भावांतर योजना में सोयाबीन खरीदी शुरू, लेकिन मॉडल रेट अभी नहीं; किसानों को डर, भाव ना गिरा दें व्यापारी

भावांतर योजना के तहत एमपी में सोयाबीन खरीदी आज से शुरू हो गई है। वहीं, मॉडल रेट जारी न होने से किसान असमंजस में हैं। साथ ही, मंडी में अधिक माल आने से भाव गिरने का खतरा बढ़ सकता है।

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Sanjay Gupta
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INDORE. मध्य प्रदेश में किसानों को सोयाबीन का उचित भाव दिलाने के लिए भावांतर योजना लाई गई थी। वहीं इसके तहत खरीदी आज, 24 अक्टूबर से शुरू हो गई है। मंडियों में किसानों का माल तेजी से पहुंचने लगा है, लेकिन अभी तक इस योजना के लिए मॉडल रेट सामने नहीं आया है।

इससे योजना के तहत पंजीकरण कराने वाले किसान असमंजस में हैं। इसी रेट के आधार पर ही उन्हें मुआवजा राशि मिलना है। भावांतर योजना के तहत किसान 24 अक्टूबर से 15 जनवरी तक उपज को बेच सकेंगे। इन्हें मॉडल रेट और एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) के बीच का अंतर शासन देगी।

क्या 7 नवंबर को आएगा मॉडल रेट

उधर मंडी सचिव इंदौर रविवीर किरार ने बताया कि 24 अक्टूबर से भावांतर में खरीदी शुरू हुई है। इसमें 15 दिन के औसत मूल्य देखे जाएंगे। यह सात नवंबर तक देखकर फिर मॉडल रेट प्रदर्शित किए जाएंगे।

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अधिकारी पहुंचे, अधिक भाव में बिकी सोयाबीन

भावांतर योजना लागू होने के बाद इंदौर कलेक्टर शिवम वर्मा ने अपर कलेक्टर पंवार नवजीवन विजय और रोशन राय, मंडी सचिव रवि किरार व अन्य के साथ मंडियों का दौरा किया। इस दौरान मुहूर्त के सौदे हुए। अधिकारियों की उपस्थिति में व्यापारियों ने सोयाबीन के अधिक भाव लगाए। उच्चतम सोयाबीन 4775 रुपए प्रति क्विंटल के भाव बिकी और न्यूनतम में 4100-4200 रुपए भी गई।

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अधिक माल आने से कम न हो जाएं भाव

उधर किसानों को इस बात की आशंका है कि भावांतर योजना के तहत जिले में पंजीकृत 46 हजार किसान माल लेकर आएंगे। मंडियों में एक साथ माल आने से व्यापारी कम मूल्य लगाएंगे और व्यापारियों से प्लांट वाले भी कम भाव पर माल लेंगे।

ऐसे में कीमत गिरेगी और यह उपज मॉडल रेट से भी काफी नीचे खरीदी जाएगी। हालांकि अधिकारी तर्क दे रहे हैं कि ऐसी कोई सांठगांठ नहीं चलने दी जाएगी और सभी को उनकी उपज का वाजिब मूल्य दिलाया जाएगा।

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मॉडल रेट से ऐसे तय होना है मुआवजा

सरकार ने पहले ही साफ कर दिया है कि भावांतर योजना के तहत वही उपज आएगी जो एफएक्यू यानी औसत गुणवत्ता वाली होगी। सरकार ने एमएसपी 5328 रुपए तय किया है। मुआवजा मॉडल रेट और एमएसपी के अंतर से मिलेगा।

जैसे- यदि मॉडल रेट 4500 रुपए तय हुआ और किसान की उपज 4400 रुपए में बिकती है तो उसे मॉडल रेट 4500 और एमएसपी 5328 रुपए का अंतर यानी 828 रुपए दिया जाएगा। यदि किसान की उपज 4600 में बिकती तो फिर वास्तविक उपज मूल्य 4600 और एमएसपी 5328 का अंतर यानी 728 रुपए मिलेगा। लेकिन यह केवल एफएक्यू वाली गुणवत्ता की फसल को ही दिया जाएगा।

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राशि कौन देगा, अभी इस पर असमंजस

इस योजना के तहत मुआवजा राशि की व्यवस्था कैसे होगी, इस पर सवाल उठ रहे हैं। हालांकि मोहन कैबिनेट में यह योजना मंजूर हो चुकी है। अब इस मामले में कृषि मंत्री ऐदल सिंह कंषाना की एक नोटशीट सामने आई है।

नोटशीट में कहा गया है कि सोयाबीन की भावांतर योजना के लिए मंडी बोर्ड को राशि की व्यवस्था के लिए कार्रवाई प्रचलन में है। इस पर मंडी बोर्ड के पास पर्याप्त राशि/आय नहीं होने से बंदी की स्थिति निर्मित होगी।

भावांतर योजना की राशि की व्यवस्था शासन स्तर पर की जाना व्यावहारिक होगी अथवा मंडी शुल्क की राशि एक साल के लिए 1 फीसदी अतिरिक्त रूप से भावांतर के लिए बढ़ाई जाने की व्यवस्था की जा सकती है। इससे मंडी बोर्ड को भावांतर के लिए अतिरिक्त ऋण नहीं लेना होगा। शासन स्तर पर राशि की व्यवस्था सुनिश्चित की जाएगी।

इंदौर में आधे किसान ही योजना में आए

  • इंदौर जिले में सोयाबीन का रकबा 2.41 लाख हेक्टेयर है। वहीं, योजना के तहत 1.22 लाख हेक्टेयर में खेती करने वाले 46 हजार किसानों ने पंजीयन कराया है।
  • धार जिले में 2.97 लाख हेक्टेयर रकबा है लेकिन केवल 1 लाख हेक्टेयर यानी 36 फीसदी हिस्से वाले 38 हजार किसानों ने पंजीयन कराया।
  • खंडवा में यह हिस्सा मात्र 25 फीसदी रहा और 20 हजार किसान और 47 हजार हेक्टेयर रकबा ही आया।
  • बड़वानी में यह 75 फीसदी रहा और यहां 13455 किसान इस योजना में आए।
  • झाबुआ जिले में मात्र 19 फीसदी रकबा ही योजना के दायरे में आया।
  • बुरहानपुर में सबसे कम मात्र 3 फीसदी हिस्सा योजना में आया और 39 हजार हेक्टेयर में से 1215 हेक्टेयर उपज वाले 1355 किसान योजना में आए।
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