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BHOPAL. राज्य की योजनाएं तो अफसरों के उदासीन रवैए का शिकार हैं ही, अब अधिकारी केंद्र की योजनाओं की भी अनदेखी कर रहे हैं। यही वजह है कि छोटी बसाहटों तक स्वास्थ्य सेवा के विस्तार के लिए केंद्र की आयुष्मान आरोग्य मंदिर योजना प्रदेश में लड़खड़ा रही है। आरोग्य मंदिर के नाम से शुरू हुए केंद्रों की छवि अब पहले से बदहाल प्रदेश के प्राथमिक उपस्वास्थ्य केंद्रों जैसी बनने लगी है। योजना के तहत शुरू किए गए 11 हजार से ज्यादा आरोग्य केंद्र केवल सीएचओ और ऑपरेटर के भरोसे छोड़ दिए गए हैं। स्वास्थ्य विभाग इनमें फार्मासिस्ट ही नियुक्त नहीं किए गए हैं। केंद्रों पर मरीजों को दवाएं उपलब्ध कराने में गड़बड़ी की स्थिति बन रही है। वहीं बिना फार्मासिस्ट दवा वितरण के चलते विभाग ही फार्मेसी एक्ट के उल्लंघन का जिम्मेदार बन रहा है।
केंद्र सरकार द्वारा तीन से पांच हजार की आबादी वाली बसाहटों में स्वास्थ्य सेवा के विस्तार के लिए आयुष्मान आरोग्य मंदिर शुरू किए गए हैं। प्रदेश में ऐसे 11 हजार 800 से ज्यादा आरोग्य केंद्र चल रहे हैं। छोटी बसाहटों में रहने वाले ग्रामीणों को स्वास्थ्य जांच और निशुल्क दवाओं के लिए परेशानी न हो इसके लिए केंद्रों पर सीएचओ के साथ ही फार्मासिस्ट के पद भी रखे गए हैं। प्रदेश के इन आरोग्य मंदिरों में स्वास्थ्य विभाग द्वारा कम्युनिटी हेल्थ ऑफिसर के रूप में प्रशिक्षित स्वास्थ्यकर्मियों और डेटा एंट्री ऑपरेटर नियुक्त किए गए हैं। वहीं अब तक फार्मासिस्टों की नियुक्ति नहीं हो पाई है। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों की अनदेखी के कारण आरोग्य केंद्रों अपने उद्देश्य से भटक गए हैं।
ऑपरेटर- चौकीदार बांट रहे दवा
दरअसल, योजना के तहत शुरू किए गए आरोग्य मंदिरों पर तैनात कम्युनिटी हेल्थ ऑफिसरों को मरीजों के चेकअप और परामर्श का दायित्व सौंपा गया है। जबकि दवाओं का वितरण और मरीजों को उनके सेवन की जानकारी की जिम्मेदारी फार्मासिस्टों की है। वहीं केंद्र का पूरा डेटा अपडेट करने के लिए ऑपरेटर भी रखे गए हैं। 11 हजार 800 केंद्रों में से एक भी केंद्र में फार्मासिस्ट तैनात नहीं है। इस वजह से सीएचओ मरीजों की जांच कर पर्चा लिख देते हैं और ऑपरेटर या कोई अन्य स्वास्थ्यकर्मी दवाएं उपलब्ध कराता है। इस व्यवस्था में दवा वितरण में चूक होने का अंदेशा बना हुआ है जिससे मरीज खतरे में पड़ सकते हैं। इसको लेकर केंद्रों पर तैनात कम्युनिटी हेल्थ ऑफिसर भी अपनी चिंता से अधिकारियों को अवगत करा चुके हैं।
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उपेक्षा का शिकार महत्वाकांक्षी योजना
सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी संघ के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. शशांक राय के अनुसार केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी योजना को गंभीरता दिखाने की जरूरत है। अभी आरोग्य मंदिर बिना फार्मासिस्ट चल रहे हैं। इसके कारण कम्युनिटी हेल्थ ऑफिसर पर काम का दबाव बढ़ गया है औरर गैर जानकार से दवा वितरण कराना पड़ रहा है। गलत दवा का वितरण मरीजों के साथ ही स्वास्थ्यकर्मी भी बेवजह उलझन में पड़ सकते हैं। केंद्र की महत्वपूर्ण योजना के क्रियान्वयन का पूरा लाभ मरीजों को मिले इसके लिए फार्मासिस्ट की नियुक्ति जरूरी है।भी का कहना है कि आयुष्मान आरोग्य मंदिर भारत सरकार का ड्रीम प्रोजेक्ट है। यहां फार्मासिस्टों के साथ डेटा एंट्री ऑपरेटर की नियुक्ति भी होना चाहिए। तभी ग्रामीण जनता को सुलभ और समुचित उपचार मिल पाएगा।
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उद्देश्य से भटक रहे आरोग्य मंदिर
केंद्र सरकार द्वारा आरोग्य मंदिरों के नाम से शुरू किए गए केंद्रों पर ही एलोपैथी के साथ-साथ आयुर्वेदिक उपचार की भी व्यवस्था की जानी है। इसके पीछे लोगों को एलोपैथी के साथ- साथ उनकी इच्छा के आधार पर आयुर्वेदिक पद्धधि से इलाज और दवा मुहैया कराना है। हांलाकि महीनों बीतने के बाद भी आरोग्य मंदिरों में आयुर्वेदिक दवाएं नहीं पहुंची हैं। इस वजह से केंद्रों पर आयुर्वेदिक उपचार फिलहाल शुरू ही नहीं हो सका है। यानी केंद्र के आरोग्य मंदिर मरीजों को पूरी स्वास्थ्य सेवा नहीं दे पा रहे हैं। इस स्थिति को देखते हुए सीएचओ जिले और राज्य के अधिकारियों से पत्राचार भी करते आ रहे हैं लेकिन अब तक कुछ नहीं हुआ।
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गुजरात, राजस्थान से पीछे मध्य प्रदेश
आयुष्मान आरोग्य मंदिरों के सुचारू संचालन के लिए पद और व्यवस्था का निर्धारण केंद्र सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा तय किया गया है। इसके तहत मध्य प्रदेश के साथ ही पंजाब, राजस्थान, हरियाणा, गुजरात सहित कुछ अन्य राज्यों में भी आरोग्य मंदिर संचालित किए जा रहे हैं। इन केंद्रों के संचालन में गुजरात, हरियाणा, पंजाब और राजस्थान के हालात बेहतर हैं। यहां केंद्रों पर मरीजों को स्वास्थ्य सेवा देने के लिए कम्युनिटी हेल्थ ऑफिसर के साथ ही फार्मासिस्ट और आपरेटर सहित अन्य इंतजाम भी किए जा चुके हैं। वहीं मध्य प्रदेश में आरोग्य केंद्रों की छवि पहले से ठप पड़ उप स्वास्थ्य केंद्र की तरह बनती जा रही है।