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लोकसभा चुनाव 2024 में ऐन वक्त पर कांग्रेस के टिकट पर नामांकन वापस लेकर रातों-रात बीजेपी में शामिल हुए डॉ. अक्षय कांति बम और उनके पिता कांति बम मुश्किल में आ गए हैं। हत्या के प्रयास की धारा 307 और समूह में मिलकर अपराध करने की धारा 149 के तहत उन पर ट्रायल चलेगा। एमपी हाईकोर्ट की इंदौर खंडपीठ ने जिला कोर्ट के आदेश को क्वैश की अपील सिरे से खारिज कर दी।
राजनीतिक साजिश की दी थी दलील
बम ने इस मामले में एमपी हाईकोर्ट में दलील दी थी कि यह मामला 4 अक्टूबर 2007 का था। इसमें हत्या के प्रयास की धारा और 149 की धारा में चार्ज लगाने का आवेदन अप्रैल 2024 में लोकसभा चुनाव के पूर्व दिया गया।
बम ने आवेदन में कहा था कि क्योंकि वह उस समय लोकसभा में एमपी कांग्रेस के प्रत्याशी थे। इसी के चलते राजनीतिक साजिश के तहत उनके खिलाफ युनुस गुड्डु ने आवेदन दिया। साजिश में वह सफल रहे और नामांकन वापस ले लिया गया।
यह भी बम ने दी थी दलील
इसके साथ ही यह भी दलील दी गई थी कि घटना 4 अक्टूबर 2007 को हुई। इस दौरान इस धारा के मामले में कोई आरोप नहीं लगे थे। यह सब जानबूझकर किया गया।
उधर गुड्डु की ओर से तर्क रखे गए कि उनके द्वारा की गई प्रारंभिक शिकायत में ही लिखा गया था कि गोली चलाई गई है। अक्षय, कांति बम, सतबीर सिंह, सोनू, मनोज व अन्य 7-8 लोग बंदूक लेकर आए और देखकर कांति बम ने बोला कि यह युनुस पटेल गुड्डु है, इसे गोली मार दो।
इस दौरान हम चिल्लाए कि गोली मार रहे हैं। यह बात नई नहीं है लेकिन इसकी पूरी जांच नहीं हुई थी। चार्ज फ्रेम के समय इसके आवेदन दिए गए। इसी आधार पर जिला कोर्ट ने यह मान्य किया।
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हाईकोर्ट ने यह दिए आदेश
आखिरकार हाईकोर्ट की इंदौर बेंच ने बम की अपील सिरे से खारिज कर दी। हाईकोर्ट ने आदेश में साफ लिखा कि प्रारंभिक विवरण में ही लिखा हुआ है कि आरोपी बंदूक लेकर घटनास्थल पर पहुंचे थे और गोली मारने की बात हुई थी।
तत्कालीन जांच अधिकारी ने घटनास्थल के मौके पर बंदूक की जब्ती की थी। वहीं सह अभियुक्त के नहीं होने के चलते केस में देरी हुई। संबंधित ने आवेदन चार्ज फ्रेम के समय ही दिया, यानी इसमें देरी युनुस पटेल पक्षकार की ओर से नहीं की गई थी।
ऐसे में हत्या के प्रयास और 149 की धारा के चार्ज फ्रेम और ट्रायल के आदेश को क्वैश करने के कोई आधार नहीं हैं। याचिका खारिज की जाती है।
बम अपने शपथपत्र में बीजेपी की बता चुके साजिश
हद तो यह है कि बम अपने एक शपथपत्र में खुद इस साजिश के लिए एमपी बीजेपी को ही जिम्मेदार बता चुके हैं। शपथपत्र भी तब दिया जब वह बीजेपी में जा चुके थे। शपथपत्र में कहा गया था कि क्योंकि वह कांग्रेस से लोकसभा चुनाव प्रत्याशी थे। इसलिए बीजेपी ने साजिश रची और वह इसमें सफल रही और उनके द्वारा नामांकन वापस ले लिया गया।
इस बात का खुलासा भी द सूत्र ने ही किया था। इस खुलासे के बाद बम ने हाईकोर्ट से याचिका वापस ली और फिर नई याचिका दायर की और इसमें शपथपत्र बदलकर बीजेपी शब्द को हटाया और केवल राजनीतिक साजिश शब्द का उपयोग किया।
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