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मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल का बड़ा तालाब पिछले पांच साल से गंदगी और अतिक्रमण का सामना कर रहा है। हर रोज तालाब में सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट से ज्यादा गंदा पानी जा रहा है। नगर निगम और प्रशासन अभी तक इस समस्या का सही हल नहीं निकाल पाया है। इसके चलते हर रोज लाखों लीटर गंदा पानी लगातार बड़ा तालाब में जा रहा है। इससे तालाब में गंदगी का खतरा बढ़ गया है।
इस पूरे मामले पर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने सख्त कदम उठाते हुए भोपाल के कलेक्टर कौशलेंद्र विक्रम सिंह और नगर निगम कमिश्नर हरेंद्र नारायण को अगली सुनवाई में खुद आकर जवाब देने का आदेश दिया है।
2021 में दायर हुई थी याचिका
यह मामला 2021 में पर्यावरण कार्यकर्ता आर्या श्रीवास्तव की ओर से दायर की गई याचिका से जुड़ा है। उन्होंने आरोप लगाया कि बड़ा तालाब 3201 हेक्टेयर में फैला है, जो रामसर साइट और भोज वेटलैंड के रूप में जाना जाता है। इसमें नगर निगम बिना शुद्ध किए हुए गंदा पानी डाल रहा है।
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बड़ा तालाब में गंदगी वाली खबर पर एक नजर
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झील के किनारे तेजी से अतिक्रमण जारी
झील के किनारे तेजी से अतिक्रमण हो रहा है, जो उसके अस्तित्व के लिए खतरा बन गया है। यह मामला पहले हाईकोर्ट और फिर सुप्रीम कोर्ट तक गया था। जहां आदेश भी दिए गए, लेकिन अब तक इसका कोई ठोस हल नहीं निकला। तीन साल में कई सुनवाई हो चुकी हैं, लेकिन कोई नतीजा नहीं आया।
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130 मिलियन लीटर गंदा पानी हर दिन बड़ा तलाब में
एनजीटी में पेश की गई रिपोर्ट में यह बताया गया कि भोपाल में रोजाना करीब 130 मिलियन लीटर (एमएलडी) गंदा पानी बिना ट्रीटमेंट के सीधे तालाब में जा रहा है। सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट की क्षमता बहुत कम है।
16 सितंबर को हुई सुनवाई में न्यायिक सदस्य जस्टिस श्यो कुमार सिंह और विशेषज्ञ सदस्य सुधीर कुमार चतुर्वेदी ने नाराजगी जताई और कहा कि बार-बार आदेश देने के बावजूद न तो अतिक्रमण हटाया गया और न ही गंदा पानी रुक सका। राज्य सरकार को एक सप्ताह के भीतर लंबित आवेदन निपटाने का निर्देश दिया है।