भोपाल से पूर्व भाजपा सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर ने कथावाचक अनिरुद्धाचार्य के लिव-इन रिलेशनशिप पर दिए बयान का समर्थन किया है। इस बयान के बाद वह चर्चा में आ गई हैं। साध्वी प्रज्ञा ने कहा कि जब माता-पिता बच्चों को संस्कार नहीं सिखाते, तो लड़कियां अर्धनग्न दिखाई देने लगती हैं। इससे समाज में विकृति उत्पन्न होती है।
माता-पिता के संस्कारों की कमी !
प्रज्ञा सिंह ठाकुर ने कहा कि जब माता-पिता अपने बच्चों को मर्यादा और संस्कार नहीं सिखा पाते, तो समाज में विकृति बढ़ती है। वह बताती हैं कि आजकल कई लड़कियां स्कूल और कॉलेज जाते समय अर्धनग्न दिखाई देती हैं। उनका मानना है कि यह समाज में संस्कारों की कमी का परिणाम है। प्रज्ञा ने यह भी कहा कि माता-पिता को बेटियों के साथ-साथ बेटों को भी मर्यादा और अनुशासन सिखाने की जरूरत है।
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अनिरुद्धाचार्य के बयान का प्रज्ञा ठाकुर का समर्थन
साध्वी प्रज्ञा ने कथावाचक अनिरुद्धाचार्य के बयान का समर्थन किया, जिसमें उन्होंने लिव-इन रिलेशनशिप के खिलाफ बात की थी। अनिरुद्धाचार्य ने कहा था कि जब लड़कियां 25 साल की होती हैं, तो उनका जीवन साथी बदल चुका होता है और यह स्थिति समाज के लिए चिंता का विषय बन सकती है। प्रज्ञा ठाकुर ने इस बयान को सही ठहराया और कहा कि यह समाज के लिए खतरनाक स्थिति है।
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संयुक्त परिवार की परंपरा पर प्रज्ञा ठाकुर की राय
प्रज्ञा सिंह ठाकुर ने संयुक्त परिवार के महत्व पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा कि भारत में ही संयुक्त परिवार की परंपरा मौजूद है और यह बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए आवश्यक है। उनका मानना है कि संयुक्त परिवार बच्चों को संस्कारों और शिक्षा देने में मदद करता है, और यह हमारी संस्कृति को बचाए रखने के लिए महत्वपूर्ण है।
संस्कार और मर्यादा का महत्व
प्रज्ञा सिंह ठाकुर ने कहा कि केवल शिक्षा नहीं, बल्कि मर्यादा भी बच्चों को सिखानी चाहिए। उन्होंने कहा कि बेटों को भी घर लौटने का समय तय किया जाना चाहिए, जैसे बेटियों से पूछा जाता है। यह अनुशासन का हिस्सा है और परिवारों में इसे सख्ती से पालन करना चाहिए।
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अनिरुद्धाचार्य का बयान
पिछले महीने कथावाचक अनिरुद्धाचार्य ने लिव-इन रिलेशनशिप पर विवादास्पद बयान दिया था। उन्होंने कहा था कि अब 25 साल की लड़कियां कई बार अपने जीवन साथी बदल चुकी होती हैं। यह बयान विवादों में घिर गया था, लेकिन साध्वी प्रज्ञा ने इसे सही ठहराया और कहा कि समाज में यह स्थिति गलत दिशा में जा रही है। उनका मानना है कि संस्कारों और मर्यादा की शिक्षा बच्चों को बचपन से ही देनी चाहिए, ताकि वे समाज में अपनी जिम्मेदारी और इज्जत समझें।
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समाज में बदलाव की जरुरत
प्रज्ञा सिंह ठाकुर ने कहा कि जब समाज में संस्कारों की कमी होती है, तो रिश्तों की पहचान भी खत्म हो जाती है। उन्होंने कहा कि माता-पिता को अपनी जिम्मेदारी निभानी चाहिए और बच्चों को संस्कार देना चाहिए। यह बच्चों के विकास के लिए बेहद आवश्यक है, ताकि वे समाज में सकारात्मक बदलाव ला सकें।
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अनिरुद्धाचार्य के समर्थन में उतरीं बीजेपी की पूर्व सांसद प्रज्ञा सिंह, लड़कियों की ड्रेस को लेकर बोली ये बात
भोपाल की पूर्व भाजपा सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर ने कथावाचक अनिरुद्धाचार्य के लिव-इन संबंधों पर दिए बयान का समर्थन किया। उन्होंने कहा कि संस्कारों की कमी के कारण लड़कियां अर्धनग्न दिखाई देती हैं। माता-पिता को बच्चों को मर्यादा सिखानी चाहिए।
भोपाल से पूर्व भाजपा सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर ने कथावाचक अनिरुद्धाचार्य के लिव-इन रिलेशनशिप पर दिए बयान का समर्थन किया है। इस बयान के बाद वह चर्चा में आ गई हैं। साध्वी प्रज्ञा ने कहा कि जब माता-पिता बच्चों को संस्कार नहीं सिखाते, तो लड़कियां अर्धनग्न दिखाई देने लगती हैं। इससे समाज में विकृति उत्पन्न होती है।
माता-पिता के संस्कारों की कमी !
प्रज्ञा सिंह ठाकुर ने कहा कि जब माता-पिता अपने बच्चों को मर्यादा और संस्कार नहीं सिखा पाते, तो समाज में विकृति बढ़ती है। वह बताती हैं कि आजकल कई लड़कियां स्कूल और कॉलेज जाते समय अर्धनग्न दिखाई देती हैं। उनका मानना है कि यह समाज में संस्कारों की कमी का परिणाम है। प्रज्ञा ने यह भी कहा कि माता-पिता को बेटियों के साथ-साथ बेटों को भी मर्यादा और अनुशासन सिखाने की जरूरत है।
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अनिरुद्धाचार्य के बयान का प्रज्ञा ठाकुर का समर्थन
साध्वी प्रज्ञा ने कथावाचक अनिरुद्धाचार्य के बयान का समर्थन किया, जिसमें उन्होंने लिव-इन रिलेशनशिप के खिलाफ बात की थी। अनिरुद्धाचार्य ने कहा था कि जब लड़कियां 25 साल की होती हैं, तो उनका जीवन साथी बदल चुका होता है और यह स्थिति समाज के लिए चिंता का विषय बन सकती है। प्रज्ञा ठाकुर ने इस बयान को सही ठहराया और कहा कि यह समाज के लिए खतरनाक स्थिति है।
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संयुक्त परिवार की परंपरा पर प्रज्ञा ठाकुर की राय
प्रज्ञा सिंह ठाकुर ने संयुक्त परिवार के महत्व पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा कि भारत में ही संयुक्त परिवार की परंपरा मौजूद है और यह बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए आवश्यक है। उनका मानना है कि संयुक्त परिवार बच्चों को संस्कारों और शिक्षा देने में मदद करता है, और यह हमारी संस्कृति को बचाए रखने के लिए महत्वपूर्ण है।
संस्कार और मर्यादा का महत्व
प्रज्ञा सिंह ठाकुर ने कहा कि केवल शिक्षा नहीं, बल्कि मर्यादा भी बच्चों को सिखानी चाहिए। उन्होंने कहा कि बेटों को भी घर लौटने का समय तय किया जाना चाहिए, जैसे बेटियों से पूछा जाता है। यह अनुशासन का हिस्सा है और परिवारों में इसे सख्ती से पालन करना चाहिए।
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अनिरुद्धाचार्य का बयान
पिछले महीने कथावाचक अनिरुद्धाचार्य ने लिव-इन रिलेशनशिप पर विवादास्पद बयान दिया था। उन्होंने कहा था कि अब 25 साल की लड़कियां कई बार अपने जीवन साथी बदल चुकी होती हैं। यह बयान विवादों में घिर गया था, लेकिन साध्वी प्रज्ञा ने इसे सही ठहराया और कहा कि समाज में यह स्थिति गलत दिशा में जा रही है। उनका मानना है कि संस्कारों और मर्यादा की शिक्षा बच्चों को बचपन से ही देनी चाहिए, ताकि वे समाज में अपनी जिम्मेदारी और इज्जत समझें।
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समाज में बदलाव की जरुरत
प्रज्ञा सिंह ठाकुर ने कहा कि जब समाज में संस्कारों की कमी होती है, तो रिश्तों की पहचान भी खत्म हो जाती है। उन्होंने कहा कि माता-पिता को अपनी जिम्मेदारी निभानी चाहिए और बच्चों को संस्कार देना चाहिए। यह बच्चों के विकास के लिए बेहद आवश्यक है, ताकि वे समाज में सकारात्मक बदलाव ला सकें।
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