डाइंग कैडर के नाम पर हजारों पदों पर रोकी जा सकती है नियुक्ति

मध्य प्रदेश के सरकारी अधिकारी कर्मचारियों के लिए साल 2025 रिटायरमेंट का साल साबित होने वाला है। इस साल अलग-अलग विभागों में काम करने वाले करीब सवा लाख अधिकारी कर्मचारी रिटायर हो रहे हैं।

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Sanjay Sharma
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विभागों में कर्मचारियों की कमी Photograph: (THE SOOTR)

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BHOPAL. मध्यप्रदेश के सरकारी अधिकारी कर्मचारियों के लिए साल 2025 रिटायरमेंट का साल साबित होने वाला है। इस साल अलग-अलग विभागों में काम करने वाले करीब सवा लाख अधिकारी कर्मचारी रिटायर हो रहे हैं। जिसका असर हर विभाग पर पड़ना तय है क्योंकि राज्य के सभी विभागों में कर्मचारियों की कमी है। सबसे ज्यादा प्रभावित शिक्षा, स्वास्थ्य, पीडब्ल्युडी_पीएचई जैसे विभाग होंगे क्योंकि इनमें वर्कलोड सबसे ज्यादा है। स्वास्थ्य विभाग में ही 35 श्रेणियों के हजारों पदों को खत्म करने की तैयार कर ली गई है। प्रदेश में कितने पदों को समाप्त किया जा सकता है इसका विभागवार ब्यौरा वित्त और सामान्य प्रशासन विभाग जुटा रहा है। इस साल जिन पदों से अधिकारी_ कर्मचारी सेवानिवृत्त होंगे उनमें से चिन्हित पदों पर स्थायी नियुक्ति नहीं की जाएगी। यानी ये पद पहले खाली रखें जाएंगे और फिर इन्हें समाप्त कर दिया जाएगा। ऐसे पदों को डाइंग कैडर घोषित किया जाएगा। इनमें अनुपयोगी हो चुके पदों के साथ ही ऐसे पद भी हैं जो अभी भी जरूरी हैं लेकिन सालों से खाली पड़े हैं। उच्च पद न होने से अधिनस्थ कर्मचारियों की पदोन्नति का रास्ता ही बंद हो जाएगा। 

कर्मचारियों से छिनेगा पदोन्नति का मौका 

सरकार ने डाइंग कैडर के संबंध में जुलाई 2024 में आदेश जारी किया था। जिसमें डाइंग कैडर में शामिल किए गए पदों पर अब नियुक्ति नहीं होगी। आदेश जारी होने के बाद से अब तक कई कर्मचारी डाइंग कैडर वाले पदों से रिटायर हो चुके हैं। डाइंग कैडर वाले पदों में सबसे ज्यादा संख्या सुपरवाइजर और लिपिक वर्गीय कर्मचारियों की है। सरकार अकेले स्वास्थ्य विभाग में ही सुपरवाइजर के 1483 पद खत्म करने जा रही है ऐसे में 2500 से ज्यादा मल्टी पर्पज हेल्थ वर्कर यानी एमपीडब्ल्यूडी के पद पर कार्यरत कर्मचारियों की पदोन्नति का मामला अटक सकता है। सरकार के इस आदेश को लेकर कर्मचारियों में नाराजगी है। कर्मचारी संगठन इस फैसले को प्रशासनिक ढांचे को नुकसान पहुंचाने वाला बता रहे हैं।  

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वर्कलोड के बीच डाइंग कैडर की तैयारी

मध्यप्रदेश के विभाग वर्कलोड का शिकार हैं। कर्मचारियों की नियुक्तियां अटकी हुई हैं। ऐसे में सरकार हजारों पद डाइंग कैडर में डालने जा रही है। इन पदों पर कार्यरत अधिकारी या कर्मचारी की सेवानिृवत्ति के बाद उन्हें स्थायी नियुक्ति से नहीं भरा जाएगा। यानी वर्ष 2025 में ही हजारों पद खाली होने के बाद डाइंग कैडर में डाल दिए जाएंगे। सरकार के इशारे पर सामान्य प्रशासन विभाग और वित्त विभाग डाइंग कैडर में शामिल करने वाले पदों की जानकारी जुटा रही है। इसके लिए विभाग की स्थापना शाखा से भी ब्यौरा मांगा गया है। हजारों पदों को इस तरह डाइंग कैडर में डालकर उन्हें समाप्त करने की चर्चा इनदिनों विभागों के साथ ही मंत्रालय में भी जोर पकड़ रही है। 

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निगम- मंडल और आयोगों में सन्नाटा 

मंत्रालयीन सेवा अधिकारी_कर्मचारी संगठन के अध्यक्ष सुधीर नायक का कहना है विभागों में नियमित नियुक्तियां नहीं हो रही है। कुछ विभागों में ही नियुक्तियां हुई हैं लेकिन ये भी पर्याप्त नहीं है। इस वजह से विभागों में हजारों पद रिक्त पड़े हैं। शिक्षा, स्वास्थ्य, लोक निर्माण, नगरीय प्रशासन, पंचायत एवं ग्रामीण विकास, खाद्य एवं औषधि प्रशासन, विधि विभाग, पीएचई में सामान्य कामकाज भी कर्मचारियों की कमी की वजह से प्रभावित हो रहे हैं। कर्मचारियों की कमी का अनुमान इसी से लगाया जा सकता है कि ज्यादातर निगम मंडल, कॉर्पोरेशन और आयोगों में सन्नाटा पसरा रहता है। 

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डाइंग कैडर की चर्चा से नाखुश कर्मचारी

प्रदेश में कर्मचारियों की कमी के बीच डाइंग कैडर को लेकर कर्मचारी संगठन विरोध जता चुके हैं। मप्र तृतीय वर्ग कर्मचारी संघ के प्रदेश महामंत्री उमाशंकर तिवारी कहते हैं दैनिक वेतनभोगी और आउटसोर्स के जरिए विभागों में काम कराना पड़ रहा है। अब नियमित पदों को भी सरकार खत्म कर रही है। सरकार चाहती है नियमित कर्मचारियों को ज्यादा वेतन न देना पड़े और दूसरी जिम्मेदारियों से भी छुटकारा मिल जाए। सरकारी धीरे_धीरे पूरी प्रशासनिक व्यवस्था और विभागों के महत्वपूर्ण काम आउटसोर्स को सौंपना चाहती है, लेकिन यह व्यवस्था आने वाले समय में सरकार और प्रशासनिक ढांचे के लिए घातक होगी। 

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इन विभागों पर होगा सबसे ज्यादा असर

डाइंग कैडर के नाम पर अनुपयोगी हो चुके पदों को खत्म करने की बात की जा रही है। जबकि ऐसे पद खत्म करने की आड़ में चपरासी, ड्राइवर, लिपिक वर्ग, स्टेनोग्राफर, शिक्षक, तकनीकी स्वास्थ्यकर्मी और पीएचई, पीडब्ल्युडी जैसे विभागों के नियमित पदों को खाली रखकर समाप्त करने की तैयारी कर ली गई है। सरकार नियमित कर्मचारियों को दिए जाने वेतन के बदले में ज्यादा आउटसोर्स कर्मचारी रखने की व्यवस्था पर काम कर रही है। इसके पीछे ज्यादा कर्मचारियों से काम सुलभ होने का तर्क दिया जा रहा है।  

 

 

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