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BHOPAL. भोपाल में चल रहे SIR अभियान के दौरान मतदाता सूची में महत्वपूर्ण बदलाव हुए हैं। करीब 39 दिनों की जांच में 4 लाख 43 हजार 633 मतदाताओं के नाम अमान्य पाए गए। इनमें मृत, स्थानांतरित, अनुपस्थित और डबल एंट्री जैसी श्रेणियां शामिल हैं।
प्रशासन इन नामों को सूची से हटाने की प्रक्रिया में है। नो-मैपिंग श्रेणी में शामिल मतदाताओं की संख्या घटकर 1 लाख 35 हजार 765 रह गई है। नो-मैपिंग के बाद हटाए गए नामों की संख्या में वृद्धि हुई है, जिससे राजनीतिक दलों और मतदाताओं में चिंता बढ़ी है।
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बीएलओ स्तर पर सत्यापन जरूरी
ECI के आब्जर्वर और ज्वाइंट सेक्रेटरी ब्रजमोहन मिश्रा ने राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों से संवाद किया। उन्होंने कहा कि नाम हटाने से पहले बीएलओ स्तर पर सत्यापन जरूरी है।
यह सुनिश्चित करना जरूरी है कि कोई पात्र मतदाता प्रभावित न हो। आब्जर्वर ने उत्तर विधानसभा क्षेत्र के खानूगांव और दक्षिण-पश्चिम क्षेत्र के पॉलिटेक्निक मतदान केंद्र का निरीक्षण किया। अन्य विधानसभा क्षेत्रों का निरीक्षण समयाभाव के कारण नहीं हो सका।
4 पॉइंट्स में समझें पूरी स्टोरी👉 SIR अभियान के दौरान 39 दिनों की जांच में 4 लाख 43 हजार 633 नाम अमान्य पाए गए। इनमें मृत, स्थानांतरित, अनुपस्थित और डबल एंट्री शामिल हैं। इन नामों को मतदाता सूची से हटाया जा रहा है। 👉नो-मैपिंग श्रेणी में शामिल मतदाताओं की संख्या घटकर 1 लाख 35 हजार 765 हो गई है। हालांकि, नो-मैपिंग के बाद हटाए गए नामों की संख्या में वृद्धि हुई है। 👉 चुनाव आयोग के आब्जर्वर ब्रजमोहन मिश्रा ने राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों से संवाद किया। उन्होंने बीएलओ स्तर पर सत्यापन की आवश्यकता पर जोर दिया। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि कोई पात्र मतदाता प्रभावित न हो। 👉7 दिसंबर को राजधानी की सात विधानसभा क्षेत्रों में SIR कार्य पूर्ण घोषित किया गया। इसमें 4 लाख 8 हजार 106 नाम हटाने का प्रस्ताव था। 5 दिनों में 35 हजार 528 नए नाम हटाए गए। इससे सूची की शुद्धता और प्रक्रिया की पारदर्शिता पर सवाल उठ रहे हैं। |
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पांच दिनों में हटे इतने नाम
चुनाव आयोग ने मतदाताओं को राहत दी है। गणना पत्रक जमा करने की समय-सीमा 18 दिसंबर तक बढ़ा दी गई है। अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि वे इस अवधि में अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचकर सुधार कार्य पूरा करें।
7 दिसंबर को राजधानी की सात विधानसभा क्षेत्रों में SIR कार्य पूर्ण घोषित किया गया था। उस समय 4 लाख 8 हजार 106 नाम हटाने का प्रस्ताव था। नो-मैपिंग प्रक्रिया के बाद पांच दिनों में 35 हजार 528 नए नाम हटाए गए। इस तेजी ने मतदाता सूची की शुद्धता और प्रक्रिया की पारदर्शिता पर सवाल उठाए हैं।
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