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Indore. मध्यप्रदेश में किसानों को सोयाबीन का उचित भाव दिलाने के लिए भावांतर योजना लाई गई है। वहीं, इसके तहत राशि की व्यवस्था कैसे होगी, इस पर सवाल उठ रहे हैं। हालांकि कैबिनेट में यह योजना मंजूर हो चुकी है। अब इस मामले में कृषि मंत्री ऐदल सिंह कंषाना की एक नोटशीट संयुक्त संघर्ष मोर्चा मप्र मंडी बोर्ड भोपाल के पत्र पर चली है।
राशि की व्यवस्था को लेकर यह लिखा
कृषि मंत्री कंषाना ने नोटशीट में लिखा है कि भावांतर योजना को चलाने के लिए मंडी बोर्ड को पैसे की व्यवस्था करनी पड़ रही है। मंडी बोर्ड के पास पहले से ही पर्याप्त पैसा नहीं है, इसलिए अगर इसी से खर्च कराया गया तो मंडी बोर्ड मुश्किल में पड़ सकता है या बंद होने की नौबत आ सकती है।
इसलिए सुझाव दिया गया है कि या तो भावांतर योजना के पैसे की व्यवस्था सरकार खुद करे, या फिर एक साल के लिए मंडी शुल्क में 1% की बढ़ोतरी कर दी जाए। इससे योजना के लिए जरूरी पैसा जुट जाएगा और मंडी बोर्ड को कर्ज नहीं लेना पड़ेगा।
इन बातों को देखते हुए, सरकार स्तर पर ही पैसे की व्यवस्था करने पर विचार किया जा रहा है।
इंदौर में 50 फीसदी किसान योजना में पंजीकृत
- इंदौर जिले में सोयाबीन का रकबा 2.41 लाख हेक्टेयर है, लेकिन योजना के तहत 1.22 लाख हेक्टेयर में खेती करने वाले 46 हजार किसानों ने पंजीयन कराया है।
- धार जिले में 2.97 लाख हेक्टेयर रकबा है लेकिन केवल 1 लाख हेक्टेयर यानी 36 फीसदी हिस्से वाले 38 हजार किसानों ने पंजीयन कराया।
- खंडवा में यह हिस्सा मात्र 25 फीसदी रहा और 20 हजार किसान और 47 हजार हेक्टेयर रकबा ही आया।
- बड़वानी में यह 75 फीसदी रहा और यहां 13,455 किसान इस योजना में आए।
- झाबुआ जिले में मात्र 19 फीसदी रकबा ही योजना के दायरे में आया।
- बुरहानपुर में सबसे कम मात्र 3 फीसदी हिस्सा योजना में आया और 39 हजार हेक्टेयर में से 1215 हेक्टेयर उपज वाले 1355 किसान योजना में आए।
- भावांतर योजना के तहत किसान 24 अक्टूबर से 15 जनवरी तक उपज का विक्रय कर सकेंगे और उन्हें मॉडल रेट और एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) के बीच का अंतर शासन देगी।
- इंदौर संभाग के आठ जिलों में कुल 1.45 लाख हेक्टेयर रकबा योजना के तहत आया है।
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