचालक ने बताया कि ‘ई-ऑफिस’ सिस्टम में हर ठेके की वित्तीय स्थिति और गारंटी की प्रामाणिकता रियल टाइम में देखी जा सकती है।

उन्होंने कहा कि निगम ने अपने साथ काम करने वाले प्रत्येक ठेकेदार को भी ई-सिस्टम से जोड़ा है ताकि वे स्वयं अपने कार्य की स्थिति और प्रगति देख सकें। आमतौर पर ठेकेदारों को विभागीय ई-सिस्टम से अलग रखा जाता है, पर नई व्यवस्था से मुख्यालय स्तर पर निगरानी आसान हो गई है।

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केंद्र सरकार ने भी प्रयासों को सराहा

ई-ऑफिस प्रणाली और ई-बैंक गारंटी जैसे नवाचारों से मध्यप्रदेश जल निगम देश के सबसे पारदर्शी और तकनीक-सक्षम विभागों में गिना जा रहा है। केंद्र सरकार की रिपोर्ट में भी मप्र को सबसे विस्तृत पाइपलाइन नेटवर्क और योजनाओं की संख्या के मामले में अव्वल बताया गया है।

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