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Photograph: (the sootr)
रायसेन जिले के उमरिया में रविवार को केंद्रीय रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने प्रदेश को रेल कोच फैक्ट्री की सौगात दी। उन्होंने 18 सौ करोड़ रुपए की लागत से बनने वाली इस फैक्ट्री के निर्माण का भूमिपूजन किया। इस मौके पर प्रदेश के मुख्यमंत्री डाॅ. मोहन यादव, केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चाैहान, सहित भाजपा के मंत्री व अन्य जनप्रतिनिधि मौजूद थे। भूमिपूजन कार्यक्रम के दौरान रक्षामंत्री ने मध्यप्रदेश को रक्षा उत्पाद निर्माण क्षेत्र के लिए आदर्श बताया।
उन्होेने कहा कि करीब 1,800 करोड़ रुपए की लागत से बनने वाली यह कोच फैक्ट्री न सिर्फ रेलवे और मेट्रो के लिए अत्याधुनिक कोच बनाएगी, बल्कि अगले पांच साल में 5,000 से ज्यादा लोगों को रोजगार भी देगी।
राजनाथ बोले, जो छेडे़गा उसे छोड़ेंगे नहीं
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए एकबार फिर रक्षामंत्री ने ऑपरेशन सिंदूर की चर्चा करते हुए दोहरा कि अब भारत पहले वाला भारत नहीं है। अब भारत घर में घुसकर मारता है। हम सभी का कल्याण चाहते है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि कोई हमें लगातार परेशान कर सकेगा, अब जो छेडे़गा, भारत उसे छोडे़ंगा नहीं।
उन्होंने कहा कि एक समय था जब भारत रक्षा जरूरतों के लिए दूसरे देशों पर निर्भर था, लेकिन अब हम न केवल अपनी जरूरतें पूरी कर रहे है बल्कि रक्षा क्षेत्र के सामान का निर्यात भी कर रहे है। उन्होंने प्रदेश सरकार द्वारा औद्योगिक विकास के लिए किए जा रहे कार्यो की भी सराहना की।
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शिवराज ने कहा कारखाना देगा रायसेन को नई पहचान
विदिशा-रायसेन संसदीय क्षेत्र से सांसद व केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चाैहान ने कार्यक्रम के दौरान कहा कि हमारा लक्ष्य विदिशा-रायसेन को आदर्श संसदीय क्षेत्र बनाना है। प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में देश तेजी से आगे बढ़ रहा है। यह कारखाना देश में रायसेन को नई पहचान देगा।
उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार देश के किसानों के हितों के लिए किसी के सामने नहीं छुकेगी, प्रधानमंत्री मोदी स्पष्ट कर चुके है कि किसान हितों से कोई समझौता नहीं किया जाएगा। इस दौरान उन्होंने बताया कि सोमवार को देश के किसानों को 1156 करोड़ की सहायता राशि प्रदान की जाएगी।
रेल कोच फैक्ट्री की इस सौगात को ऐसे समझें IN SHORT मेंरेल कोच फैक्ट्री का भूमिपूजन: केंद्रीय रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने रायसेन जिले के उमरिया में 1,800 करोड़ रुपये की लागत से बनने वाली अत्याधुनिक रेल कोच फैक्ट्री का भूमिपूजन किया। रोजगार के अवसर: इस फैक्ट्री के निर्माण से अगले पांच सालों में 5,000 से अधिक लोगों को रोजगार मिलेगा और राज्य की औद्योगिक विकास में वृद्धि होगी। सुरक्षा और आराम में सुधार: इस फैक्ट्री में बने रेल कोच 150-180 किमी/घंटा की रफ्तार से दौड़ने में सक्षम होंगे और जर्मनी की लिंक हॉफमैन बुश (LHB) तकनीक से सुरक्षा और आराम में भी सुधार होगा। पर्यावरण-अनुकूल सुविधाएं: फैक्ट्री में ग्रीन टेक्नोलॉजी, सौर ऊर्जा और रेनवॉटर हार्वेस्टिंग जैसी पर्यावरणीय सुविधाओं का उपयोग किया जाएगा। राजनीतिक और औद्योगिक समर्थन: इस परियोजना को मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव, केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान और अन्य नेताओं का पूरा समर्थन प्राप्त है। |
सीएम यादव बोले मेट्रों से पहले आ गया मेट्रों रेल कोच कारखाना
भूमिपूजन कार्यक्रम को संबोधित करते हुए सीएम मोहन यादव ने कहा कि भोपाल में भी मेट्रों का काम चल रहा है, लेकिन भोपाल में मेट्रों आने से पहले रायसेन में रेल कोच फैक्ट्री आ गई। उन्होंने बताया कि इस कारखाने से पांच हजार से अधिक लोगों को सीधे रोजगार मिलेगा, अतिवृष्टि को लेकर उन्होंने किसानों को जल्द राहत देने की बात कही। उन्होंने आपरेशन सिंदूर को लेकर भी देश की सेनाओं के शौर्य को सराहा।
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भारत अर्थ मूवर्स लिमिटेड का है प्रोजेक्ट
यह परियोजना भारत अर्थ मूवर्स लिमिटेड (BEML) की नई इकाई होगी, जहां पैसेंजर कोच, मेट्रो कार, इलेक्ट्रिकल मल्टीपल यूनिट्स, वंदे भारत ट्रेन सेट्स और हाई-स्पीड रेल सिस्टम का डिजाइन, निर्माण, असेम्बलिंग और परीक्षण-all under one roof-किया जाएगा।
रायसेन BEML कोच निर्माण केंद्र फैक्ट्री में शुरुआत में हर साल 125 से 200 कोच का उत्पादन होगा, जिसे अगले पांच वर्षों में बढ़ाकर 1,100 कोच प्रति वर्ष किया जाएगा। फैक्ट्री में ग्रीन टेक्नोलॉजी, सौर ऊर्जा और रेनवॉटर हार्वेस्टिंग जैसी आधुनिक सुविधाओं का उपयोग होगा, जिससे यह पूरी तरह पर्यावरण-हितैषी प्लांट बनेगा। जिससे यह ग्रीन टेक्नोलॉजी रेल प्लांट बनेगा।
जर्क-फ्री होंगे रायसेन में बने रेल कोच
मध्यप्रदेश का रायसेन जिला अब देश-विदेश को ऐसे अत्याधुनिक रेल कोच देगा, जो जर्क-फ्री होंगे और 150 से 180 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ सकेंगे। इसके लिए भारत अर्थ मूवर्स लिमिटेड (BEML) द्वारा 60 हेक्टेयर में एक आधुनिक रेल कोच फैक्ट्री की स्थापना की जा रही है। परियोजना की शुरुआती लागत 1800 करोड़ रुपये होगी।
यह रायसेन कोच फैक्ट्री जर्मनी की लिंक हॉफमैन बुश (LHB) तकनीक जैसी अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस होगी। इस तकनीक से बने कोच न केवल तेज रफ्तार में स्थिर रहते हैं, बल्कि यात्री सुरक्षा और आराम के मामले में भी बेहतरीन माने जाते हैं।
भोपाल की पुरानी कोशिश नाकाम रही
कई सालों से भोपाल के निशातपुरा सवारी डिब्बा पुनर्निर्माण कारखाना में नई कोच बनाने की यूनिट शुरू करने की योजना बनाई गई थी, लेकिन वह सफल नहीं हो पाई।
प्रदेश में अब तक नहीं है नए कोच बनाने की सुविधा
मध्यप्रदेश में फिलहाल कोई भी नया रेल कोच निर्माण केंद्र नहीं है। सिर्फ निशातपुरा पुनर्निर्माण कारखाना है, जो 1989 में स्थापित हुआ था। यहां पुराने कोचों को अपग्रेड कर उनकी उम्र 10 से 12 साल और बढ़ाई जाती है। पश्चिम मध्य रेलवे के पास भोपाल के अलावा एक पुनर्निर्माण कारखाना कोटा में भी मौजूद है।
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