आरोपों के बाद VRS लेने वाले सहायक खनिज अधिकारी लुणावत को पेंशन पर ये मिली राहत

विवादित सहायक खनिज अधिकारी को वीआरएस लेने के बाद पेंशन रोक जाने पर हाईकोर्ट से राहत मिल गई है। कोर्ट ने कहा कि लंबित आपराधिक मामले के कारण पेंशन रोकी नहीं जा सकती।

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Sanjay Gupta
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Assistant Mineral Officer Lunawat
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INDORE. विवादित सहायक खनिज अधिकारी संजय लुणावत को पेंशन पर बड़ी राहत मिल गई है। बता दें कि संजय लुणावत ने आरोपों के बाद दिसंबर 2024 में नौकरी से वीआरएस (स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति) ले लिया था। गंभीर आरोपों के चलते मप्र शासन ने उनकी पेंशन रोक दी थी। इसके खिलाफ वह हाईकोर्ट इंदौर खंडपीठ में गए थे।

इंदौर हाईकोर्ट में यह लगी याचिका

वीआरएस के बाद संजय लुणावत की पेंशन रोक दी गई थी। उन पर रतलाम में पदस्थ रहने के दौरान महिला संबंधी अपराध दर्ज हुआ था। इसी केस का हवाला देकर पेंशन रोकी गई। इस पर लुणावत ने इंदौर हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।

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इंदौर हाईकोर्ट ने यह दिया आदेश

याचिकाकर्ता लुणावत के वकील ने तर्क दिया कि याचिकाकर्ता 20.12.2024 को सहायक खनिज अधिकारी, कलेक्ट्रेट, इंदौर के पद से सेवानिवृत्त हुए हैं। उन्हें आपराधिक मामला लंबित होने का बहाना बनाकर मध्य प्रदेश सिविल सेवा पेंशन नियम, 1976 के प्रावधानों के अनुसार अनंतिम पेंशन का भुगतान भी नहीं किया गया है।

हाईकोर्ट ने आदेश दिए कि याचिकाकर्ता की अनंतिम (प्रोविजनल) पेंशन तत्काल प्रदान करें। कोर्ट ने कहा- केवल आपराधिक मामले के लंबित होने के आधार पर इसे रोका नहीं जा सकता है। संबंधित अधिकारी याचिकाकर्ता की पेंशन के बकाया के संबंध में भी निर्णय लेगा। यह कार्रवाई दो सप्ताह की अवधि के भीतर शीघ्रता से की जाएगी।

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द सूत्र की खबर के बाद हुआ था ट्रांसफर

लुणावत का ट्रांसफर द सूत्र की खबरों के बाद ही हुआ था। उनके इंदौर में ट्रांसफर पर द सूत्र ने खुलासा किया था कि उन पर महिला संबंधी अपराध है और वह जेल भी गए थे। ऐसे में उनका ट्रांसफर, पोस्टिंग नहीं की जा सकती है।

साथ ही इंदौर के ठेकेदार पीडी अग्रवाल, जिसकी खदान की जांच का जिम्मा उन्हें सौंपा गया था, वह खुद उनकी दी कार में घूमते थे। इन खुलासों के बाद उनका श्योपुर ट्रांसफर आदेश हो गया था। इससे परेशान होकर लुणावत ने वीआरएस ले लिया था।

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वीआरएस संबंधी शासकीय आदेश में यह लिखा था

वहीं विभाग के जरिए वीआरएस मंजूरी के जारी हुए पत्र में लिखा था कि सहायक खनिज अधिकारी लुणावत के खिलाफ आपराधिक केस 1848/2021 रतलाम कोर्ट में विचाराधीन है और विभागीय जांच प्रचलित है। इसलिए जीएडी नियम के अनुसार उन्हें अनंतिम पेंशन देय होगी। यह पेंशन आपराधिक प्रकरण, विभागीय जांच में दोषसिद्ध होने पर रोकी जा सकेगी, लेकिन इसके बाद भी पेंशन नहीं दी गई थी। इसी को लेकर वह हाईकोर्ट गए थे।

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