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भोपाल के मेंडोरी इलाके के जंगल में मिली इनोवा कार से बरामद 52 किलो सोना और करोड़ों रुपए नकद के मामले की जांच अब डायरेक्ट्रेट ऑफ रेवेन्यू इंटेलिजेंस (डीआरआई) करेगी। शुरुआती जांच में पता चला है कि सोने की मैन्युफैक्चरिंग दुबई, स्विट्जरलैंड और ऑस्ट्रेलिया में हुई है।
अब आयकर विभाग भी सक्रिय
इस मामले में आरटीओ के पूर्व कॉन्स्टेबल सौरभ शर्मा, उनके दोस्त चेतन सिंह गौर और पार्टनर शरद जायसवाल हिरासत में लिए जा चुके हैं। अब आयकर विभाग और डीआरआई मिलकर पूछताछ करेंगे ताकि यह पता लगाया जा सके कि सोना विदेश से भारत कब और कैसे पहुंचा। वहीं आयकर विभाग जब्त किए गए सोना और नकदी की जांच कर रहा है।
विभाग यह जानने की कोशिश करेगा कि सौरभ शर्मा और उसके सहयोगियों की आय के स्रोत क्या हैं। सौरभ के रिश्तेदारों और सहयोगियों के ठिकानों पर लोकायुक्त और ईडी ने भी छापेमारी की थी।
सौरभ शर्मा से पूछताछ के लिए विकल्पों पर विचार
आयकर विभाग सौरभ शर्मा से पूछताछ के सभी विकल्पों पर विचार कर रहा है। विभाग यह सुनिश्चित करना चाहता है कि 4 फरवरी से पहले रिमांड अवधि के दौरान उससे पूछताछ हो सके। अगर यह संभव नहीं होता तो रिमांड के बाद कोर्ट से समय लेकर या समन के जरिए बयान दर्ज कराए जाएंगे।
सौरभ के बयान से जुड़े अन्य लोगों पर कार्रवाई
सौरभ शर्मा इस मामले में मुख्य कड़ी है। जिनका नाम वह अपने बयान में लेगा, उन सभी से आयकर विभाग पूछताछ करेगा। सौरभ की मां उमा शर्मा के बयान पहले ही लिए जा चुके हैं, लेकिन उसकी पत्नी दिव्या तिवारी और अन्य सहयोगी शरद जायसवाल के बयान अभी तक नहीं हुए हैं। आयकर विभाग जल्द ही इन सभी से पूछताछ करेगा।
सोने और कैश के मालिक का अब तक नहीं चला पता
सोना और नकदी मिलने के बाद किसी ने भी इस पर दावा नहीं किया है। माना जा रहा है कि कार को किसी आरटीओ अधिकारी के आदेश पर छिपाया गया था। जांच में खुलासा हुआ कि कार चेतन सिंह गौर की है, जो सौरभ शर्मा का करीबी दोस्त है। लोकायुक्त पुलिस ने चेतन से पूछताछ में अहम जानकारियां हासिल की हैं।
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क्या है डीआरआई?
डीआरआई (डायरेक्ट्रेट ऑफ रेवेन्यू इंटेलिजेंस) भारत सरकार के वित्त मंत्रालय के अंतर्गत काम करने वाली एक प्रमुख खुफिया और प्रवर्तन एजेंसी है। इसका मुख्य कार्य सीमा शुल्क (कस्टम), उत्पाद शुल्क (एक्साइज) और जीएसटी (वस्तु एवं सेवा कर) से संबंधित करों की चोरी को रोकना और वित्तीय अपराधों पर लगाम लगाना है।
डीआरआई की स्थापना
डीआरआई की स्थापना 1957 में की गई थी। इसका मुख्यालय नई दिल्ली में स्थित है और इसके क्षेत्रीय कार्यालय देश के विभिन्न हिस्सों में मौजूद हैं।
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डीआरआई के प्रमुख कार्य
1. तस्करी पर रोक लगाना: विदेशी मुद्रा, सोना, नशीले पदार्थ, हथियार और अन्य प्रतिबंधित सामग्रियों की तस्करी को रोकने के लिए अभियान चलाना।
2. टैक्स चोरी पर कार्रवाई: सीमा शुल्क और अन्य करों में हो रही गड़बड़ियों और धोखाधड़ी के मामलों की जांच करना।
3. वित्तीय अपराधों का पता लगाना: मनी लॉन्ड्रिंग, नकली वस्तुओं का व्यापार और आयात-निर्यात में हो रही अनियमितताओं पर निगरानी रखना।
4. खुफिया जानकारी एकत्र करना: विभिन्न स्रोतों से खुफिया जानकारी जुटाकर आवश्यक कार्रवाई करना।
5. अंतरराष्ट्रीय सहयोग: अंतरराष्ट्रीय संगठनों और अन्य देशों की एजेंसियों के साथ मिलकर तस्करी और वित्तीय अपराधों के खिलाफ कार्य करना।
डीआरआई के अधिकार और शक्तियां
डीआरआई को विशेष अधिकार प्राप्त हैं, जिसके तहत यह छापेमारी, जब्ती, गिरफ्तारी और जांच कर सकती है। यह एजेंसी कस्टम कानूनों के तहत अपराधियों पर कार्रवाई करने और न्यायालय में मामला दर्ज करने का भी अधिकार रखती है।
डीआरआई का महत्व
डीआरआई देश की आर्थिक सुरक्षा सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसके प्रयासों से सरकार को करों की चोरी से बचाव होता है और तस्करी जैसी गतिविधियों पर प्रभावी रूप से रोक लगाई जाती है।
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