मध्य प्रदेश के छतरपुर स्थित बागेश्वर धाम में इस साल होली का उत्सव बेहद खास रहा। तीन दिन तक चले इस होली उत्सव में भक्तों ने पूरे जोश और श्रद्धा के साथ भाग लिया। इस दौरान के उत्सव मनाते हुए भक्तों ने जमकर अबीर और गुलाल उड़ा और होली खेली। शनिवार को समापन पर बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने कहा कि यह होली का त्योहार तनातनियों की नहीं, सनातनियों का है, जिसे हमें अपनी संस्कृति के साथ मनाना चाहिए। उन्होंने भक्तों से सालभर पानी बचाने की अपील की, लेकिन होली पर रंगों से भरपूर उत्सव मनाने का संदेश दिया।
तीन दिन चला भव्य होली उत्सव
बागेश्वर धाम में 12 मार्च से शुरू हुए होली उत्सव का समापन शनिवार (15 मार्च) को हुआ। तीन दिवसीय होली उत्सव के पहले दिन फूलों की होली खेली गई, जिसमें धाम के भक्तों ने गुलाब, गेंदा और अन्य फूलों की पंखुड़ियों से होली खेली। दूसरे दिन अबीर और गुलाल की होली का आयोजन हुआ। उत्सव के तीसरे दिन पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने बागेश्वर महादेव, बालाजी के दरबार में गुलाल लगाया। फिर राम दरबार में सभी देवताओं को गुलाल समर्पित किया। फिर महाराज श्रद्धालुओं के साथ होली खेलने के लिए परिसर में पहुंचे।
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धीरेंद्र शास्त्री बोले- ‘यह होली सनातनियों की है’
होली पर रंग-गुलाल खेलकर उत्सव मनाते हुए पंडित धीरेंद्र शास्त्री ने कहा कि यह होली सनातनियों की है, जिसे हमें पूरे उत्साह और श्रद्धा के साथ मनाना चाहिए। उन्होंने लोगों से अपनी संस्कृति को जीवंत बनाए रखने की अपील की। उन्होंने कहा कि सालभर जरूर पानी बचाएं, लेकिन होली पर गुलाल और रंग जमकर खेले। उन्होंने बुंदेली फागों का आनंद लेकर लेते हुए गांव और क्षेत्रवासियों के साथ फागों की धुन पर जमकर नृत्य भी किया।
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बुंदेली फागों पर झूमे भक्त, शास्त्री ने भी गाए भजन
तीन दिवसीय उत्सव के दौरान बुंदेली फागों की गूंज से पूरा बागेश्वर धाम संगीतमय हो गया। भक्तों ने पारंपरिक नृत्य किया और फाग गीत गाए। धीरेंद्र शास्त्री भी इस उत्साह में शामिल हुए और भक्तों के साथ नृत्य किया। साथ ही अबीर और गुलाल उड़ाकर रंगोत्सव मनाया। इस दौरान ग्रामीणों ने बुंदेली फागों की प्रस्तुतियां दीं। उन्होंने खुद भी बुंदेली फाग गाए और माहौल भक्तिमय बना दिया। देश-विदेश से आए श्रद्धालु भी इस होली उत्सव में शामिल हुए और पूरी तरह रंगों में सराबोर हो गए।
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4 क्विंटल फूलों से सजी होली, बरसाया गया गुलाल
- होली के लिए 4 क्विंटल फूलों की पंखुड़ियां मंगाई गईं।
- श्रद्धालु खुद भी अपने साथ फूल लेकर आए थे।
- लगभग 12 सिलेंडर गुलाल धाम की समिति द्वारा मंगवाया गया था।
- हर तरफ अबीर-गुलाल उड़ाया गया और भक्त खुशी से झूम उठे।
भक्तों के लिए भंडारे की विशेष व्यवस्था
- बागेश्वर धाम में होली के दौरान श्रद्धालुओं के लिए भंडारे का आयोजन किया गया।
- भक्तों को पनीर की सब्जी, रोटी, खीर, दाल-चावल, पूरी, डोसा, बुंदेली व्यंजन, रसगुल्ला, सलाद, पापड़ परोसे गए।
- बाबा बागेश्वर ने भी भक्तों के साथ बैठकर भंडारे का प्रसाद ग्रहण किया।
14 अप्रैल को मुंबई में बड़ा आयोजन, भक्तों को दिया निमंत्रण
होली उत्सव के दौरान धीरेंद्र शास्त्री ने गांववालों को 14 अप्रैल को मुंबई के भिवंडी में होने वाले बालाजी प्राण-प्रतिष्ठा कार्यक्रम में शामिल होने का न्योता दिया। उन्होंने कहा कि सनातन संस्कृति को बनाए रखने के लिए सभी भक्तों को इस आयोजन का हिस्सा बनना चाहिए।
5 मुख्य बिंदुओं से समझें पूरा मामला
✅ बागेश्वर धाम में तीन दिवसीय होली उत्सव धूमधाम से मनाया गया, जिसमें फूलों, अबीर और रंगों से होली खेली गई।
✅ धीरेंद्र शास्त्री ने कहा कि यह होली सनातनियों की है और सभी को इसे पूरे उत्साह से मनाना चाहिए।
✅ बुंदेली फागों की धुन पर भक्त झूमे, धीरेंद्र शास्त्री ने भी फाग गाया और नृत्य किया।
✅ श्रद्धालुओं के लिए भंडारे का आयोजन हुआ, जिसमें पारंपरिक व्यंजन परोसे गए।
✅ धीरेंद्र शास्त्री ने भक्तों को 14 अप्रैल को मुंबई में होने वाले बालाजी प्राण-प्रतिष्ठा कार्यक्रम में शामिल होने का निमंत्रण दिया।
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