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भोपाल की शाहपुरा स्थित एसबीआई बैंक में 1266 करोड़ का फ्रॉड करने वाली एओपीएल कंपनी (मेसर्स एडवांटेज ओवरसीज प्राइवेट लिमिटेड) के डायरेक्टर्स और अन्य को अग्रिम जमानत नहीं मिलेगी। इस मामले में सीबीआई ने इन सभी के खिलाफ नवंबर 2019 में केस दर्ज किया था और हाल ही में चालान पेश किया है।
इसके बाद से इनकी गिरफ्तारी की संभावनाएं बढ़ गई हैं। इसके बाद इन्होंने बचने के लिए इंदौर जिला कोर्ट (Indore District Court) में अग्रिम जमानत का आवेदन लगाया था, जिसे खारिज कर दिया गया। इस मामले में ईडी भी केस दर्ज कर चुकी है और उन्होंने कंपनी के ठिकानों पर छापे मारे थे।
इन सभी की याचिका खारिज
इसमें भोपाल निवासी श्रीकांत भासी और गगन शर्मा के साथ ही दिनेस चेल्वाराज, मनीष सिंह और जीजो जॉन सभी मुंबई निवासी, की जमानत खारिज हुई है।
ईडी ने 300 करोड़ की संपत्ति की थी जब्ती
ईडी भोपाल की टीम ने हाल ही में स्टेट बैंक ऑफ इंडिया से 1266 करोड़ का लोन लेकर खुद को एनपीए (नॉन परफॉर्मिंग एसेट) बताने वाली मेसर्स एडवांटेज ओवरसीज प्राइवेट लिमिटेड के यहां सर्चिंग कर 300 करोड़ रुपए से अधिक की संपत्ति और नकदी जब्त की थी।
कंपनी के डायरेक्टर्स, कर्मचारियों और बेनामीदारों के नाम पर संपत्तियां अर्जित की गई थीं और बैंक से लिए गए लोन का आपराधिक उपयोग किया गया था। कंपनी द्वारा देश-विदेश में बैंक से लिए गए लोन का उपयोग किया गया था। ऐसे दस्तावेज भी मिले, जो आपराधिक आय को वैध बनाने से संबंधित थे।
सीबीआई ने यह किया है केस
सीबीआई ने बैंक की शिकायत पर कंपनी के डायरेक्टर्स और अन्य सरकारी सेवकों के खिलाफ 120B, 420 और 409 धाराओं में केस दर्ज किया था। इस कंपनी द्वारा भारतीय स्टेट बैंक को 1266.63 करोड़ रुपए का नुकसान पहुंचाने के आरोप में सीबीआई ने एफआईआर दर्ज की थी।
एओपीएल ने बैंकों से अनुचित फायदा लेने के लिए टर्नओवर को 100 गुना बढ़ाकर बैंक को धोखा दिया। फिर संबंधित पक्ष के साथ लेन-देन किए और 73 अलग-अलग संस्थाओं के जरिए खुद को और अपनी सहयोगी कंपनियों को असुरक्षित ऋण (अन सिक्योर्ड लोन) की आड़ में बैंक से लिए गए लोन का दुरुपयोग किया। बाद में एओपीएल ने खुद को एनपीए बता दिया और इसके बाद एसबीआई ने एओपीएल के खिलाफ एनसीएलटी (नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल) में आवेदन दायर किया।