भोपाल में भूजल संकट : तीनों ब्लॉक सेमी-क्रिटिकल स्थिति में, 96% हिस्से में रिचार्ज की सख्त जरूरत

भोपाल में भूजल स्तर तेजी से घट रहा है। जल संसाधन विभाग की मप्र डायनामिक रिपोर्ट के मुताबिक फंदा, बैरसिया और भोपाल अर्बन ब्लॉक सेमी-क्रिटिकल जोन में आ गए हैं। जिले के 96% क्षेत्र में भूजल रिचार्ज जरूरी है। बिना संरक्षण के कदम उठाए जल संकट बढ़ सकता है।

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Reena Sharma Vijayvargiya
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MP News : भोपाल के भूजल स्तर में तेजी से गिरावट दर्ज की गई है। जल संसाधन विभाग  की मप्र डायनामिक भूजल संसाधन रिपोर्ट के अनुसार भोपाल के तीनों ब्लॉकों फंदा, बैरसिया और भोपाल अर्बन की स्थिति सेमी-क्रिटिकल में पहुंच चुकी है। जिले के कुल भू-क्षेत्र में 96 प्रतिशत हिस्से में भूजल रिचार्ज की तत्काल आवश्यकता बताई गई है। यदि अभी संरक्षण के प्रभावी कदम नहीं उठाए गए तो आने वाले समय में गंभीर जल संकट  पैदा होने की संभावना है।

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जिले में निकासी योग्य भूजल संसाधन लगभग खत्म

भोपाल जिले की कुल भौगोलिक सीमा लगभग 2,77,237 हेक्टेयर है, जिसमें से 2,64,800 हेक्टेयर यानी लगभग 96% क्षेत्र भूजल रिचार्ज के लिए उपयुक्त है। जिले में वार्षिक निकासी योग्य भूजल संसाधन 37,553 हेक्टेयर मीटर है, जबकि वर्तमान में 29,776 हेक्टेयर मीटर भूजल उपयोग में लिया जा रहा है। इसका मतलब है कि भूजल दोहन की औसत दर लगभग 79,29% पहुंच चुकी है, जो खतरे की गंभीर घंटी है। विशेषज्ञों का कहना है कि यह दर सतत जल आपूर्ति के लिए टिकाऊ नहीं है।

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भोपाल के तीनों ब्लॉक में भूजल दोहन का प्रतिशत

ब्लॉक का नाम  भू-जल दोहन प्रतिशत
बैरसिया   80.68
फंदा    78.84
भोपाल अर्बन 77

मुख्य उपयोग-

  • कृषि क्षेत्र में सबसे अधिक भूजल दोहन हो रहा है।
  • दूसरे नंबर पर घरेलू उपयोग।
  • तीसरे स्थान पर औद्योगिक उपयोग।
  • मध्यप्रदेश के अन्य जिलों में भी भूजल संकट गहरा रहा है

मप्र के अन्य जिलों जैसे रतलाम, इंदौर, उज्जैन, मंदसौर, नीमच, शाजापुर, आदि में भूजल स्तर गंभीर रूप से घट रहा है। रतलाम में तो भूजल दोहन का प्रतिशत 134.03% तक पहुंच चुका है, जो इस क्षेत्र के लिए अत्यंत चिंताजनक है। वहीं डिंडोरी जिले में यह दर मात्र 13.73% है, जो अपेक्षाकृत बेहतर स्थिति दर्शाती है।

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प्रदेश के प्रमुख जिलों में भूजल दोहन की स्थिति

  • इंदौर, मंदसौर, नीमच, रतलाम, शाजापुर और उज्जैन में दोहन 100% से अधिक।
  • बाकी जिलों में दोहन 70% से कम।
  • प्रदेश में कुल 317  असेसमेंट यूनिट्स पर अध्ययन किया गया, जिनमें से 71% सुरक्षित श्रेणी में हैं।

विशेषज्ञों का सुझाव-  जल संरक्षण और भूजल पुनर्भरण पर जोर दें

विशेषज्ञों का मानना है कि अगर जल्द ही प्रभावी जल संरक्षण और पुनर्भरण के उपाय नहीं किए गए, तो प्रदेश में जल संकट के हालात बनना तय है। लोग फार्महाउस और खेतों में ट्यूबवेल के आसपास पांच फीट गहरा गड्ढ़ा खोदकर उसमें बजरी, ईंट आदि भरकर ग्राउंड वॉटर रिचार्ज की प्रैक्टिस कर सकते हैं। यह आसान और कारगर उपाय है जिससे भूजल स्तर को बनाए रखा जा सकता है।

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जल संरक्षण के लिए जरूरी कदम

  • वर्षा जल संचयन की व्यापक योजना लागू करें।
  • ट्यूबवेल संचालन को नियंत्रित करें।
  • खेतों में रिचार्ज गड्ढ़े बनवाएं।
  • अवैध बोरवेल ड्रिलिंग पर रोक लगाएं।
  • औद्योगिक क्षेत्रों में जल पुनर्चक्रण की व्यवस्था मजबूत करें।
  • जल संरक्षण के तरीके
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