ATS कस्टडी में मौत: साइबर ठगी गैंग का खुलासा, बैंक भी शक के घेरे में
मध्य प्रदेश की स्टेट साइबर पुलिस ने 14 जनवरी को 12 ठगों को गिरफ्तार किया। सतना निवासी अनजर हुसैन ने दिल्ली, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, और अन्य राज्यों में अपना नेटवर्क फैला रखा था।
गुरुग्राम में ATS की कस्टडी में मौत के बाद हिमांशु नामक व्यक्ति के गिरोह से जुड़े होने की पुष्टि हुई। हिमांशु म्यूल अकाउंट ऑपरेट करता था, जिसके जरिए साइबर ठगी की रकम का लेन-देन किया जाता था।
मध्य प्रदेश की स्टेट साइबर पुलिस ने 14 जनवरी को 12 ठगों को गिरफ्तार किया। सतना निवासी अनजर हुसैन ने दिल्ली, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, और अन्य राज्यों में अपना नेटवर्क फैला रखा था। ये गिरोह लोगों को सरकारी योजनाओं का लाभ दिलाने का झांसा देकर उनके दस्तावेज प्राप्त करता और फर्जी बैंक अकाउंट खोलता था।
बैंक अधिकारियों की संदिग्ध भूमिका
फर्जी खातों में जमा करोड़ों रुपए का पुलिस को पता नहीं चलता था क्योंकि बैंक अधिकारी इसमें सहयोग करते थे। ठगी की रकम UPI के जरिए अरब देशों में भेजी जाती थी, और इसके बदले बैंक कर्मचारियों को कमीशन दिया जाता था।
जांच में यह सामने आया है कि शुरुआत में ATS ने इसे टेरर फंडिंग से जोड़ा था, लेकिन आगे साइबर फ्रॉड की पुष्टि हुई। यह मामला अब स्टेट साइबर सेल को सौंपा गया है।
मार्च 2024 में सतना निवासी केके गौतम ने बैंक बैलेंस की अनियमितता के कारण पुलिस में शिकायत की। जांच में पता चला कि फर्जी खातों के जरिए करोड़ों का लेन-देन किया जा रहा है।
FAQ
साइबर ठगों का नेटवर्क कैसे काम करता था?
ये गिरोह फर्जी दस्तावेजों के आधार पर बैंक अकाउंट खोलता था और ठगी की रकम ट्रांसफर करता था।
ATS की जांच में क्या खुलासा हुआ?
हिमांशु नामक व्यक्ति म्यूल अकाउंट के जरिए ठगी की रकम ऑपरेट करता था।
बैंक अधिकारियों की क्या भूमिका थी?
बैंक अधिकारियों ने खातों में बड़ी रकम आने के बावजूद पुलिस को सूचना नहीं दी।
गिरोह ने ग्रामीणों को कैसे निशाना बनाया?
गिरोह ग्रामीणों से उनके दस्तावेज लेकर फर्जी बैंक अकाउंट खोलता था।
क्या इस मामले में टेरर फंडिंग का संबंध है?
जांच में शुरुआत में टेरर फंडिंग का संदेह था, लेकिन बाद में साइबर ठगी की पुष्टि हुई।