17 मामलों में आरोपी, दो साल से फरार खनन माफिया अमित खम्परिया नागपुर से गिरफ्तार

अमित खम्परिया को नागपुर से गिरफ्तार किया गया। वह दो साल से फरार था। पुलिस इसे बड़ी सफलता मान रही है। सवाल है, क्या यह गिरफ्तारी हाईकोर्ट की फटकार का परिणाम है?

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Neel Tiwari
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JABALPUR. जबलपुर समेत प्रदेश के कई जिलों में वांछित अमित खम्परिया को नागपुर से गिरफ्तार किया गया। वह दो साल से फरार था। पुलिस ने इसे अपनी बड़ी सफलता बताया है। सवाल यह है कि क्या यह गिरफ्तारी पुलिस की उपलब्धि है? या हाईकोर्ट की फटकार आरोपी पर दबाव का परिणाम? खासकर जब 9 दिसंबर को हाईकोर्ट में उसकी जमानत याचिका पर सुनवाई है।

पुलिस की कोशिशों पर उठे सवाल

जबलपुर पुलिस के द्वारा जबलपुर हाईकोर्ट में दी गई जानकारी के अनुसार अमित खम्परिया दिसंबर 2023 से फरार है। पिछले दो सालों से फरार अमित खम्परिया की गिरफ्तारी को लेकर हाईकोर्ट ने जबलपुर पुलिस पर कई बार नाराजगी जताई थी। एक ओर पुलिस अपनी लगातार कार्रवाई के दावे करती रही। कोर्ट ने अपने आदेश में लिखा कि 2025 में केवल एक बार गिरफ्तारी का प्रयास किया गया, वह भी औपचारिकता मात्र था।

जस्टिस विशाल मिश्रा की बेंच ने कहा कि पुलिस की स्टेटस रिपोर्ट अधूरी थी। विस्तृत तलाशी पंचनामा भी कोर्ट को नहीं दिया गया। इससे संकेत मिला कि गिरफ्तारी के प्रयास दिखावे थे। आरोपी ने चीफ जस्टिस की बेंच में भी याचिका दायर की। वहां भी पुलिस की कार्यप्रणाली पर टिप्पणियां की गईं। न्यायिक दबाव के बीच अचानक हुई गिरफ्तारी ने सवाल खड़े कर दिए हैं। क्या यह पुलिस की कार्रवाई है या कोर्ट की सख्ती का परिणाम?

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शहर में आवाजाही के आरोप

कोर्ट में यह आरोप सामने आया कि फरार घोषित होने के बावजूद अमित खम्परिया जबलपुर में आता-जाता रहा। पुलिस उसे पकड़ने में नाकाम रही। यह आरोप और अधिक गंभीर लगने लगे जब कोर्ट ने पुलिस की कार्रवाई को केवल कागजी प्रक्रिया बताया। ऐसे में उसकी गिरफ्तारी जमानत सुनवाई से ठीक चार दिन पहले होना संदेह पैदा करता है। कहीं यह गिरफ्तारी आरोपी की कानूनी मजबूरी के चलते खुद को पेश करने जैसा तो नहीं।

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17 FIR, चार जिलों में फैला अपराध का नेटवर्क

अमित खम्परिया के खिलाफ दर्ज अपराध उसकी गतिविधियों के बड़े और संगठित नेटवर्क की ओर इशारा करते हैं। आर्थिक अपराध, धोखाधड़ी, अवैध उत्खनन, धमकी, मारपीट, जालसाजी, हत्या के प्रयास से लेकर SC/ST एक्ट तक… सूची बेहद लंबी है।

कटनी जिला-1 अपराध

थाना विजय राघवगढ़ में वर्ष 2016 का मामला, धारा 379, 120B, 34, एवं अवैध उत्खनन अधिनियम की धाराएं।
यह केस सीधे तौर पर अवैध खनन से जुड़ा है, जो उसके माफिया नेटवर्क की जड़ मानी जाती है।

उमरिया जिला- 3 गंभीर अपराध

थाना मानपुर में दो प्रकरण—294, 323, 324, 506, 34 सहित मारपीट और धमकी की धाराएँ।

थाना कोतवाली में धारा 302 (हत्या), 120B, 307 जैसे अत्यंत गंभीर आरोप दर्ज।
यहां उसके खिलाफ दर्ज हत्या और हत्या के प्रयास के मामले उसकी आपराधिक पहुंच को दर्शाते हैं।

मंडला जिला-4 अपराध

खटिया और अन्य थानों में धोखाधड़ी, जालसाजी, दस्तावेज़ों की फर्जीगीरी, आपराधिक षड्यंत्र तथा धमकी जैसे संगीन मामले।

कई मामलों में 420, 467, 468, 471 की धाराएं—यानी व्यवस्थित आर्थिक अपराध और दस्तावेज़ों की फर्जी तैयारियाँ।

जबलपुर जिला – सबसे ज्यादा 9 अपराध

धोखाधड़ी, जालसाजी, आर्थिक अपराध, मारपीट, धमकी, SC/ST एक्ट उल्लंघन, अवैध वसूली, अपराध की साजिश सहित लगभग हर श्रेणी का अपराध उसके खिलाफ दर्ज।

संजीवनी नगर, मदनमहल, लार्डगंज, गढ़ा, भेड़ाघाट जैसे थानों में अलग-अलग वर्षों के मामले।

एक मामले में धारा 386-यानी वसूली के लिए धमकाना। जो उसकी दबंगई को स्पष्ट करता है।

इन सभी मामलों में लंबे समय से फरार रहने के बावजूद गिरफ्तारी न होना पहले ही पुलिस पर गंभीर प्रश्न खड़े करता रहा है।

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पुलिस की कार्रवाई या आरोपी की मजबूरी

पुलिस का दावा है कि उनकी विशेष टीम ने नागपुर के वाठोड़ा इलाके में दबिश देकर आरोपी को पकड़ा। पुलिस के अनुसार वह पिछले कई सालों से इधर-उधर छिपकर रह रहा था। पुलिस कोर्ट के निर्देशों के बाद भी उत्तर नहीं पहुंच पा रही थी। जमानत की तारीख नजदीक आने और हाईकोर्ट के कड़े रुख ने उसकी गिरफ्तारी को अनिवार्य प्रक्रिया बना दिया। यही वजह है कि यह गिरफ्तारी पुलिस की सफलता से ज्यादा कोर्ट की सख्ती और आरोपी की मर्जी का परिणाम लगती है।

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जमानत याचिका 9 दिसंबर को

अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या अमित खम्परिया ने जानबूझकर गिरफ्तारी दी। फरार रहते हुए जमानत मिलना लगभग असंभव होता है। कोर्ट के तीखे रुख को देखते हुए गिरफ्तारी उसकी मजबूरी बन चुकी थी।

गिरफ्तारी से ज्यादा अहम है उसकी ‘टाइमिंग’

अमित खम्परिया जैसे 17 मामलों के आरोपी की गिरफ्तारी ज़रूर राहत की खबर है। लेकिन यह राहत पुलिस की क्षमता से अधिक हाईकोर्ट की सख्ती और आरोपी की रणनीति से जुड़ी हुई नजर आ रही है। इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि अगर हाईकोर्ट लगातार कठोर रुख न अपनाता, तो शायद यह गिरफ्तारी अभी भी नहीं होती।

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