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MP News: मध्य प्रदेश हाईकोर्ट बार काउंसिल के अध्यक्ष धन्यकुमार जैन ने वरिष्ठ अधिवक्ता आदित्य संघी के खिलाफ शिकायत दर्ज की है। यह शिकायत चीफ जस्टिस और सभी न्यायाधीशों को सौंपी गई है। पत्र में आदित्य संघी पर अपमानजनक, अशोभनीय और संघ विरोधी व्यवहार का आरोप लगाया गया है। शिकायत में उनकी वरिष्ठ अधिवक्ता की स्थिति की समीक्षा और उनकी योग्यता पर सवाल उठाए गए हैं।
कार्यक्रम के दौरान सीट विवाद से शुरू हुआ विवाद
शिकायत में बताया गया है कि जब से आदित्य संघी को वरिष्ठ अधिवक्ता के रूप में नामांकित किया गया है, वे न्यायमूर्तियों के लिए आरक्षित सीटों पर बैठने लगे हैं। बार काउंसिल द्वारा कई बार अनुरोध करने के बावजूद वे इन आरक्षित सीटों से उठने को तैयार नहीं होते। सबसे बड़ी घटना तब घटी जब हाईकोर्ट के जस्टिस अरविंद सुश्रुत धर्माधिकारी के विदाई समारोह में आदित्य संघी विशेष रूप से जजों के लिए आरक्षित सीट पर बैठ गए। संघ अध्यक्ष धन्यकुमार जैन ने उन्हें बार-बार हाथ जोड़कर आग्रह किया कि वे पूर्व अध्यक्ष और वरिष्ठ अधिवक्ता उमाकांत शर्मा के बगल में बैठ जाएं, लेकिन अधिवक्ता संघी ने न केवल उनकी बात अनसुनी की बल्कि उन्हें अपशब्द कहे और कहा कि "तुम्हें सीनियर एडवोकेट के साथ सम्मान से बात करना नहीं आता।" इसके बाद वे चिल्लाते हुए कार्यक्रम स्थल से बाहर चले गए।
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व्हाट्सएप और सोशल मीडिया पर भी अपमान
धन्यकुमार जैन के अनुसार, इस घटना के बाद से वरिष्ठ अधिवक्ता आदित्य संघी लगातार सोशल मीडिया और व्हाट्सएप पर उन्हें व्यक्तिगत रूप से अपमानित करने वाले संदेश भेज रहे हैं। इन संदेशों में आदित्य संघी ने स्वयं को ‘हीरो’ बताया और अधिवक्ता संघ को ‘गुंडों की बार’ तक कह दिया। शिकायत पत्र में आरोप है कि आदित्य संघी बार-बार यह कहते पाए गए हैं कि “यह बार गुंडों की बार है, इसका अध्यक्ष गुंडा है। असली बार मेरे पिता स्व. जे. पी. संघी द्वारा स्थापित हाईकोर्ट एडवोकेट बार है, और मैं सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा देकर इस बार की मान्यता समाप्त करवा दूंगा।”
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गंभीर षड्यंत्र की आशंका जताई गई
डी के जैन ने यह भी दावा किया है कि अधिवक्ता संघी कुछ बार विरोधी सदस्यों के साथ मिलकर किसी बड़ी घटना की साजिश रच सकते हैं। उन्होंने न्यायालय से आग्रह किया है कि इस पूरे प्रकरण की गंभीरता से जांच की जाए और विचार किया जाए कि क्या आदित्य संघी अब भी वरिष्ठ अधिवक्ता के रूप में अपनी स्थिति बनाए रखने के योग्य हैं।
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सुप्रीम कोर्ट और अन्य संस्थाओं को भी भेजी गई शिकायत
यह शिकायत सिर्फ मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय तक सीमित नहीं रही, बल्कि इसकी प्रतिलिपि सुप्रीम के कोर्ट चीफ जस्टिस बी. आर. गवई, जबलपुर हाईकोर्ट एडवोकेट बार एसोसिएशन तथा सीनियर एडवोकेट बार काउंसिल को भी भेजी गई है।
कई अधिवक्ताओं की शिकायत भी आ चुकी है सामने
हाईकोर्ट के गलियारों में ऐसे कई मामलों की चर्चाएं हैं जिसमें अधिवक्ता आदित्य संघी ने फीस और मामला लेने के बाद भी उसे पर कोई काम नहीं किया। बताया जा रहा है कि एक जूनियर अधिवक्ता ने EOW का एक मामला अधिवक्ता आदित्य संगी को दिया था जिसमें EOW के अधिकारियों ने रकम इक्कठी कर 95 हजार रुपए की फीस भी भरी थी। लेकिन इस मामले को लेने के बाद अधिवक्ता आदित्य संघी ने, ना तो इस मामले में कोई अपील दायर की और ना ही कोई आगे की कार्यवाही की। इसके बाद यह मामला आदित्य संघी को सौंपने वाले अधिवक्ता ने इसकी शिकायत बार काउंसिल से की। हाईकोर्ट के गलियारों में से कई मामलों की चर्चा चल रही है जिसमें फीस तो ली गई लेकिन उसके बाद मामले में आगे कुछ भी नहीं हुआ। हालांकि द सूत्र इन चर्चाओं की पुष्टि नहीं करता लेकिन हाईकोर्ट के सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार ऐसी कई शिकायत है बार काउंसिल तक पहुंची है।
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