भोपाल में हर तीसरी महिला एनीमिया से पीड़ित! क्या है इसका असली कारण

भोपाल में 15-49 वर्ष की लगभग 68% महिलाएं एनीमिया से प्रभावित हैं, जिसमें किशोरियों की स्थिति और भी गंभीर है। एनीमिया के कारणों में पोषण की कमी, बार-बार गर्भधारण, और अत्यधिक मासिक धर्म शामिल हैं

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Sandeep Kumar
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 MP News: भोपाल शहर की महिलाओं में खून की कमी (एनीमिया) का मुद्दा गंभीर है। परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण और एनएफएचएस-5 के आंकड़ों के अनुसार, 15 से 49 वर्ष की आयु की लगभग 68% महिलाएं एनीमिक हैं। प्रदेश में यह आंकड़ा 54.7% है। इसके अलावा, भोपाल की करीब 58.4% किशोरियां भी एनीमिया से पीड़ित हैं। इसमें गांवों की महिलाएं और पढ़ी-लिखी युवतियां भी शामिल हैं।

किशोरियों में एनीमिया का प्रकोप

किशोरियों की स्थिति और भी चिंताजनक है। भोपाल में करीब 58.4% किशोरियां एनीमिया से पीड़ित हैं। यह समस्या केवल ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाओं तक सीमित नहीं है, बल्कि शहरी क्षेत्रों की पढ़ी-लिखी युवतियां भी इससे प्रभावित हैं।

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एनीमिया क्या है? 

एनीमिया तब होता है जब रक्त में स्वस्थ लाल रक्त कोशिकाओं की मात्रा कम हो जाती है। इससे शरीर को पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं मिल पाती। ऑक्सीजन की कमी से थकान, कमजोरी, सांस लेने में कठिनाई, चक्कर, सिरदर्द और अनियमित दिल की धड़कन हो सकती है। रोग नियंत्रण एवं रोकथाम केंद्रों के अनुसार, संयुक्त राज्य अमेरिका में लगभग 3 मिलियन लोग एनीमिया से प्रभावित हैं।

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एनीमिया के लक्षण

एनीमिया शरीर में लाल रक्त कोशिकाओं या हीमोग्लोबिन की कमी के कारण होता है। हीमोग्लोबिन वह प्रोटीन है जो शरीर के विभिन्न अंगों तक ऑक्सीजन पहुंचाने का काम करता है। जब इसका स्तर कम हो जाता है, तो शरीर में ऑक्सीजन की कमी होने लगती है, जिसके परिणामस्वरूप निम्नलिखित लक्षण देखे जा सकते हैं:

  • थकान और कमजोरी
  • सांस लेने में तकलीफ
  • चक्कर आना
  • त्वचा का पीला पड़ना

इन लक्षणों से संकेत मिलता है कि शरीर में खून की कमी हो सकती है, जिसे नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए।

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एनीमिया के कारण

  • पोषण की कमी: धार्मिक कारणों से कुछ महिलाएं अंडे और मांसाहारी भोजन से परहेज करती हैं, जो आयरन की कमी का कारण बनता है।
  • गर्भधारण की दिक्कतें: बार-बार प्रसव से आयरन की भंडारण क्षमता घट जाती है।
  • अत्यधिक मासिक धर्म: शारीरिक कारणों से अत्यधिक रक्तस्राव होने पर शरीर में आयरन की कमी हो जाती है।
  • आयरन और फोलिक गोलियों से परहेज: उचित आहार और सप्लीमेंट्स का सेवन न करना।
  • थकान और चक्कर: इन लक्षणों को गंभीरता से न लेना और सही इलाज न करवाना।

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देशभर में एनीमिया के आंकड़ें 

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👉राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (NFHS-5) 2019-2021 के अनुसार, भारत में 57% महिलाएं और 67.1% बच्चे एनीमिया से प्रभावित हैं। एनीमिया का प्रचलन प्रजनन आयु की महिलाओं, छोटे बच्चों और ग्रामीण क्षेत्रों में अधिक है।

👉आंकड़े बताते हैं कि देश में हर 5 में से 3 महिलाएं एनीमिया से पीड़ित हैं। एनीमिया तब होता है जब शरीर में पर्याप्त स्वस्थ लाल रक्त कोशिकाओं या हीमोग्लोबिन की कमी हो जाती है। यह खून की कमी से संबंधित बीमारी है, लेकिन इसका असर शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर भी पड़ सकता है।

👉2016 के विश्व पोषण आकलन के अनुसार, भारत में आयरन की कमी से होने वाले एनीमिया के मामले सबसे अधिक हैं। एनीमिया से प्रभावित महिलाओं की संख्या में भारत 180 देशों में 170वें स्थान पर है।

सरकारी योजनाओं का प्रभाव

राज्य में लगभग 53% गर्भवती महिलाएं एनीमिया से प्रभावित हैं। हालांकि, सरकारी योजनाओं के लिए आवंटित फंड का लगभग 40% भी उपयोग नहीं हो पाया है। यह स्थिति बताती है कि योजनाओं को प्रभावी ढंग से लागू करने की आवश्यकता है।

आयरन का महत्व

आयरन शरीर के लिए एक महत्वपूर्ण खनिज है। यह हीमोग्लोबिन बनाने में मदद करता है, जो रक्त के जरिए ऑक्सीजन को शरीर के सभी अंगों तक पहुंचाता है। आयरन की कमी से खून की कमी होती है, जो स्वास्थ्य पर गंभीर असर डालती है।

उपाय और जागरूकता अभियान

भोपाल के सीएमएचओ, डॉ. मनीष शर्मा ने बताया कि जल्द ही स्कूल और कॉलेजों में एनीमिया के खिलाफ जागरूकता अभियान शुरू किया जाएगा। यह अभियान युवतियों को आयरन युक्त आहार लेने के लिए प्रेरित करेगा। साथ ही, सरकारी योजनाओं को प्रभावी रूप से लागू कर महिलाओं को एनीमिया से बचाने के प्रयास किए जाएंगे।

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