हार्टअटैक के नाम पर भोपाल में निजी अस्पताल कर रहे आयुष्मान कार्ड धारकों से अवैध वसूली

आयुष्मान योजना से जुड़े अधिकारियों के मुताबिक, हर महीने इस तरह की 10 से 15 शिकायतें आती हैं, यानी साल भर में 120 से 180 शिकायतें इस योजना में धोखाधड़ी के मामले सामने आते हैं।

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Sandeep Kumar
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आयुष्मान योजना के तहत निजी अस्पताल में धोखाधड़ी की मामले सामने आ रहे है। ताजा मामला है भोपाल के जुबेर मोहम्मद का। दरअसल इनका इलाज आयुष्मान कार्ड से होना था, लेकिन प्राइवेट अस्पताल ने उन्हें डराकर और धमकाकर 4 लाख रुपए की रकम वसूल ली, जबकि आयुष्मान योजना में हार्ट सर्जरी के लिए अधिकतम पैकेज डेढ़ लाख रुपए था। जब जुबेर ने इस मामले की शिकायत की, तो आयुष्मान योजना के अधिकारियों ने पुष्टि की कि यह राशि गलत तरीके से ली गई थी, लेकिन तीन महीने बाद भी अस्पताल से उनकी राशि वापस नहीं की गई और न ही कोई कार्रवाई की गई। यह घटना आयुष्मान कार्डधारकों के लिए एक चेतावनी है, क्योंकि ऐसे धोखाधड़ी के मामले हर महीने सामने आ रहे हैं।

आयुष्मान कार्ड खारिज !

जुबेर के इलाज के दौरान अस्पताल ने उनका आयुष्मान कार्ड खारिज कर दिया और उनसे 4 लाख रुपए की रकम बिना किसी कानूनी आधार के वसूली। अस्पताल ने रिपोर्ट दिखाते हुए कहा कि जुबेर का हार्ट केवल 16 प्रतिशत काम कर रहा है, जिससे उनका जीवन संकट में है। इस डर से जुबेर के परिवार ने रिश्तेदारों से उधार लेकर पैसे जमा किए, और ऑपरेशन तुरंत कर दिया गया। यह दिखाता है कि अस्पताल कैसे मरीजों को डराकर पैसे वसूलते हैं।

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अस्पताल को नोटिस जारी

जुबेर ने इलाज के बाद इस धोखाधड़ी के खिलाफ आयुष्मान योजना के अधिकारियों से शिकायत की। जांच में यह पाया गया कि उनका आयुष्मान कार्ड सही था, और अस्पताल ने नियमों के खिलाफ पैसे वसूले थे। अधिकारियों ने अस्पताल को नोटिस जारी किया और पैसे वापस करने का आश्वासन दिया, लेकिन तीन महीने बाद भी जुबेर को न तो राशि वापस मिली और न ही अस्पताल के खिलाफ कोई कार्रवाई हुई। यह दर्शाता है कि ऐसे मामलों में प्रशासनिक लापरवाही भी हो रही है।

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जुबेर मोहम्मद खान की आपबीती

भोपाल के निवासी जुबेर मोहम्मद खान की यह कहानी आयुष्मान योजना के तहत इलाज करवाने वाले मरीजों से धोखाधड़ी का है। 2024 में, जुबेर को सीएचएल अस्पताल में हार्ट ब्लॉकेज का इलाज कराने के लिए कहा गया। हालांकि, अस्पताल ने यह दावा किया कि उनका आयुष्मान कार्ड नहीं चलेगा और 4 लाख रुपए की रकम तत्काल जमा करने के लिए कहा। जुबेर और उनके परिवार को डराकर और फर्जी रिपोर्ट दिखाकर पैसा लिया गया, जबकि आयुष्मान योजना में बायपास सर्जरी के लिए अधिकतम पैकेज डेढ़ लाख रुपए था।

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धोखाधड़ी का बढ़ता मामला

आयुष्मान योजना से जुड़े अधिकारियों के मुताबिक, हर महीने इस तरह की 10 से 15 शिकायतें आती हैं, यानी साल भर में 120 से 180 शिकायतें इस योजना में धोखाधड़ी के मामले सामने आते हैं। यह एक बड़ा संकेत है कि कैसे कुछ प्राइवेट अस्पताल इस योजना का गलत फायदा उठा रहे हैं। योजना का उद्देश्य गरीबों को स्वास्थ्य सेवा प्रदान करना है, लेकिन इन धोखाधड़ी के मामलों ने इसे विवादास्पद बना दिया है।

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पहले भी हो चुकी है ऐसी घटनाएं

यह पहली बार नहीं है जब आयुष्मान योजना से जुड़ी धोखाधड़ी का मामला सामने आया है। पहले भी ऐसे मामलों में आयुष्मान कार्डधारकों से अतिरिक्त पैसे लिए गए हैं, और इसके बावजूद प्रशासन कोई ठोस कार्रवाई नहीं कर पा रहा है। इसने योजना के उद्देश्य और प्रभावशीलता पर सवाल उठाए हैं।

अस्पतालों के खिलाफ कार्रवाई

यह मामला यह दर्शाता है कि सरकारी योजनाओं के तहत इलाज करवाने वाले मरीजों के साथ किस तरह की धोखाधड़ी हो रही है। इन मामलों में अगर सही समय पर कार्रवाई नहीं की गई, तो यह गंभीर समस्याएं पैदा कर सकता है। जुबेर के मामले में अधिकारियों ने अस्पताल को नोटिस जारी किया, लेकिन कार्रवाई न होने के कारण यह केस अधर में लटका हुआ है। इससे यह स्पष्ट होता है कि सरकारी अधिकारियों को सख्त कदम उठाने की जरूरत है, ताकि मरीजों को उनके अधिकार मिल सकें।

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