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बैंक ने लूटे परिवार के करोडों रुपए👉 बैंक कर्मचारियों ने गिरोह बनाकर एक बुजुर्ग परिवार के करोड़ों रुपए लूटे। 👉 आईटी कोर्ट ने 7 बैंकों को 2.5 करोड़ रुपए हर्जाना देने का आदेश दिया। 👉 पीड़ित के नाम पर दूसरे बैंकों में धोखे से फर्जी अकाउंट खोले गए थे। 👉 ट्रांजैक्शन के मैसेज न मिलें, इसलिए रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर भी बदल दिए गए। 👉 पीड़ित बेटी ने पिता की मौत के बाद भी यह लंबी कानूनी लड़ाई जीती। | |
भोपाल में एक बुजुर्ग दंपति के साथ करोड़ों की धोखाधड़ी हुई। बैंक के ही कर्मचारियों ने मिलकर उनके खातों से पैसे चोरी किए। अब मध्य प्रदेश आईटी कोर्ट ने इस मामले में सख्त रुख अपनाया है। कोर्ट ने 7 बैंकों को पीड़ित परिवार को हर्जाना देने को कहा है।
कैसे शुरू हुई धोखे की कहानी?
यह मामला भोपाल की अरेरा कॉलोनी के शर्मा परिवार से जुड़ा है। केदारनाथ शर्मा एक रिटायर्ड इंजीनियर थे और उनका HDFC Bank में खाता था। उनकी बेटी अर्चना शर्मा दुबई में रहती हैं। केदारनाथ जी की याददाश्त कमजोर होने का फायदा बैंक मैनेजर ने उठाया।
संजय ठाकुर नाम का रिलेशनशिप मैनेजर उनके घर आता-जाता था। उसने बुजुर्ग दंपति का भरोसा जीत लिया। उसने सलाह दी कि बैंक बैलेंस को म्यूचुअल फंड में डाल दें। परिवार ने उसकी बात मान ली और यहीं से खेल शुरू हुआ।
बैंकर गैंग का जाल
जांच में पता चला कि यह किसी एक व्यक्ति का काम नहीं था। इसमें कई बैंकों के कर्मचारी एक गिरोह की तरह शामिल थे। जब अर्चना दुबई में थीं, तब उनके नाम से फर्जी खाते खुले। यह खाते एक्सिस, इंडसइंड और ICICI Bank में खोले गए थे।
इन खातों को खोलने के लिए केवाईसी नियमों का पालन नहीं किया गया। जालसाजों ने परिवार के असली खातों से जुड़े मोबाइल नंबर बदल दिए। इससे उन्हें बैंक से आने वाले मैसेज मिलना बंद हो गए। इसके बाद करोड़ों रुपए चुपके से फर्जी खातों में भेज दिए गए।
चेक बाउंस होने पर खुला राज
बेटी अर्चना शर्मा बताती हैं कि बैंक से मैसेज आना अचानक बंद हो गए थे। मैनेजर ने इसे टेक्निकल एरर बताकर उन्हें गुमराह किया। जब एक बार पेमेंट के लिए चेक लगाया तो वह बाउंस हो गया। परिवार को शक हुआ और वे बैंक पहुंचे।
वहां जाकर पता चला कि उनके और उनकी मां के एकाउंट खाली हैं। अर्चना ने तुरंत साइबर सेल में एफआईआर दर्ज कराई। पुलिस ने आरोपी मैनेजर संजय ठाकुर को गिरफ्तार कर लिया।
आईटी कोर्ट में लंबी कानूनी लड़ाई
क्रिमिनल केस के साथ-साथ अर्चना आईटी कोर्ट पहुंची। उनके वकील और साइबर एक्सपर्ट यशदीप चतुर्वेदी ने दलीलें पेश कीं। उन्होंने बताया कि बैंकों ने डेटा सुरक्षा में भारी लापरवाही बरती है।
आईटी एक्ट की धारा 43(ए) के तहत बैंकों की जिम्मेदारी तय की गई। कोर्ट ने माना कि फर्जी खाते खोलना सीधे तौर पर नियमों का उल्लंघन है। इसी आधार पर कोर्ट ने बैंकों पर हर्जाना लगाया है।
पिता का निधन और 5 साल का संघर्ष
न्याय मिलने में अर्चना को पूरे 5 साल लग गए। उन्होंने बताया कि इस लड़ाई के बीच उनके पिता (केदारनाथ शर्मा) का निधन हो गया। उनकी 85 साल की मां अभी भी अपनी पूंजी का इंतजार कर रही हैं।
इस केस को लड़ने में परिवार ने लाखों रुपए खर्च किए। वकील की फीस और कोर्ट के चक्करों ने उन्हें थका दिया। वहीं, अब कोर्ट के फैसले ने उन्हें थोड़ी राहत दी है।
सावधान! आप भी हो सकते हैं शिकार
विशेषज्ञों का कहना है कि किसी भी बैंक कर्मचारी पर अंधा भरोसा न करें। अपने बैंक खाते से जुड़ा मोबाइल नंबर समय-समय पर चेक करें। अगर बैंक से मैसेज आने बंद हो जाएं तो तुरंत सतर्क हो जाएं।
नेट बैंकिंग और डीमैट अकाउंट के पासवर्ड किसी को न बताएं। रिलेशनशिप मैनेजर को कभी भी खाली चेक या साइन किए हुए फॉर्म न दें। बैंकिंग धोखाधड़ी | Cyber ​​crime | bank scam
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