शिलापट्टी पर नहीं था नेताजी का नाम, आया गुस्सा तो फावड़े से कर दिया चकनाचूर

बिलगैया का गुस्सा तब फूटा जब उन्हें पता चला कि शिलान्यास पत्थर पर उनका नाम नहीं था। उनका मानना था कि निर्वाचित उपाध्यक्ष होने के बावजूद उन्हें नजरअंदाज करना उनके पद की गरिमा के खिलाफ है।

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Sandeep Kumar
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मध्य प्रदेश के बीना शहर में शिलान्यास समारोह के दौरान हंगामा हुआ। नगर पालिका उपाध्यक्ष रमाकांत बिलगैया ने मंच पर शिलापट्टिका तोड़ डाला। उनका नाम उस पत्थर पर नहीं था। यह कार्यक्रम वीर सावरकर वार्ड में बनने वाली सड़क का भूमि पूजन था।

शिलापट्टिका का अनावरण होते ही उपाध्यक्ष ने गुस्से में कुदाल से पत्थर तोड़ दिया। उनका आरोप है कि नगर पालिका के सीएमओ रामप्रकाश जगनेरिया उन्हें नजरअंदाज करते हैं। विधायक निर्मला सप्रे और नगर पालिका अध्यक्ष लता सकवार ने उपाध्यक्ष का पक्ष लिया। घटना के बाद शिलान्यास कार्यक्रम पुनः कराया गया। कुछ समय बाद उपाध्यक्ष ने पूजा स्थल पर बैठकर विधिवत पूजा की।

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शिलान्यास बना विवाद का केंद्र

बीना नगर के वीर सावरकर वार्ड में एक असामान्य घटना घटी। 15.60 लाख रुपये की लागत से बनने वाली सड़क के भूमि पूजन कार्यक्रम में नगर पालिका उपाध्यक्ष रमाकांत बिलगैया ने शिलान्यास पत्थर तोड़ दिया। उन्होंने फावड़ा उठाकर पत्थर तोड़ा और किसी औपचारिकता की चिंता नहीं की। यह घटना श्री शांतिनाथ दिगंबर जैन मंदिर के पास हुई। कार्यक्रम में स्थानीय जनता और प्रशासन के लोग मौजूद थे।

नाम न होना बना अपमान का प्रतीक

बिलगैया का गुस्सा तब फूटा जब उन्हें पता चला कि शिलान्यास पत्थर पर उनका नाम नहीं था। उनका मानना था कि निर्वाचित उपाध्यक्ष होने के बावजूद उन्हें नजरअंदाज करना उनके पद की गरिमा के खिलाफ है। उन्होंने आरोप लगाया कि कई आयोजनों में उन्हें जानबूझकर नहीं बुलाया गया या उनका नाम हटा दिया गया।

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सीएमओ पर पक्षपात का आरोप

रमाकांत बिलगैया ने कहा कि नगर पालिका के मुख्य नगर अधिकारी (सीएमओ) रामप्रकाश जगनेरिया लगातार उनकी अनदेखी करते हैं। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि यह जानबूझकर किया गया ताकि राजनीतिक रूप से उन्हें कमजोर दिखाया जा सके। यह प्रशासनिक टकराव केवल नाम के न होने का नहीं, बल्कि राजनीतिक मतभेद और व्यक्तिगत शिकायतों का भी मामला था।

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राजनैतिक समर्थन में आई विधायक और अध्यक्ष

घटना के बाद विधायक निर्मला सप्रे और नगर पालिका अध्यक्ष लता सकवार ने उपाध्यक्ष का समर्थन करते हुए कहा कि शिलान्यास पत्थर पर नाम न होना गलत है और यह गंभीर लापरवाही है। उन्होंने सीएमओ से जवाब तलब किया और दोबारा शिलान्यास कार्यक्रम आयोजित कराने की बात कही। इससे यह स्पष्ट हो गया कि नगर की राजनीति में इस घटना का असर लम्बे समय तक बना रहेगा।

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