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Photograph: (THESOOTR)
Bhopal. मध्य क्षेत्र बिजली कंपनी के मुख्य महाप्रबंधक को किसानों से जुड़े मामले में लापरवाही पूर्ण आदेश निकालना महंगा पड़ा। उनके इस कृत्य पर सरकार ने उन्हें तत्काल प्रभाव से पद से हटा दिया है। साथ ही पूर्व में जारी आदेश भी निरस्त कर दिए गए हैं। मुख्य महाप्रबंधक के इस आदेश के मामले में प्रदेश सरकार भी बैकफुट पर आ गई है।
पद से हटाया, आदेश भी निरस्त
किसानों को 10 घंटे से अधिक बिजली देने पर संबंधित कर्मचारी की वेतन कटौती वाले 5 साल पुराने आदेश को सरकार ने निरस्त कर दिया है। साथ ही इस आदेश को दो दिन पहले पुन:जारी करने वाले मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी के मुख्य महाप्रबंधक एके जैन को भी पद से हटाते हुए दूसरी शाखा में पदस्थ किया गया है।
बिजली कंपनी के भ्रम पूर्ण विवादित आदेश को लेकर आज सुबह ही मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने कार्रवाई करने के संकेत दिए थे। इसके कुछ देर बाद ही ऊर्जा विभाग ने सीजीएम एके जैन को कंपनी के संधारण शाखा से हटा दिया है। उन्हें गैर पारंपरिक ऊर्जा एनसीई सेक्शन में महाप्रबंधक बनाया गया है।
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5 साल पुराना आदेश भी निरस्त
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राज्य शासन ने 31 अगस्त 2020 को जारी वह आदेश भी रद्द कर दिया है जिसमे कृषि क्षेत्र में 10 घंटे से अधिक बिजली आपूर्ति पर आपरेटर से लेकर सीजीएम तक वेतन कटौती के दंड का प्रावधान रहा। इसी आदेश को मौजूदा सीजीएम जैन ने भी दोहराया था।
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नए आदेश में गलत कुछ नहीं,बेवजह विवाद
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गत तीन नवंबर को सीजीएम मध्य क्षेत्र कंपनी एके जैन ने भी रबी सीजन की शुरुआत पर पारंपरिक तरीके से पुराने सर्कुलर का स्मरण मैदानी अमले को कराया था। यही नहीं,इसके पालन में तकनीकी कारणों से आती र​ही दिक्कत को देखते हुए
उन्होंने संबंधित कर्मचारी,अधिकारी को 15 मिनट की छूट भी दी थी,लेकिन इसे किसानों से जोड़ते हुए आदेश को विवादित बना दिया गया।
जबकि सरकार की घोषणा के मुताबिक 10 घंटे की समयावधि में कटौती का आदेश में कहीं भी जिक्र नहीं था। परिपत्र भी पांच साल पुराना ही नई तारीख में जारी किया गया।
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सरकार ने भी किया खुलासा,नहीं बनी बात
मंगलवार को शासन की ओर से भी अधिकृत जानकारी में स्थिति का खुलासा करते हुए बताया गया कि परिपत्र का दोहराव सिर्फ सभी कृषि क्षेत्रों में बिजली की तय समय में समान आपूर्ति तय करने एवं मैदानी अमले को सजग करने के इरादे से किया गया है।
ताकि सभी स्थानों के किसानों को दस घंटे बिजली मिल सके और व्यवस्था में बाधा पैदा न हो,लेकिन इसे लेकर भ्रम की स्थिति बनने पर सरकार को अंतत: उक्त कदम उठाना पड़ा।
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राजनीतिक दबाव में होती है समय में घटा-बढ़ी
मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी सूत्रों के मुताबिक,10घंटे से अधिक समय बिजली आपूर्ति पर वेतन कटौती संबंधी दंड का प्रावधान आपूर्ति में होने वाली गड़बड़ी रोकने के इरादे से ही किया गया था।
दरअसल,कई बार राजनैतिक दबाव व बिजली कंपनी के मैदानी अमले की मिलीभगत से 10घंटे की व्यवस्था में बाधा पैदा होती रही है।
इससे बचने के लिए तकनीकी अमला बिजली स्टेशन की घड़ी व मीटर के इंटीग्रेशन खामी का हवाला देकर बचने का जतन करते रहे। दरअसल,तय अवधि से एक मिनट अधिक होने पर मीटर इस एक मिनट की गणना अगले 15 मिनट के ब्लॉक में करता है।
सभी जगह समान रूप से बिजली की आपूर्ति हो,इसे देखते हुए नए आदेश में सीजीएम ने 10 घंटे के बाद 15 मिनट की और मोहलत दी थी। ताकि बिजली कर्मचारी और किसान दोनों का नुकसान ना हो।
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15 साल पहले लिया था विधानसभा में संकल्प
कृषि क्षेत्र में रबी सीजन में 10 घंटे बिजली आपूर्ति का सरकार का संकल्प करीब 15 साल पुराना है। वर्ष 2011 में राज्य विधानसभा में इसकी घोषणा की गई थी।
इससे पहले प्रदेश में रबी सीजन के दोरन आठ घंटे बिजली की निरंतर आपूर्ति की व्यवस्था रही। बिजली क्षेत्र में हुए सुधार व उपलब्धता बढ़ने पर बाद में इसे दस घंटे कर दिया गया। यही व्यवस्था आज भी जारी है।
अगले महीने रिटायर होंगे सीजीएम जैन
सूत्रों के अनुसार,सीजीएम एके जैन अगले माह 31 दिसंबर को सेवानिवृत होंगे। सेवानिवृत्ति से 56 दिन पहले उन्हें पद से हटाए जाने को लेकर कंपनी कार्यालय में खासी चर्चा है।
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