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MP cabinet excise policy decision Photograph: (thesootr)
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MP cabinet excise policy decision Photograph: (thesootr)
मध्यप्रदेश सरकार शराब को लेकर नवाचार करने जा रही है। सरकार ने प्रदेश में हल्के नशे वाली शराब लॉन्च करने का फैसला लिया है। इसके साथ ही हल्के नशे वाली शराब के लिए नए बार भी खोले जाएंगे। इन बार में रेडी टू ड्रिंक शराब मिलेगी। सरकार ने कच्ची शराब की खपत को कम करने और नशे पर नियंत्रण लाने के मकसद से नई आबकारी नीति की घोषणा की है। इस नीति के तहत सरकार 60 यूपी ( अंडर प्रुफ ) यानी हल्के नशे वाली शराब लॉंच करेगी और नए बार खोलेगी।
सरकार का मानना है कि सस्ती और हल्के नशे वाली शराब मिलने से कच्ची शराब का उत्पादन भी कम होगा और खपत भी घटेगी। गौरतलब है कि कच्ची शराब न केवल सेहत के लिए हानिकारक होती है, बल्कि इससे अवैध कारोबार भी बढ़ता है। 60 यूपी ( अंडर प्रुफ ) की शराब पहले से ही राजस्थान और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में बिक रही है। हालांकि इन राज्यों में भी इसकी बिक्री कम ही है। इसकी सबसे बडी वजह ये है कि इस शराब का नशा कम होता है। इसी बात को ध्यान में रखते हुए मध्यप्रदेश सरकार इसे अधिक लोकप्रिय बनाने के लिए कीमत और उपलब्धता पर जोर दे रही है।
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इसके साथ ही सरकार 'बार' के रूप में एक नई कैटेगरी शुरू करने जा रही है। इन बारों में कम अल्कोहल वाली शराब, जिसे 'रेडी टू ड्रिंक' कहा जाता है, उपलब्ध होगी। इस प्रकार की शराब में पानी मिलाने की आवश्यकता नहीं होती और यह कम मात्रा में नशा देती है। इसके साथ ही इन बारों में बियर भी परोसी जाएगी। नए बियर बार के लाइसेंस की फीस पहले से चले आ रहे बार के लाइसेंस की तुलना में कम होगी, जिससे यह उद्यमियों और उपभोक्ताओं दोनों के लिए आकर्षक विकल्प बनेगा। सरकार का मकसद है कि लोग कच्ची शराब या अधिक नशीले पदार्थों की जगह इन विकल्पों की ओर आकर्षित हों।
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मध्यप्रदेश सरकार का यह कदम न केवल शराब के अवैध कारोबार को रोकने की दिशा में है, बल्कि नशे की आदत पर भी अंकुश लगाने का प्रयास है। नई नीति से राज्य की राजस्व वृद्धि की भी उम्मीद है।
आबकारी विभाग का मानना है कि यदि यह योजना सफल होती है, तो स्वास्थ्य से जुड़े जोखिमों में कमी आएगी और अवैध शराब से होने वाली घटनाओं पर लगाम लगेगी। नई नीति से जनता और कारोबारियों के बीच सकारात्मक प्रभाव की उम्मीद जताई जा रही है। यह देखना दिलचस्प होगा कि सरकार की यह पहल कच्ची शराब के बढ़ते प्रचलन को रोकने में कितनी प्रभावी साबित होती है।
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मोहन कैबिनेट की इस बैठक में राज्य के 17 धार्मिक नगरों में शराब की दुकानें पूरी तरह बंद करने का ऐलान किया गया। यह फैसला एक अप्रैल से लागू होगा। सीएम मोहन ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि इन दुकानों को अन्य स्थानों पर शिफ्ट नहीं किया जाएगा। इसके तहत उज्जैन, दतिया, पन्ना, मंदसौर, मैहर और महेश्वर समेत अन्य धार्मिक क्षेत्रों की 47 शराब दुकानों को बंद किया जाएगा।
इसके अलावा, ओंकारेश्वर, महेश्वर, ओरछा, चित्रकूट और अमरकंटक के नगर परिषद क्षेत्रों में शराब बिक्री पर रोक लगाई जाएगी। ग्राम पंचायत स्तर पर भी सलकनपुर माता मंदिर, कुंडलपुर और बांदकपुर जैसे धार्मिक स्थलों के पांच किलोमीटर के दायरे में शराबबंदी की मौजूदा नीति जारी रहेगी। इस निर्णय से धार्मिक नगरों में आध्यात्मिक और सांस्कृतिक वातावरण बनाए रखने की सरकार की मंशा स्पष्ट होती है। शुक्रवार, 24 जनवरी को मोहन कैबिनेट की बैठक का आयोजन किया था। इस बैठक में आबकारी नीति को लेकर भी कई फैसले किए गए हैं।
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2. पुरानी प्रक्रिया जारी: राजस्व में अनिश्चितता और अव्यवस्था से बचने के लिए, नवीनीकरण, लॉटरी और टेंडर की पुरानी प्रक्रिया को ही जारी रखा गया है।
3. कच्ची शराब पर नियंत्रण: सस्ती शराब के कारण कच्ची शराब के उपयोग को कम करने के लिए, अब 60 यूपी की हल्की देशी शराब और 90 मिलीलीटर की छोटी बोतलें लॉन्च की जा रही हैं।
4. ड्यूटी में समानता: आबकारी ड्यूटी में समानता लाने के लिए अब शराब की कीमत के प्रतिशत के आधार पर ड्यूटी तय की जाएगी।
5. कम अल्कोहल वाली शराब को बढ़ावा: ज्यादा अल्कोहल वाली हार्ड लिकर को हतोत्साहित करने के लिए, कम अल्कोहल वाली शराब के नए बार शुरू किए जा रहे हैं।