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भोपाल के ऐशबाग क्षेत्र में स्थित 90 डिग्री वाले ब्रिज को लेकर चल रहे विवाद के बीच PWD मंत्री राकेश सिंह ने गुरुवार (11 सितंबर) को बड़ा बयान दिया है। मंत्री राकेश सिंह ने पुल को पूरी तरह से सही बताया। उन्होंने कहा कि इस पुल में कोई तकनीकी समस्या नहीं है। जबलपुर में मीडिया से बातचीत करते हुए मंत्री ने कहा कि इस पुल को लेकर कोई खामी नहीं थी, लेकिन इसे गलत तरीके से प्रचारित किया गया। इसके कारण यह विवाद पैदा हुआ।
ब्रिज का कोण 114 डिग्री है, न कि 90 डिग्री
लोक निर्माण विभाग (PWD) मंत्री राकेश सिंह ने स्पष्ट किया कि भोपाल का यह पुल जिसे 90 डिग्री का बताया जा रहा था, दरअसल 114 डिग्री का है। उन्होंने कहा कि यह ब्रिज पूरी तरह से सुरक्षित है। इसके निर्माण में कोई भी तकनीकी गलती नहीं हुई है। उन्होंने यह भी बताया कि पुल के निर्माण में जो कुछ समस्याएं आईं, वे विभाग के अंदर आपसी तालमेल की कमी के कारण थीं, न कि किसी प्रकार की निर्माण संबंधी गलती के कारण।
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ठेकेदारों को मेडल मिलना चाहिए - हाईकोर्ट
इस विवाद में मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने भी बुधवार को सुनवाई के दौरान एक अहम टिप्पणी की। अदालत ने कहा कि जब ठेकेदार ने PWD के निर्देशों के अनुसार काम किया, तो उस पर कार्रवाई क्यों की गई? मुख्य न्यायाधीश संजीव सचदेवा और जस्टिस विनय सराफ की बेंच ने यह स्पष्ट किया कि ठेकेदारों को सजा नहीं, बल्कि उन्हें सम्मानित किया जाना चाहिए। हाईकोर्ट की यह टिप्पणी तब आई, जब मैनिट (MNNIT) की रिपोर्ट पेश की गई। इसमें पुल का निर्माण निर्देशों के अनुसार ही किया गया था।
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ऐशबाग आरओबी भोपाल की खबर पर एक नजर
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जानें मैनिट की रिपोर्ट में क्या कहा गया?
मैनिट की जांच रिपोर्ट में यह कहा गया कि PWD ने ठेकेदार को जो जनरल अरेंजमेंट ड्राइंग दी थी, उसमें पुल का कोण 119 डिग्री दर्शाया गया था। जांच में पुल का कोण 118 डिग्री से थोड़ा अधिक पाया गया। रिपोर्ट के अनुसार, इस मामूली अंतर को लेकर कोई गंभीर समस्या नहीं है। यह दोनों माप लगभग समान ही हैं।
सरकार ने अदालत से समय मांगा
मध्यप्रदेश सरकार के वकील ने हाईकोर्ट से समय मांगते हुए कहा कि रिपोर्ट का गहन अध्ययन करने के बाद ही वे अदालत में अपना जवाब दाखिल करेंगे। हाईकोर्ट ने इस मांग को स्वीकार करते हुए सुनवाई की अगली तारीख 23 सितंबर निर्धारित की है।
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सस्पेंड किए गए थे आठ अफसर
यह मामला तब सुर्खियों में आया था, जब पुल निर्माण में कथित खामियों के चलते आठ अधिकारियों को सस्पेंड किया गया था। इन अधिकारियों में शानुल सक्सेना, शबाना रज्जाक, संजय खांडे, उमाशंकर मिश्रा, रवि शुक्ला, जीपी वर्मा, जावेद शकील और एमपी सिंह शामिल हैं। इन अधिकारियों पर आरोप था कि उन्होंने बिना रेलवे की सहमति के पुल के निर्माण में अनियमितताएँ की थीं। 90 डिग्री ब्रिज घोटाला
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