इंदौर के एमवाय अस्पताल में सफाई का ठेके वाली कंपनी एजाइल के फर्जी होने और 200 करोड़ के भ्रष्टाचार के आरोप

इंदौर के एमवाय अस्पताल में एजाइल नामक कंपनी पर 200 करोड़ के भ्रष्टाचार का आरोप है। कंपनी ने पेस्ट कंट्रोल का ठेका लिया था, लेकिन यह फर्जी पाई गई। इसके अलावा, डीन और अधीक्षक पर आरोप है कि उन्होंने मिलकर अस्पताल का बजट हजम किया...

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Sanjay Gupta
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INDORE. मप्र के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल एमवायएच में चूहों के कुतरने के बाद दो नवजातों की मौत के बाद भी डीन और अधीक्षक पर कार्रवाई का इंतजार है।

उधर सफाई और पेस्ट कंट्रोल कर चूहों के मारने का ठेका लेने वाली एजाइल कंपनी पर एक लाख का जुर्मान लगाने और फिर दबाव आने के बाद उसके पेस्ट कंट्रोल के एक लाख रुपए प्रति माह के काम में कटौती की बात डीन डॉ. अरविंद घनघोरिया कर रहे हैं।

अब इस मामले में सबसे बड़ा आरोप लगा है एजाइल कंपनी फर्जी है और इसने ठेका सबलीज लिया है, कंपनी और डीन, अधीक्षक मिलकर पूरा बजट जीम लिया और करोड़ों को घोटाला हुआ है। जो 200 करोड़ तक का है। 

यह लगाए कांग्रेस नेता ने आरोप 

म.प्र.कांग्रेस कमेटी के पूर्व महासचिव राकेश सिंह यादव ने एमवाय कांड में तथ्यों, फोटो के साथ गंभीर आरोप लगाए। यादव ने कहा कि एमवाय में पेस्ट कंट्रोल का कार्य करने वाली एजाइल सिक्युरिटी फोर्स एंड सिस्टम प्रा.लिमिटेड फर्जी कंपनी हैं।

एजाइल का ऑफिस विजय नगर स्थित स्कीम नंबर 54 में एक रहवासी घर में दर्शाया गया हैं। इस फर्जी कंपनी के पास ट्रेंड टेक्नीशियन के साथ ही पेस्ट कंट्रोल करने का पूर्व अनुभव भी नहीं हैं। डीन और अधीक्षक अघोषित रूप से कंपनी के पार्टनर हैं। भ्रष्टाचार की लूट में अनेक एमवाय के अधिकारी और कर्मचारी शामिल हैं।

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पेटी कांट्रेक्ट पर आई एजाइल कंपनी 

यादव ने आगे आरोप लगाया कि साल 2017 में सरकारों उपक्रम PUC- HLL से एमवाय हॉस्पिटल का अनुबंध शासन के निर्देश अनुसार डीन ने किया था।इसके बाद भ्रष्टाचारी डीन और अधीक्षक ने मिलकर एजाइल कंपनी से एग्रीमेंट करके पेस्ट कंट्रोल का काम दे दिया। जबकि यह कार्य HLL को ही करना था। लेकिन HLL से सबलेट एजाइल को करने का जिक्र किया जा रहा हैं। डीन और अधीक्षक ने लगातार एजाइल कंपनी के दस्तावेज छिपाने की भरपूर कोशिश करना ही अपराध को सिद्ध कर रहा हैं।

एजाइल कंपनी ने ठेका लेते ही यह किया कांड

एजाइल कंपनी ने स्वीकार किया की कंपनी के पास तकनीकी पद नहीं हैं। इसलिए एजाइल ने सारे पेस्ट कंट्रोल कर्मचारियों को मल्टीपरपज वर्कर में ढाल दिया।जब HLL पेस्ट कंट्रोल कुशल आउटसोर्सिंग कर्मचारियों को प्रति कर्मचारी 25,375/- वेतन प्रतिमाह देता था। लेकिन एजाइल कंपनी का अनुबंध होते ही वेतन मात्र 10,500 रुपए कर दिया गया था। इसके खिलाफ अनेक कर्मचारियों ने लेबर कोर्ट में केस दायर किया।

इसके पूर्व मई 2025 में कंपनी ने आदेश निकालकर सारे कर्मचारियों को मल्टीपरपज वर्कर की श्रेणी में डाल दिया। जब विरोध होने के बाद 31 मई तक कर्मचारियों राजी नहीं हुए तो 14 जून को कंपनी ने सभी कर्मचारियों को कार्य मुक्त करने का आदेश जारी कर दिया।

तब कर्मचारियों ने हड़ताल कर दी थी। लेकिन अधीक्षक डॉ. अशोक यादव एवं डीन डॉ. अरविंद घनघोरिया ने आश्वासन देकर मामला संभाल लिया।फर्जी  एजाइल कंपनी के मैनेजर प्रदीप रघुवंशी ने स्वीकार किया की कंपनी के पास ट्रेंड पेस्ट कंट्रोलर नहीं हैं। फर्जी एजाइल कंपनी के ऑफिस का पता भी फर्जी निकला हैं।

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पूरा बजट मिलकर हजम कर लिया

पूर्व प्रदेश महासचिव ने आरोप लगाते हुए कहा कि एजाइल कंपनी ऑडिट रिपोर्ट नहीं हैं। कंपनी में ट्रेंड टेक्नीशियन नहीं हैं।कंपनी का ऑफिस नहीं है। सब काग़ज़ पर हैं। सभी मिलकर  सारा बजट लूट लिया हैं। डीन ,अधीक्षक और प्रदीप रघुवंशी ने मिलकर करोड़ों का भ्रष्टाचार करके घोटाला करने के साथ दो नवजात शिशुओं की हत्या के लिए जवाबदेह हैं।

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