Bhojshala ASI Survey Report : मध्यप्रदेश। भोजशाला ASI सर्वे रिपोर्ट पर सभी की नजरें टिकी हुई हैं। यह मंदिर है या मस्जिद इस सवाल का जवाब कोर्ट द्वारा दिया जायेगा। रिपोर्ट मध्यप्रदेश हाई कोर्ट की इंदौर बेंच के सामने पेश कर दी गई है जिसके बाद हिन्दू पक्षकार काफी खुश हैं। ASI रिपोर्ट में कई ऐसे दावे किए गए हैं जिसके आधार पर हिन्दू पक्षकार यहां वाग्देवी का मंदिर होने का दावा कर रहे हैं वहीं मुस्लिम पक्षकारों ने इस मामले में लंबी लड़ाई की तैयारी कर ली है। आइये जानते हैं क्या है भोजशाला ASI रिपोर्ट में खास....।
मंदिर के अवशेषों पर मस्जिद का निर्माण :
हाई कोर्ट में पेश ASI रिपोर्ट में कहा गया है कि, मस्जिद का मेहराब एक नई संरचना है इसलिए इसे खूबसूरती से सजाया गया है। चबूतरे और मेहराब को बनाने के लिए जिस मटेरियल का उपयोग किया गया है वह पूरी तरह अलग है। मंदिर के अवशेषों पर मस्जिद का निर्माण किया गया इस तरह भोजशाला परिसर पहले के मंदिरों के हिस्सों से बना है। सरल शब्दों में समझा जाए तो मंदिर के अवशेषों पर मस्जिद का निर्माण किया गया है।
संस्कृत और प्राकृत शिलालेख :
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ASI रिपोर्ट में अगला दावा और भी चौंकाने वाला है। भोजशाला में ASI को कुछ शिलालेख मिले हैं। इनमें संस्कृत और प्राकृत भाषा का उपयोग किया गया है। भोजशाला में अरबी और फ़ारसी के भी शिलालेख हैं। ASI रिपोर्ट के अनुसार संस्कृत और प्राकृत में लिखे शिलालेख अरबी और फारसी से कई पुराने हैं। संस्कृत और प्राकृत में लिखे इन शिलालेखों की लिखित सतहों को छेनी से काटकर क्षतिग्रस्त कर दिया गया था।
मानव और पशु की आकृति से सजे स्तंभ :
भोजशाला में कई स्तम्भों पर मानव और पशु की आकृति मिली है। इस तरह की कलाकृति का उपयोग मंदिर को सजाने के लिए किया जाता है। जबकि, मस्जिद में मानव और पशु की आकृति वर्जित है। ASI रिपोर्ट में कहा गया है कि, क्योंकि मस्जिद में यह वर्जित है इसलिए ऐसी प्रतिमाओं को "विकृत" कर दिया गया है। इस तरह के प्रयास पश्चिमी और पूर्वी कॉलोनेड, दक्षिण-पूर्वी सेल के प्रवेश द्वार आदि में स्तंभ और पिलस्टर पर देखे जा सकते हैं।
इन देवी देवताओं की मूर्ती मिलने का दावा :
भोजशाला में ASI सर्वे के दौरान मिली कुल 94 मूर्तियों, मूर्तिकला के टुकड़ों और मूर्तिकला चित्रण वाले वास्तुशिल्पों का अध्ययन किया गया है। इन पर उकेरी गई छवियों में गणेश, ब्रह्मा अपनी पत्नियों के साथ, नरसिंह, भैरव, देवी-देवता, मानव और पशु आकृतियाँ शामिल हैं। इसके अलावा भोजशाला में मिले अवशेषों में जानवरों की छवियाँ भी उकेरी गई है। इनमें शेर, हाथी, घोड़ा, कुत्ता, बंदर, साँप, कछुआ, हंस और पक्षी शामिल हैं।'
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भोजशाला विवाद सिलसिलेवार समझिए कब क्या हुआ :
माना जाता है कि, भोजशाला को राजा भोज ने बनवाया था। वे देवी सरस्वती के भक्त थे। अलाउद्दीन खिलजी ने इस धवस्त कर दिया और 1401 में दिलावर गौरी ने यहां मस्जिद बनवाई। मस्जिद के दूसरे हिस्से का निर्माण महमूद शाह खिलजी द्वारा किया गया था। 1875 में यहां खुदाई में वाग्देवी की प्राचीन मूर्ती मिली थी जिसे मेजर किनकेड लंदन ले गया। यह प्राचीन मूर्ती अब लंदन के संग्रहालय में है। इसे वापस लाने के लिए भी कोर्ट में याचिका लगाई गई है।
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साल 1935 में धार रियासत ने यहां मुस्लिमों को शुक्रवार के दिन नमाज पढ़ने की अनुमति दी थी।
1995 में यहां हिन्दू मंगलवार को पूजा करते थे और शुक्रवार को मुस्लिम नमाज पढ़ा करते थे। जब दोनों पक्षों में विवाद हुआ तो मई 1997 में कलेक्टर ने भोजशाला में लोगों की आवाजाही पर रोक लगा दी। वसंत पंचमी को ही हिन्दू यहाँ पूजा कर सकते थे जबकि मुस्लिम हर शुक्रवार नमाज पढ़ा करते थे। जुलाई 1997 में यह प्रतिबंध हटा दिया गया।
इसके बाद एक बार और प्रतिबन्ध लगाया गया लेकिन साल 2003 में भोजशाला को पर्यटकों के लिए भी खोल दिया गया और हिन्दुओं को यहां पूजा की अनुमति मिली। साल 2013 और 2016 में शुक्रवार के दिन ही बसंत पंचमी पढ़ी। इस कारण यहां मुस्लिम नमाज पढ़ने आए और हिंदू पूजा करने। दोनों बार हिंदू और मुस्लिम पक्ष के बीच तनावपूर्ण स्थिति बन गई।
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हिन्दू फ्रंट फॉर जस्टिस ने लगाई याचिका :
कुछ समय पहले हिन्दू फ्रंट फॉर जस्टिस ने मध्यप्रदेश हाई कोर्ट की इंदौर बेंच के सामने याचिका लगाई। इस याचिका पर संज्ञान लेते हुए हाई कोर्ट ने भोजशाला में ASI सर्वे का आदेश दिया। अब इस सर्वे की रिपोर्ट कोर्ट में पेश कर दी गई है। भोजशाला का धार्मिक कैरेक्टर क्या है? यह वाग्देवी का प्राचीन मंदिर है या कलाम मौला मस्जिद इस पर कोर्ट फैसला देगा।