भावांतर योजना में किसानों को झटका, शासन का पत्र- FAQ गुणवत्ता का ही सोयाबीन इसमें लेंगे

मध्य प्रदेश में लागू हुई भावांतर योजना में सरकार ने नया आदेश जारी किया है। यह आदेश किसानों के लिए चिंता का कारण बन सकता है। आइए जानते हैं पूरा मामला

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Sanjay Gupta
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मध्य प्रदेश में लागू हुई भावांतर योजना को लेकर किसानों में समर्थन और विरोध दोनों ही तरह के प्रदर्शन हो रहे हैं। अब एमपी शासन ने कृषि उपज मंडी सचिवों को एक पत्र लिखा है।

इसमें कहा गया है कि भावांतर योजना में वही सोयाबीन बिक्री को लेना है जो एफएक्यू (Fair Average Quality) वाला हो। उधर इस योजना में पंजीयन के लिए शुक्रवार 17 अक्टूबर अंतिम दिन है। इंदौर जिले में करीब 44 हजार किसान पंजीकृत हुए हैं।

इस आदेश के क्या मायने

भावांतर योजना में मुख्य आधार मॉडल रेट होता है। यदि एफएक्यू वाले सोयाबीन की बिक्री का रेट लिया जाता है, तो वह ज्यादा होगा। इसका मतलब है कि सोयाबीन का मॉडल रेट भी ज्यादा होगा। 

किसानों का कहना है कि अच्छी गुणवत्ता वाली सोयाबीन 4000 से 4500 रुपए प्रति क्विंटल तक बिक रही है। ऐसे में मॉडल रेट 4200 से 4400 रुपए प्रति क्विंटल के बीच हो सकता है। इससे किसानों को मिलने वाली राशि पर बड़ा असर पड़ेगा।

अधिक मॉडल रेट यानी कम राशि वितरण

भावांतर योजना में MSP (सोयाबीन एमएसपी) (जो 5328 रुपए है) और मॉडल रेट के बीच के अंतर का भुगतान किया जाता है। यदि मॉडल रेट 4500 रुपए हुआ और किसान की सोयाबीन 4400 में बिकी, तो उसे एमएसपी और मॉडल रेट के अंतर यानी 828 रुपए प्रति क्विंटल मिलेगा।

यदि किसान की सोयाबीन 4600 रुपए में बिकी, तो उसे वास्तविक बाजार मूल्य और एमएसपी के अंतर यानी 728 रुपए मिलेगा। मॉडल रेट जितना ज्यादा होगा, सरकार पर उतना कम आर्थिक बोझ पड़ेगा।

प्लांट के भाव बता रहे अच्छी सोयाबीन 4000 के करीब

उधर मप्र के विविध सोयाबीन प्लांट के भाव देखें तो सोयाबीन प्लांट पर 4200-4350 रुपए प्रति क्विंटल के भाव हैं। व्यापारी किसानों से मंडी में सोयाबीन खरीद कर प्लांट पर देता है इसमें औसतन 100-200 रुपए का मार्जिन रखा जाता है।

यानी किसानों से व्यापारी की खरीद प्लांट के भाव के हिसाब से अच्छी क्वालिटी वाले सोयाबीन की 4000-4200 रुपए प्रति क्विंटल है। यानी प्लांट के भाव से देखें तो मॉडल रेट 4000 से 4200 रुपए प्रति क्विंटल के करीब होना चाहिए।

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अभी यह चल रहे विविध प्लांट पर सोयाबीन के भाव

अडाणी विल्मर लिमिटेड विदिशा में 4500 रुपए, बंसल मंडीदीप में 4375 रुपए, कोरोनेशन ब्यावरा में 4350 रुपए, धानुका सोया नीमच में 4500 रुपए, धीरेंद्र सोया नीमच में 4550 रुपए, दिव्य ज्योति पचोर में 4375 रुपए, गुजरात अंबुजा मंदसौर में 4350 रुपए, पीथमपुर में 4350 रुपए, हरिओम रिफाइनरी 4500 रुपए, नया मिक्स 4350 रुपए, आइडिया लक्ष्मी देवास में 4375 रुपए, केपी निवाड़ी में 4350 रुपए, खंडवा में 4300 रुपए, एमएस नीमच मिक्स 4401 रुपए, नीमच प्रोटीन 4500 रुपए, पतंजलि फूड 4320 रुपए, प्रकाश पीथमपुर 4375 रुपए, प्रेस्टीज देवास 4325 रुपए, रामा फारस्फेट धरमपुरी 4350 रुपए, सांवरिया इटारसी 4325 रुपए, सालासर हरदा 4350 रुपए, स्नेहिल सोया देवास 4525 रुपए, नया 4450 रुपए, सूर्या फूड मंदसौर 4515 रुपए और विप्पी सोया देवास 4420 रुपए प्रति क्विंटल हैं।

एफएक्यू (FAQ) सोयाबीन की गुणवत्ता में यह देखा जाता है

इसका मतलब है कि समर्थन मूल्य पर खरीदी के लिए सोयाबीन के दाने को कुछ मानकों को पूरा करना होगा। इनमें नमी 12% से ज्यादा नहीं होनी चाहिए। टूटे हुए दानों की संख्या 15% से अधिक नहीं होनी चाहिए। सिकुड़े हुए और अपरिपक्व दानों की संख्या 5% तक होनी चाहिए। कचरा 2% से ज्यादा नहीं होना चाहिए। उपज साफ-सुथरी होनी चाहिए और उसमें कचरा या मिट्टी जैसे पदार्थ कम होने चाहिए।

शासन के पत्र में यह भी लिखा है

शासन ने मंडी सचिवों को भेजे गए पत्र में एफएक्यू की खरीदी का जिक्र किया है। इसमें कहा गया है कि भारत सरकार की गाइडलाइन के तहत इसी गुणवत्ता वाली कृषि उपज पर भावांतर का लाभ मिलेगा। इसलिए इस गुणवत्ता वाली उपज का ज्यादा मूल्य किसानों को दिलवाना चाहिए। साथ ही, जो उपज एमएसपी से कम में बिक रही है, उसका सैंपल जरूर लिया जाए।

इंदौर में रकबा दो लाख हेक्टेयर का, करीब 44 हजार पंजीयन

भावांतर के लिए किसानों का पंजीयन 3 अक्टूबर से शुरू हुआ और इसकी अंतिम तारीख 17 अक्टूबर है। अभी तक इंदौर जिले में करीब 44 हजार किसानों ने पंजीयन करा लिया है।

इनका रकबा 1.15 लाख हेक्टेयर करीब है। हालांकि इंदौर में उपज का रकबा दो लाख हेक्टेयर से अधिक होता है। जब गेहूं की खरीदी के पंजीयन का काम होता है तो यही संख्या 80 हजार किसान तक जाती है लेकिन अभी सोयाबीन भावांतर में पंजीयन कम हुआ है।

किसान यह कर रहे हैं मांग

अखिल भारतीय किसान संघ के नगराध्यक्ष दिलीप मुकाती कहते हैं कि एफएक्यू गुणवत्ता भावांतर में लागू नहीं होना चाहिए। इससे मॉडल रेट तो अधिक होंगे और इससे किसानों को नुकसान होगा।

उन्होंने कहा कि हमने सरकार को विस्तार से बता दिया था कि इस योजना के लिए कई सुधार करने होंगे जैसे कि तत्काल पंजीयन के साथ ही खरीदी भी साथ में होना चाहिए। हमारी मांग तो शुरू से ही एमएसपी की रही है।

संयुक्त किसान मोर्चा के बबलू जाधव कहते हैं कि इससे किसानों को कोई लाभ नहीं होगा। यह मॉडल रेट अधिक तय करने की रणनीति है जिससे किसानों को कम से कम मुआवजा राशि देना पड़े।

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