भूमाफिया मद्दा की जमानत याचिका खारिज,High Court ने कहा हो सकता है फरार

मध्यप्रदेश में भूमाफिया दीपक मद्दा को तीन अप्रैल 2023 को क्राइम ब्रांच में दर्ज 4.89 करोड़ के घोटाले में गिरफ्तार किया था। मद्दा ने कल्पतरू सोसायटी से अपने निजी बैंक खातों में यह राशि ट्रांसफर की। अब मद्दा की जमानत याचिका को हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया है।

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Jitendra Shrivastava
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संजय गुप्ता, INDORE. भूमाफिया मद्दा उर्फ दिलीप सिसौदिया की जमानत याचिका हाईकोर्ट ने खारिज कर दी है। वह तीन अप्रैल 2023 से कल्पतरू सोसायटी के 4.89 करोड़ के जमीन घोटाले में जेल में बंद है। हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि इस मामले में तीन आरोपी पहले से ही फरार है, ऐसे में यदि आरोपी (मद्दा) को जमानत दी जाती है तो आशंका है कि वह सबूतों से छेड़छाड़ कर सकता है या फिर भगौड़ा (फरार) हो सकता है। इसलिए जमानत याचिका खारिज की जाती है।

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High Court में मद्दा ने सिविल वाद बताकर की बचने की कोशिश

दीपक मद्दा को तीन अप्रैल 2023 को क्राइम ब्रांच में दर्ज 4.89 करोड़ के घोटाले में गिरफ्तार किया गया था। सोसायटी की जांच में आया था कि इसने कल्पतरू सोसायटी से अपने निजी बैंक खातों में यह राशि ट्रांसफर की। वहीं यह भी बताया कि एक नवंबर 2018 को उसका और सोसायटी का करार हुआ था, साथ ही सर्वे नंबर 193, 194, 195, 196, 197 पर 50 हजार वर्गफीट बिल्टअप के लिए 27 अगस्त 2019 को करार हुआ था। यह राशि इसी करार के लिए मिली थी। यह करार जब पूरा नहीं हुआ तो नवंबर 2019 व दिसंबर 2020 में 70 लाख रुपए सोसायटी को वापस लौटा दिए। वहीं सोसायटी ने उस पर बकाया राशि 4.19 करोड़ के लिए सिविल केस भी लगाया हुआ है। यह पूरा मामला सिविल वाद का होकर लेन-देन का है ना कि क्राइम है। 

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शासन के पक्ष से इस तरह खुल गई कोर्ट में पोल

वहीं शासन की ओर से अधिवक्ता हेमंत शर्मा व विराज गोधा द्वारा रखे गए पक्ष से मद्दा की पूरी खोल खुल गई। शासन की ओर से बताया गया कि मद्दा खुद सोसयटी में पद पर रहा है। यह करार की जो बात कर रहा है वह इसी मामले में सह आरोपी बने प्रकाश गिरी के साथ ही किया गया था, जो फरार है। साथ ही यह करार 28 अगस्त 2019 को होने से पहले ही तीन करोड़ राशि मद्दा के खाते में ट्रांसफर हो गई थी। यह करार सोसायटी के रिकार्ड में है ही नहीं, और ना ही यह करार रजिस्टर्ड होकर स्टाम्प पेपर है। यह सादा करार है जो आरोपी और सह आरोपी के बीच में बना हुआ है। बाद में सिविल वाद भी सह आरोपी प्रकाश गिरी ने ही मद्दा पर लगाया, यह साफ है कि दोनों की मिलीभगत होकर क्राइम को सिविल वाद का रंग देने की कोशिश की गई।

तीनों सह आरोपी भी फरार हो गए

शासन की ओर से अधिवक्ता हेमंत शर्मा व विराज गोधा ने कोर्ट को यह भी बताया कि इस मामले में सह आरोपी प्रकाश गिरी, मधुकांत गिरी और कमलेश जैन फरार है। ऐसे में आशंका है कि यदि आरोपी को जमानत का लाभ मिला तो वह भी फरार हो जाएगा और सबूतों के साथ छेड़खानी करेगा। सभी पक्ष सुनने के बाद जस्टिस प्रकाश चंद्र गुप्ता ने दीपक मद्दा की जमानत याचिका खारिज कर दी।

High Court भूमाफिया मद्दा