बाबू क्या पैसा खाने बैठा है, आप क्या कर रहे हैं, जब अफसरों पर भड़के CS

मध्य प्रदेश के मुख्य सचिव अनुराग जैन के सख्त तेवर सामने आए हैं। उन्होंने भरी मीटिंग में कहा कि बाबू क्या पैसे खाने बैठा है। अधिकारी क्या कर रहे हैं? दरअसल, सीएस जैन प्रदेश में आने वाले समय में होने वाली भर्तियों को लेकर बैठक कर रहे थे। 

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Ravi Kant Dixit
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Anurag Jain

Anurag Jain Photograph: (Anurag Jain)

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BHOPAL. मध्य प्रदेश के मुख्य सचिव अनुराग जैन के सख्त तेवर सामने आए हैं। अधिकारियों ने गोलमोल जवाब दिए तो उन्होंने भरी मीटिंग में कहा कि बाबू क्या पैसे खाने बैठा है। अधिकारी क्या कर रहे हैं? दरअसल, सीएस जैन प्रदेश में आने वाले समय में होने वाली भर्तियों को लेकर बैठक कर रहे थे। 

इस दौरान स्कूल शिक्षा विभाग का नंबर आया है। पता चला कि शिक्षकों के साढ़े 7 हजार पदों पर भर्ती की जानी है, लेकिन इनमें से 3 हजार पद पर चयनित अभ्यर्थी फिट नहीं बैठते। इस पर उन्होंने पीएस संजय गोयल से जवाब-तलब किया। गोयल ने गोलमाल जवाब दिए। साथ ही पता चला कि विभागीय आंकड़ों और पोर्टल पर दर्ज आंकड़ों में अंतर है। इसे लेकर सीएस अनुराग जैन ने सवाल किया। बोले, आपने काउंसलिंग क्यों नहीं कराई। भर्तियां क्यों नहीं हो रही हैं? बाबू क्या पैसे खाने के लिए बैठा है। 

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आरक्षण को लेकर नियम स्पष्ट नहीं 

बैठक में सामने आया कि संविदा भर्ती के 50 फीसदी पदों पर कर्मचारियों को नौकरी में आरक्षण दिया जाएगा। शिवराज सरकार के वक्त यह तय किया गया था? जब सीएस जैन ने इसे लेकर सवाल किया तो पता चला कि इसे लेकर नियम ही स्पष्ट नहीं है। इस पर सीएस भड़क गए। उन्होंने आईएएस अधिकारियों से ही सवाल किया कि जब यूपीएससी समय पर परीक्षा नहीं कराएगा तो आपको कैसा लगेगा। युवाओं के बारे में हम क्यों नहीं सोच रहे हैं। एमपी पीएससी के अभ्यर्थी ठंड में बैठने को मजबूर हैं। 

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तेवर देखकर चुप हुए सेक्रेटरी 

इसी मामले में उन्होंने तकनीकी शिक्षा विभाग के सेक्रेटरी एमआर रघुराज से सवाल—जवाब किए। इस पर उन्होंने भी गोलमोल जवाब देने की कोशिश की। रघुराज बोले, मैं ईएसबी से चर्चा कर रहा हूं। विभागों से समन्वय कर रहे हैं। इस पर सीएस अनुराग जैन ने कहा, भर्ती क्यों नहीं हुई। समाधान कौन निकालेगा। किसकी जिम्मेदारी है? सीएस के तेवर देखकर रघुराज भी चुप हो गए। 

विभागों के बीच समन्वय नहीं

गौरतलब है कि मध्यप्रदेश में एक लाख पदों पर भर्ती को लेकर प्रक्रिया चल रही है, लेकिन विभागों में समन्वय ही नहीं है। अधिकारियों को असल जानकारी ही नहीं पता है कि उनके विभागों में कितने पद खाली हैं। कितने पद और भर्तियां कोर्ट में लंबित हैं। यहां तक कि विभागीय अधिकारियों का कहना है कि जीएडी ने जो पद भेजे हैं, उनमें असमंजस की स्थिति है।

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