कृष्ण कांत शर्मा @ भिंड
भिंड के आलमपुर ब्लॉक के सरकारी स्कूल में एक अजीब मामला सामने आया है। इस मामले से नाराज स्कूल के प्रभारी प्राचार्य सुरेश माहौर ने गुटखा खाने और स्कूल में नियमित न आने वाले शिक्षकों के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। उन्होंने इस अनुशासनहीनता के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग करते हुए शिक्षा अधिकारी के ऑफिस में आमरण अनशन पर बैठने का फैसला किया। यह कदम तब उठाया गया जब प्राचार्य ने देखा कि शिक्षक संजय चौधरी और अन्य शिक्षक स्कूल में नियमित नहीं आते हैं और जो आते हैं, वे अटेंडेंस लगा कर चले जाते हैं। इसके साथ ही, ये शिक्षक स्कूल में गुटखा भी खाते थे, जो प्राचार्य को परेशान कर रहा था।
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प्रभारी प्राचार्य का अनशन
प्रभारी प्राचार्य सुरेश माहौर ने कहा कि उन्होंने कई बार इन शिक्षकों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए पत्र भी लिखा था, लेकिन विभाग ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया। इससे परेशान होकर उन्होंने आमरण अनशन करने का निर्णय लिया। उन्होंने यह भी कहा कि गुटखा खाने से स्कूल का माहौल खराब हो रहा था और शिक्षकों का अनुशासन टूटता जा रहा था। जब उन्होंने अनशन की खबर विभागीय अधिकारियों को दी, तो हड़कंप मच गया और अधिकारी तुरंत मौके पर पहुंचे। अधिकारियों ने उन्हें कार्रवाई का आश्वासन दिया, जिसके बाद प्राचार्य ने अनशन समाप्त किया।
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प्राचार्य का मौन व्रत
यह पहला मौका नहीं है जब प्राचार्य सुरेश माहौर ने स्कूल में अनुशासन बनाए रखने के लिए कोई कड़ा कदम उठाया हो। कुछ महीने पहले उन्होंने मौन व्रत रखा था, ताकि शिक्षक गुटखा-बीड़ी का सेवन न करें और स्कूल नियमित रूप से आएं। उनका उद्देश्य स्कूल का वातावरण साफ-सुथरा और अनुशासित रखना था, लेकिन शिक्षक अपनी आदतों से बाज नहीं आए, जिससे वे फिर से कार्रवाई करने के लिए मजबूर हो गए।
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शिक्षकों की अनुशासनहीनता
इस पूरे मामले पर लहार एसडीएम विजय यादव ने कहा कि जांच के बाद दोषी पाए गए शिक्षकों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। यह मामला शिक्षा विभाग में चर्चा का विषय बन गया है, और अब विभागीय अधिकारी इस मामले को गंभीरता से लेकर कार्रवाई करने की प्रक्रिया में हैं।
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अनशन पर शिक्षा विभाग गंभीर
प्रभारी प्राचार्य के अनशन के बाद शिक्षा विभाग ने इस मामले पर गंभीरता से विचार करना शुरू किया है। विभागीय अधिकारी अब यह सुनिश्चित करने की कोशिश कर रहे हैं कि ऐसे मामले भविष्य में न हों, ताकि स्कूलों में एक अच्छा और अनुशासित माहौल बना रहे। हालांकि, यह देखा जाना बाकी है कि क्या इस बार विभागीय अधिकारियों के आश्वासन के बाद कार्रवाई होती है या नहीं।
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